West Bengal: बंगाल भाजपा की कार्यकारिणी के गठन को लेकर जटिलता

Bengal BJP. राज्य कार्यकारिणी के लिए राज्य के शीर्ष नेतृत्व की ओर से नामों की जो सूची दिल्ली को भेजी गई है उस पर केंद्रीय नेतृत्व ने आपत्ति जताई है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Fri, 13 Mar 2020 04:52 PM (IST) Updated:Fri, 13 Mar 2020 04:52 PM (IST)
West Bengal: बंगाल भाजपा की कार्यकारिणी के गठन को लेकर जटिलता
West Bengal: बंगाल भाजपा की कार्यकारिणी के गठन को लेकर जटिलता

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। Bengal BJP. बंगाल में निकाय चुनाव से पहले भाजपा की नई राज्य कार्यकारिणी के गठन को लेकर जटिलता चरम पर है। सूत्रों के मुताबिक, राज्य कार्यकारिणी के लिए राज्य के शीर्ष नेतृत्व की ओर से नामों की जो सूची दिल्ली को भेजी गई है उस पर केंद्रीय नेतृत्व ने आपत्ति जताई है। क्योंकि उनमें अनेक के खिलाफ शिकायतें दर्ज हुई हैं।

बतातें चले कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बंगाल में 18 सीटें मिलीं। लोकसभा में भाजपा की सफलता के बावजूद भाजपा नेताओं ने बार-बार स्पष्ट किया है कि उनका मुख्य लक्ष्य 2021 का विधानसभा चुनाव है। इस नजरिये से भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने महसूस किया कि मजबूत संगठन के जरिए ही इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है, लेकिन भाजपा की नई राज्य कार्यकारिणी के गठन को लेकर जटिलता पैदा हो गई है। दरअसल दिलीप घोष के दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद ही जनवरी में ही राज्य कार्यकारिणी गठित करने की बात थी।

सूत्रों के मुताबिक राज्य कार्यकारिणी को लेकर नामों की जो सूची राज्य की ओर से दिल्ली भेजी गई थी, उस पर केंद्रीय भाजपा नेतृत्व ने कई नामों पर आपत्ति जताई है। क्योंकि उनके खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। लिहाजा कार्यकारिणी के गठन के लेकर जटिलता पैदा हो गई है। मुख्यत: राज्य में भाजपा के महासचिव के पद को लेकर दुविधा बनी हुई है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तथा गृहमंत्री अमित शाह गुप्त रूप से पूरे मामले की सच्चाई का पता लगा रहे हैं।

विधानसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय नेतृत्व राज्य कार्यकारिणी में निष्क्रिय नेताओं को न रखकर योग्य तथा भरोसेमंद नेताओं को रखना चाहता है। इसके अलावा हाल में भाजपा में शामिल हुए अन्य दलों खासकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को राज्य कार्यकारिणी में शामिल किए जाने को लेकर भी केंद्रीय नेतृत्व ने आपत्ति जताई है, क्योंकि जर्सी बदलने वाले दलबदलू नेताओं पर केंद्रीय नेतृत्व तुरंत भरोसा नहीं कर पा रहा है।

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