अनुसूचित जाति को जनजाति का दर्जा देने की जरूरत नहीं : गोरामुमो

अनुसूचित जातियों को जनजाति के दर्जा की जरूरत नहीं है। अब जनजाति का दर्जा दिलाने के लिए राजनीतिक दलों की मदद की भी जरूरत नहीं है। जानिए ऐसा क्यों कहा गया...।

By Rajesh PatelEdited By: Publish:Sun, 20 Jan 2019 12:07 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jan 2019 12:07 PM (IST)
अनुसूचित जाति को जनजाति का दर्जा देने की जरूरत नहीं : गोरामुमो
अनुसूचित जाति को जनजाति का दर्जा देने की जरूरत नहीं : गोरामुमो
दार्जिलिंग [संवादसूत्र]। अनुसूचित जातियों को जनजाति के दर्जा की जरूरत नहीं है। अब जनजाति का दर्जा दिलाने के लिए राजनीतिक दलों की मदद की भी जरूरत नहीं है। यह घोषणा गुरुवार को दार्जिलिंग के जीडीएनएस कांफ्रेंस हॉल में आयोजित संगोष्ठी में की गई। जीएनएलएफ की छठी अनुसूची प्रचार -प्रसार समिति ने अनुसूचित जनजाति को लेकर इस संगोष्ठी का आयोजन गोरखा राज्य मुक्ति मोर्चा द्वारा किया था।
इस दौरान अनुसूचित जाति के नेता रमेश मोथे ने कहा कि जनजाति की मांग को लेकर केंद्र सरकार को कई बार पत्र लिखा गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि भारत में दो सूची एक अनुसूचित जाति व दूसरी जनजाति की है। वर्तमान में अनुसूचित जाति को काफी फायदा हुआ है, लेकिन जनजाति को कोई फायदा नहीं हो पा रहा है।
उन्होंने छठी अनुसूची की मांग करते हुए अनुसूचित जाति के लिए सीट आरक्षित करने की बात कही। साथ ही कहा कि अनुसूचित जाति को जीएनएलएफ के अतिरिक्त किसी का समर्थन नहीं मिल रहा है। जीएनएलएफ ही अनुसूचित जाति के लिए लड़ाई लड़ रही है। इसी उद्देश्य से जाति के लोगों को लेकर संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। संगोष्ठी को जीएनएलएफ नेता वीरेन लामा, किशोर गुरुंग, प्रवीण जिंबा समेत अन्य ने संबोधित किया। इस दौरान गोरखालैंड की प्राप्ति के लिए एकमात्र लक्ष्य छठी अनुसूची को बताया गया। इसके लिए सभी से समर्थन करने की अपील की गई।  
chat bot
आपका साथी