जिस्म भी जलने लगा है, दिल के जलने के बाद..
-मकाम की ओर से छठवां कवयित्री सम्मेलन -आकांक्षा मुंदड़ा ने दी नारायण रेकी की जानकारी जाग
-मकाम की ओर से छठवां कवयित्री सम्मेलन
-आकांक्षा मुंदड़ा ने दी नारायण रेकी की जानकारी
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : बसंत का आगाज हो और प्रेम-सौंदर्य की बात न हो, तो अधूरा लगता है। महिला काव्य मंच(मकाम) सिलीगुड़ी की ओर से शनिवार को निशा गुप्ता की मेजबानी में पंजाबी पाड़ा स्थित उनके निवास स्थान पर छठवां कवयित्री सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ हिंदी बालिका विद्यापीठ की प्राचार्य व मकाम की संरक्षक अर्चना शर्मा ने सरस्वती वंदना से किया। कवयित्री सम्मेलन में एक से बढ़कर एक गीत, गजल व कविता की सुंदर प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता किरण अग्रवाल ने की।
मकाम की महासचिव बबीता अग्रवाल कंवल ने अपनी गजल से खूब वाहवाही लूटी। 'जख्म गहरे रह गए, इतनी दवा करने के बाद/जिस्म भी जलने लगा है दिल के जलने के बाद' शीर्षक गजल में वेदना व टीस ने सबको संवेदित किया। अधिवक्ता व कवयित्री रिंकी गुप्ता ने अपनी कविता के माध्यम से बताया कि जीवन का लक्ष्य ही सपनो को साकार बनाता है। कवयित्री अर्चना शर्मा ने देश में 'आजादी' के नाम पर अराजकता फैलाने वाले की खोज खबर ली। उन्होंने अपनी कविता में बताया - 'न समझ पाए अब तक ,कि होता क्या है आजादी?' मकाम की अध्यक्षा डॉ. वंदना गुप्ता ने अपनी कविता में नारी के अस्तित्व व स्वतंत्रता की मांग करते हुए फरमाया - ' दहलीज लांघना हमारी फितरत तो नहीं/ पर हमें अपना आसमां तो चाहिए।' वहीं कवयित्री वीणा चौधरी, मकाम की सचिव रीता दास, किरण अग्रवाल, नीशा गुप्ता, प्रियंका जायसवाल, रूबी प्रसाद, आशा बंसल आदि ने एक से बढ़कर एक कविता प्रस्तुत की। कार्यक्रम का कुशल संचालन सोनी केडिया ने किया। वहीं आकांक्षा मुंदड़ा ने नारायण रेकी के बारे में जानकारी दी।
कैप्शन : काव्य गोष्ठी में मौजूद कवयित्रियां