जल की रक्षा, देश की सुरक्षा पर कौन देगा ध्यान
जागरण सरोकार .जल संरक्षण -नगर निगम ही बर्बाद कर रही लाखों लीटर जल की बर्बादी सड़क व वा
जागरण सरोकार .जल संरक्षण
-नगर निगम ही बर्बाद कर रही लाखों लीटर जल की बर्बादी, सड़क व वाहन धोने में करते है जल का उपयोग
-प्रत्येक व्यक्ति को लेना होगा जल बचाने का संकल्प, जीवन के दैनिक आदतों में होगा उतारना
अशोक झा, सिलीगुड़ी :
जल की रक्षा देश की सुरक्षा। जल है अमूल्य। पानी बचाने में आपका सहयोग होगा अमूल्य। देश को अगर बचाना है तो नदियों को स्वच्छ व जल संरक्षण अनिवार्य है। इसको लेकर जिनकी सबसे पहले जिम्मेदारी बनती है वहीं इन दिनों जल की बर्बादी का कारण बने हुए है। नगर निगम के तहत बाघाजतिन पार्क आता है। यहां प्रतिदिन पीने वाली पानी से घंटो यहां मुख्य द्वार के आसपास के सड़क को धोने का काम होता है। इसमें हजारों लीटर प्रतिदिन जल की बर्बादी होती है। जल कोई बना नहीं सकता परंतु उसे बचाने की पहल तो सभी की ओर से किया जा सकता है। महानंदा नदी का हाल किसी से छुपा हुआ नहीं है। इसको लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में सुर्खियों में बना हुआ था। नदियों को निर्मल रखने के लिए अपने स्तर पर सभी को अपने अपने तरीके से प्रयास करना होगा। पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था नैफ के संयोजक अनिमेष बसु का कहना है कि शहर में सबसे ज्यादा वाहन होने के कारण वर्कशॉप भी ज्यादा है। वाहन धोने में बर्बाद होने वाली पानी पर रोक लगाने की व्यवस्था हो। दुकानों में जिस तरह से वाहनों को धोने में पानी की बर्बादी होती है, उसे रोकने के लिए भी नगर निगम और एसजेडीए व स्थानीय निकाय की ओर से सख्त कदम उठाए जाने की मांग की गयी है। जहा भी वाहनों को बड़े स्तर पर धोने का कार्य किया जाता है, वहा एसटीपी के शोधित पानी का प्रयोग किया जाएगा। जिससे प्राधिकरण की तरफ से पेयजल के रूप में सप्लाई किए जाने वाले पानी के साथ भूजल के दोहन पर भी रोक लगेगा। नदियों को शुद्ध रखने के साथ ही उन्होंने वर्षा जल संचय की दिशा में भी प्रयास किया है। नदियों और ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न विद्यालयों व मेला क्षेत्र में गोष्ठियों का आयोजन कर लोगों को जल संरक्षण की सीख देते आ रहे हैं। बूंद-बूंद पानी की कीमत समझनी होगी। पानी की बर्बादी को रोकना होगा। लगातार बढ़ते डार्कजोन क्षेत्र को रोकने की दिशा में सकारात्मक प्रयास भी करना होगा। तभी पर्यावरण भी बचेगा और जल संरक्षण भी हो सकेगा।
जो वर्तमान स्थिति है उसको देखकर लगता है कि इसको लेकर भी नगर निगम और सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण गंभीर नहीं है। नगर निगम में दर्जनों ऐसे नल है जहां से जलापूर्ति के समय जल बर्बाद होता है। इसकी ओर कोई गंभीर नही है। वर्षा के जल को संचित करना होगा। घरों की बर्बाद होने वाले पानी को बचाना होगा। समय समय पर जल संरक्षण का संदेश देने कई संस्थाओं की आवाज तो सुनाई देती है पर वह कारगर नहीं हो पाता। जल संरक्षण वैसे तो हर व्यक्ति का नैतिक कर्तव्य है लेकिन कम लोग हैं जो कि इसे अमल में लाते हैं। अनिमेष बसु और उनके साथ काम करने वाले शंकर मजूमदार का कहना है कि सबसे ज्यादा जल संरक्षण पर ध्यान भारतीय रेल को देना होगा। रेलवे कॉलोनी और रेलवे स्टेशनों पर जो भी पानी का प्रयोग हो रहा है वह सभी भू-गर्व से लिया जा रहा है। रेलवे के पास जमीन की कोई कमी नहीं है इसलिए यहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बड़े पैमाने पर तैयार किया जाना चाहिए। नगर निगम, सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण और महकमा परिषद से लगातार आग्रह किया गया है कि वे अपने अपने क्षेत्रों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की संख्या बढ़ाएं। पार्क व ग्रीन बेल्ट को लगाए जाने वाले रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की संख्या को भी इस वर्ष बढ़ाया जाए। शहर में जहा भी बड़े पार्क हैं वहा रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम विकसित किया जाए। जिन स्थानों पर बरसात का पानी जमा होता है वहीं संपवेल बनाने के साथ रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए जाएंगे, जिससे बरसात का पानी नालियों के जरिए व्यर्थ बहने के बजाय भूजल के स्तर को बढ़ाने का कार्य करेगा। प्रत्येक महत्वपूर्ण क्षेत्र में अनिवार्य रुप से लागू हो वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम। एसजेडीए की तरफ से पहले ही तीन सौ वर्ग मीटर से बड़े सभी प्रकार के भूखंडों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य किया था। लेकिन उसका पालन नहीं हो पा रहा है। अगर सिस्टम काम नहीं कर रहा है तो उसे दुरुस्त किया जाए, ताकि परिसर में बरसाती पानी को एकत्र करके भूगर्भ में उसे संचित किया जा सके।
जल संरक्षण को लेकर एसजेडीए की ओर से जल्द ही ठोस कदम उठाया जाएगा। इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।
नांटू पाल, एसजेडीए डिप्टी चेयरमैन।