कोलकाता में जुलाई में होगा ट्रांसजेंडर साहित्य सम्मेलन

मानबी बंदोपाध्याय द्वारा संपादित इस पत्रिका में लेजबियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर लेखकों का साहित्य है। यह उन आवाजों को एक प्लेटफॉर्म मुहैया करा रहा है, जिन्हें लंबे अरसे तक दबाया गया।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Tue, 19 Jun 2018 11:09 AM (IST) Updated:Tue, 19 Jun 2018 04:11 PM (IST)
कोलकाता में जुलाई में होगा ट्रांसजेंडर साहित्य सम्मेलन
कोलकाता में जुलाई में होगा ट्रांसजेंडर साहित्य सम्मेलन

कोलकाता, जेएनएन। भारत के पहले ट्रांसजेंडर साहित्य सम्मेलन की मेजबानी का मौका कोलकाता को मिला है। जुलाई के दूसरे हफ्ते में साहित्य अकादमी की तरफ से यह सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।

साहित्य अकादमी के सचिव केएस राव का कहना है कि ट्रांसजेंडर लेखकों के लिए पहली बार इस तरह का साहित्यिक सम्मेलन आयोजित हो रहा है और कोलकाता ऐसा करने वाला पहला शहर होगा। अकादमी के पूर्वी क्षेत्र के प्रभारी मिहिर साहू ने जुलाई में सम्मेलन होने की पुष्टि करते हुए कहा, पिछले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हमने नारी चेतना के नाम से एक कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें ट्रांसजेंडर लेखकों ने भी हिस्सा लिया था।

जुलाई में आयोजित होने वाला सम्मेलन केवल ट्रांसजेंडर साहित्यकारों के लिए होगा। साहित्य अकादमी के बंगाली सलाहकार बोर्ड के संयोजक सुबोध सरकार का कहना है कि इससे समुदाय का सशक्तीकरण होगा। उन्होंने कहा कि मैं नियमित रूप से अबामानब नाम की लघु पत्रिका को पढ़ता हूं।

मानबी बंदोपाध्याय द्वारा संपादित इस पत्रिका में एलजीबीटी (लेजबियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर) लेखकों का साहित्य है। यह उन आवाजों को एक प्लेटफॉर्म मुहैया करा रहा है, जिन्हें लंबे अरसे तक दबाया गया। मानबी के अलावा मुङो रानी मजूमदार का काम भी दिलचस्प लगा।

देश की पहली ट्रांसजेंडर प्रिंसिपल मानबी बंदोपाध्याय ने साहित्य सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले ट्रांसजेंडर लेखकों का नाम सुझाने में अहम भूमिका निभाई है। उनका कहना है, मैंने रानी मजूमदार, अरुणा नाथ, देबोज्योति भट्टाचार्च, अंजलि मंडल और देबदत्त बिश्वास जैसे लेखकों का नाम लिस्ट में शामिल किया है।

देबदत्त बिस्वास (24 वर्ष) ने रबींद्र भारती यूनिवर्सिटी से बंगाली में मास्टर्स किया है। उन्होंने कहा, मुङो खुशी है कि मेरे समुदाय के सदस्यों के साहित्य को तवज्जो मिल रही है।

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