Bharat Bandh News: देशव्यापी आम हड़ताल का सिलीगुड़ी में व्यापक असर

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की ओर से संयुक्त रूप में आज 26 नवंबर को आहूत देशव्यापी आम हड़ताल का सिलीगुड़ी व आसपास के इलाकों में मिलाजुला असर पड़ा है। शहर के बाजारों में कई दुकानें खुली हैं तो कई बंद हैं।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 01:24 PM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 02:10 PM (IST)
Bharat Bandh News: देशव्यापी आम हड़ताल का सिलीगुड़ी में व्यापक असर
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने देशव्यापी हड़ताल बुलाई है।

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। केंद्र की भाजपा नीत मोदी सरकार की जनहित विरोधी नीतियों के विरुद्ध केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की ओर से संयुक्त रूप में आज 26 नवंबर को आहूत देशव्यापी आम हड़ताल का सिलीगुड़ी व आसपास के इलाकों में मिलाजुला असर पड़ा है। शहर के बाजारों में कई दुकानें खुली हैं तो कई बंद हैं। आम परिवहन का भी कमोबेश ऐसा ही हाल है।

यह हड़ताल जिन मुद्दों पर बुलाई गई है उन मुद्दों को नैतिक समर्थन देने के बावजूद राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस हड़ताल के पक्ष में नहीं है इसलिए राज्य सरकार के ट्रांसपोर्ट यानी नॉर्थ बेंगल स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एनबीएसटीसी) की बसें सड़कों पर चल रही हैं। हालांकि, इस दौरान सुरक्षा के मद्देनजर एनबीएसटीसी की बसों के ड्राइवर हेलमेट लगाकर बस चला रहे हैं। शहर के आसपास के चाय बागानों में इस हड़ताल का अच्छा असर पड़ा है। शहर व आसपास के स्कूल कॉलेज व अन्य शिक्षण संस्थान पहले से ही कोरोना महामारी के मद्देनजर बंद हैं। 

हड़ताल समर्थकों द्वारा आम लोगों से हड़ताल को सफल बनाए जाने की अपील की जा रही है। इस हड़ताल के बारे में सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (एसयूसीआई-कम्युनिस्ट) के दार्जिलिंग जिला कमेटी सचिव गौतम भट्टाचार्य ने कहा कि भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण, श्रमिक विरोधी नए श्रम कानून, किसान विरोधी नए कृषि विधेयकों, आसमान छूती महंगाई व देश भर में बढ़ती सांप्रदायिकता के विरुद्ध ही यह हड़ताल बुलाई गई है।

उन्होंने यह भी कहा कि निजीकरण द्वारा केंद्र की मोदी सरकार सार्वजनिक उपक्रमों को मिट्टी के मोल बेच कर बड़े-बड़े पूंजीपतियों का हित साधने में लगी है। आम श्रमिकों व कर्मचारियों के हित व अधिकारों की रक्षा करने वाले 29 श्रम कानूनों को समाप्त कर चार लेबर कोड बना दिया गया है जो पूरी तरह श्रमिकों व कर्मचारियों के हित विरोधी हैं। यह नया लेबर कोड 300 सौ से कम मजदूरों वाले प्रतिष्ठानों मे काम करने वाले मजदूरों को जब चाहे तब मालिकान द्वारा काम से हटा देने का अधिकार देता है।

इसी प्रकार नए कृषि विधेयकों में मोदी सरकार ने किसानों की फसलों के विक्रय के न्यूनतम समर्थन मूल्य की अनिवार्यता के प्रावधान को समाप्त कर दिया है।इस नए बदलाव का सीधा फायदा पूंजीपति उठाएंगे। चूंकि न्यूनतम समर्थन मूल्य की अनिवार्यता ही नहीं रही इसलिए पूंजीपति अपनी मर्जी चलाएंगे और किसानों से उनकी फसल औने-पौने दामों में खरीदेंगे। वहीं, अनाज, दलहन व तिलहन आदि को अतिआवश्यक सामग्री की सूची से हटा दिया गया है। अतः अब अनाज, दलहन व तिलहन की जमाखोरी कानूनन अपराध नहीं होगी। इसका सीधा फायदा पूंजीपति उठाएंगे। वे मनमाने तरीके से जमाखोरी कर बाजारों में अनाज, दलहन व तिलहन का कृत्रिम संकट उत्पन्न कर देंगे। उसके बाद अपने जमा अनाज, दलहन व तिलहन को बाजार में मनमाने दामों में बेचेंगे और अनियंत्रित मुनाफे की चांदी पीटेंगे। इसीलिए हमारी मांग है कि ऐसे काले कानूनों को अविलंब समाप्त किया जाए।

इसके साथ ही श्रमिकों का पारिश्रमिक कम से कम 21 हजार रुपये प्रति महीना किया जाए। सरकारी विभाग और सार्वजनिक क्षेत्रों में कर्मचारियों की प्री-मैच्योर रिटायरमेंट संबंधी जारी फैसला तुरंत वापस लिया जाए। निजीकरण की नीति को तुरंत खत्म किया जाए। पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल किया जाए और नई को रद किया जाए। मनरेगा मजदूरों को 700 रुपये दिहाड़ी और 200 दिनों के कार्य की गारंटी दी जाए। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को बिना किसी शर्त के 10 किलो अनाज प्रति महीना निःशुल्क दिया जाए। हरेक सरकारी विभाग में अनुबंध के आधार पर कार्य करने वाले अस्थायी कर्मचारियों को बिना किसी शर्त स्थायी किया जाए।

आसमान छूती महंगाई को अविलंब नियंत्रित किया जाए। देश में दिन-प्रतिदिन बढ़ती सांप्रदायिकता की नकेल कस कर देश की विविधता में एकता और शांति-सद्भाव पर कोई आंच न आनी दी जाए। इन्हें सारी मांगों को लेकर केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने आगामी 26 नवंबर को देशव्यापी हड़ताल बुलाई है। उन्होंने सभी से इस हड़ताल को व्यापक रूप में सफल बनाने की अपील की है। 

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