बंगाल के मालदा जिले में बांग्लादेशी पशु तस्करों से अकेले लड़ता रहा बीएसएफ जवान, देश के लिए शहीद

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के रहने वाले थे शहीद जवान। मालदा जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास बांग्लादेशी तस्करों से अकेले लड़ता रहा जवान। भारतीय सीमा के अंदर घुसकर इस दुस्साहसिक घटना को अंजाम दिया। अधिकारियों व जवानों ने नम आंखों से जवान को श्रद्धांजलि अर्पित की।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Tue, 11 Jan 2022 10:43 PM (IST) Updated:Tue, 11 Jan 2022 11:05 PM (IST)
बंगाल के मालदा जिले में बांग्लादेशी पशु तस्करों से अकेले लड़ता रहा बीएसएफ जवान, देश के लिए शहीद
बांग्लादेशी तस्करों द्वारा तीन हमले हो चुके हैं। कई मानवाधिकार संगठन भी मोर्चा खोल देते हैं, सवाल उठना लाजिमी।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल के मालदा जिले में भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास बांग्लादेशी पशु तस्करों के साथ मुठभेड़ में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का एक जवान अंतिम सांस तक देश के लिए लड़ते हुए अपने जीवन का बलिदान कर दिया। बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर मुख्यालय की ओर से मंगलवार शाम जारी एक बयान में बताया गया कि यह घटना मालदा जिले में बल की 159वीं वाहिनी अंतर्गत हरिया नाला इलाके में सोमवार तड़के घटी। शहीद जवान का नाम विवेक तिवारी (29) बताया गया है। वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के महुवी शेरपुर गांव के रहने वाले थे। उनके परिवार में गर्भवती पत्नी और एक साल की बेटी है, जिनपर विवेक की शहादत के बाद दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।

भारतीय सीमा के अंदर घुसकर इस दुस्साहसिक घटना को अंजाम दिया

सूत्रों के अनुसार, घने कोहरे और अंधेरे का फायदा उठाकर बांग्लादेशी तस्करों ने तस्करी के उद्देश्य से भारतीय सीमा के अंदर घुस कर इस दुस्साहसिक घटना को अंजाम दिया। तस्करी में बाधा देने पर उन्होंने घने कोहरे में अकेले वहां ड्यूटी कर रहे उक्त जवान पर हमला कर दिया। बीएसएफ अधिकारियों ने बताया कि उक्त जवान ने अपने से 80 मीटर दूर साथी जवान को सतर्क करते हुए अपनी जान की परवाह किए बिना हरिया नाला के पास अकेले अपराधियों के साथ डटकर मुकाबला किया।

अधिकारियों व जवानों ने नम आंखों से जवान को श्रद्धांजलि अर्पित की

घने कोहरे में उसने अपने साथी जवान की प्रतीक्षा किए बिना अपराधियों का पीछा करने की कोशिश की और इस दौरान वह पानी में डूब गया। बाद में वहां पहुंचे अन्य जवानों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। इसके बाद जवान के परिवार को इसकी सूचना दी गई, जिसके बाद वहां कोहराम मच गया। बाद में मालदा सेक्टर के डीआइजी सुधीर हुड्डा, 159वीं वाहिनी के कमांडेंट हर्ष नंदन जोशी समेत अन्य अधिकारियों व जवानों ने नम आंखों से शहीद जवान को श्रद्धांजलि अर्पित की।

मालदा के बामनगोला थाने में गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया

बीएसएफ की ओर से पूरे सम्मान के साथ शहीद जवान का पार्थिव शरीर मंगलवार को उनके पैतृक गांव भी पहुंचा दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि विवेक मई 2017 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे। इधर इस घटना के बाद दोषियों की पहचान करने और जवान को न्याय दिलाने के लिए बीएसएफ की ओर से मालदा के बामनगोला थाने में गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है।

हाल ही में बढ़ी हैं तस्करों द्वारा बीएसएफ जवानों पर हमले की घटना

बताते चलें कि पिछले एक महीने के दौरान मालदा जिले में सीमा पार अपराधों में वृद्धि हुई है। सीमा के दोनों ओर से अपराधी व तस्करी में शामिल गिरोह ठंड के मौसम व घने कोहरे का फायदा उठा कर अपनी नापाक हरकतों को अंजाम देने की कोशिश कर रहे हैं। इस दौरान तस्करी की घटनाओं को रोकने के दौरान बांग्लादेशी तस्करों द्वारा बीएसएफ पर हमला करने की घटनाएं बढ़ी है।

पिछले सप्‍ताह सीमा पर बांग्लादेशी तस्करों द्वारा तीन हमले हो चुके हैं

पिछले एक सप्ताह के दौरान ही बीएसएफ पर मालदा जिले की सीमा पर बांग्लादेशी तस्करों द्वारा तीन बार हमले हो चुके हैं। दरअसल मवेशियों व अन्य सामानों की तस्करी पर बीएसएफ द्वारा शिकंजा कसे जाने से तिलमिलाए बांग्लादेशी तस्कर समूह में इकट्ठा होकर अंधेरे का फायदा उठाकर बिना फेंसिंग वाले इलाके से भारतीय सीमा के अंदर तक घुस कर जवानों पर धारदार हथियारों व पत्थरों से हमला कर दे रहे हैं।

कई मानवाधिकार संगठन भी मोर्चा खोल देते हैं, सवाल उठना लाजिमी

वहीं, जब बीएसएफ तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करती है और मुठभेड़ में गोली से किसी तस्कर की मौत हो जाती है तो काफी हो हल्ला मच जाता है। न सिर्फ बांग्लादेश की तरफ से इस पर बीएसएफ को भला- बुरा कहा जाता है बल्कि पुलिस व राज्य सरकार भी अंगुली उठाने लगती है। इसके अलावा कई मानवाधिकार संगठन भी बीएसएफ के खिलाफ मोर्चा खोल देते हैं। लेकिन यहां सवाल उठता है कि जब बांग्लादेशी तस्कर भारतीय सीमा के अंदर घुसकर इस तरह हमारे जवान पर हमला कर जान ले रहे हैं तो ऐसे समय में वह क्यों चुप हो जाते हैं।

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