केरल यूथ कांग्रेस की गोकशी से इत्तेफाक नहीं रखती बंगाल कांग्रेस

जागरण संवाददाता, कोलकाता : केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदी के विरोध में केरल यूथ कांग्रेस कार्

By JagranEdited By: Publish:Tue, 30 May 2017 01:05 AM (IST) Updated:Tue, 30 May 2017 01:05 AM (IST)
केरल यूथ कांग्रेस की गोकशी से इत्तेफाक नहीं रखती बंगाल कांग्रेस
केरल यूथ कांग्रेस की गोकशी से इत्तेफाक नहीं रखती बंगाल कांग्रेस

जागरण संवाददाता, कोलकाता :

केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदी के विरोध में केरल यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा बीफ फेस्ट आयोजित किए जाने को पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अलोकतांत्रिक करार दिया है और कहा है कि इस मुद्दे पर प्रदेश कांग्रेस इकाई का विरोध लोकतांत्रिक होगा। सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हम केरल यूथ कांग्रेस के इस तरीके के खिलाफ हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि केंद्र के प्रतिबंध से राज्य में चमड़ा उद्योग पर काफी प्रभाव पड़ेगा।

मालूम हो कि कन्नूर जिले में सार्वजनिक तौर पर गोवंश का वध करने और बीफ फेस्ट करने वाले केरल युवा काग्रेस के कार्यकर्ताओं को पार्टी से निलंबित कर दिया गया है।

वहीं, चौधरी ने इस दिन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और राज्य की ममता बनर्जी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस 12 जुलाई को केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ एक विरोध-रैली आयोजित करेगी। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को एक ही सिक्के का दो पहलू करार दिया और कहा कि दोनों नेता लोकतांत्रिक मूल्यों को तरजीह नहीं देते और ना ही चुनाव से पहले किए गए वायदे को पूरा करते हैं। अधीर ने कहा कि केंद्र सरकार की कई योजनाओं को राज्य सरकार बदल कर अपना नाम दे दे रही है इसी तरह केंद्र सरकार कांग्रेस सरकार में शुरू की गई योजनाओं को अपने नाम पर भूना रही है। ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधते हुए अधीर ने कहा कि राज्य में सबसे अधिक फर्जी चिकित्सकों का खुलासा हुआ है जबकि ऐसा किसी दूसरे राज्य में नहीं है। उन्होंने कहा कि ताज्जुब होता है कि ममता बनर्जी की सरकार में ऐसे फर्जी चिकित्सक कई नामी अस्पतालों में कार्यरत हैं। अधीर ने कहा कि ममता ने दावा किया था कि नरेंद्र मोदी के साथ हुई बैठक में उन्होंने राज्य से संबंधित विभिन्न आवश्यक मुद्दे पर चर्चा की लेकिन ऐसा नहीं लगता। अगर वास्तव में ममता बनर्जी गंभीर होतीं तो वे नीति आयोग की कई बैठकों को नहीं छोड़ती।

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