बगैर रजिस्ट्रेशन का ही बैंक में खुल गया खाता

-मात्र दो महीने के अंदर 12 करोड़ रुपये का हुआ ट्रांजेक्शन -आयकर विभाग को नहीं दी गई एस

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Jul 2020 08:54 PM (IST) Updated:Tue, 28 Jul 2020 08:54 PM (IST)
बगैर रजिस्ट्रेशन का ही बैंक में खुल गया खाता
बगैर रजिस्ट्रेशन का ही बैंक में खुल गया खाता

-मात्र दो महीने के अंदर 12 करोड़ रुपये का हुआ ट्रांजेक्शन

-आयकर विभाग को नहीं दी गई एसटीआर की जानकारी

-फर्जीवाड़े के साथ ही वित्तीय घोटाले की भी संभावना

-लॉकडाउन के दौरान कहां से हुई इतनी रकम की व्यवस्था

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : कहते हैं सारे नियम और कानून सिर्फ आम जनता के लिए ही बनाए जाते हैं। माफियाओं के लिए नियम कानून कोई मायने नहीं रखता है। उपर से भ्रष्टाचार दीमक की तरह पूरे सिस्टम को चाट गया है। फिर चाहे सिस्टम सरकारी हो या गैर सरकारी। भारत-नेपाल सीमांत पानीटंकी में सरकारी भेस्ट जमीन पर मार्केट बसाकर करोड़ो की उगाही का खेल भी भ्रष्टाचार की ही देन है। फर्जी संस्था मेची मार्केट व्यवसायी वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा सरकारी भेस्ट जमीन पर मार्केट बसाकर करोड़ो की उगाही का खेल अपराधिक ही नहीं बल्कि एक बड़े पैमाने का वित्तीय फर्जीवाड़े की तरफ भी इशारा कर रहा है।

फर्जी संस्था का बैंक खाता और उसके मार्फत हुए करोड़ो की लेनदेन से एक बड़े वित्तीय घोटाले और भ्रष्टाचार की बू आ रही है। फर्जी संस्था मेची मार्केट व्यवसायी वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्यों की माने तो संस्था का गठन अगस्त 2013 को हुआ। जबकि सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस संस्था के नाम पर पैन कार्ड मई 2019 को जारी हुआ है। वहीं इस फर्जी संस्था के नाम से नामी गिरामी एक्सिस बैंक की नक्सलबाड़ी शाखा में मार्च 2020 को एक खाता खुलवाया गया। फर्जी संस्था के नाम पर बैंक खाता ही वित्तीय फर्जीवाड़े की ओर इशारा करता है। जब मेची मार्केट व्यवसायी वेलफेयर एसोसिएशन पश्चिम बंगाल सोसायटी एक्ट-1961 के तहत कभी रजिस्टर्ड ही नहीं हुआ तो इसके नाम पर रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट भी जारी नहीं हुआ होगा। फिर किस कागजात के आधार पर एक्सिस बैंक की नक्सलबाड़ी शाखा ने मेची मार्केट व्यवसायी वेलफेयर एसोसिएशन के नाम पर खाता खोला? सभी जानते हैं कि सरकारी हो या निजी, भारत सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नियमानुसार बैंक खाता खुलवाने के लिए पहचान पत्र और आवासीय प्रमाण पत्र अनिवार्य है।

जबकि सूत्रों की माने तो बैंक खाता खुलवाने के लिए जमीन माफिया ने फर्जी संस्था से जुड़े कोई भी कागजात जमा नहीं कराया है। बल्कि बैंक खाता खुलवाने के लिए फर्जी संस्था के एक पदाधिकारी का पैन कार्ड जमा कराया गया है। जबकि फर्जी संस्था के नाम पर मई 2019 को पैन कार्ड बनवाया गया है।

अनिवार्य कागजात भले ही जमा नहीं कराया हो लेकिन 20 मार्च को खाता खुलवाते समय फर्जी संस्था ने करीब डेढ़ लाख की रकम जरूर जमा करा दी। क्या उसी डेढ़ लाख की रकम पर बैंक अधिकारी फिसल गए या फिर कहानी कुछ और ही है। खैर, खाता खुलवाने के पांच दिन बाद से ही कोरोना संक्रमण को देश में फैलने से रोकने के लिए भारत सरकार ने 25 मार्च से लॉकडाउन जारी किया था। जिसके बाद से कोरोना ने देशवासियों के स्वास्थ के साथ-साथ भारत की अर्थव्यवस्था पर भी करारा प्रहार किया है। व्यापार-वाणिज्य पूरी तरह से ठप होने की वजह से जगत में त्राहि मची हुई है। कोरोना की मार से व्यापार जगत और अर्थव्यवस्था जहां चरमराई हुई है। कोरोना के इसी आतंकित काल में बीते मई के दूसरे सप्ताह से लेकर जुलाई के दूसरे सफ्ताह करीब दो महीने के बीच फर्जी संस्था मेची मार्केट व्यवसायी वेलफेयर एसोसिएशन के बैंक खाते में करीब 12 करोड़ का लेनदेन हुआ है। जिसमें करीब साढ़े सात करोड़ की रकम नगद में जमा कराई गई है। यह लेनदेन भी फर्जी संस्था के सदस्य, भू-माफिया, कद्दावर राजनीतिक पदाधिकारी और उगाही के इस खेल में रुपया निवेश करने वाले व्यापारी वर्ग और शहर के कुछ नामचीन मिलाकर करीब 70 लोगों ने किया है। वित्तीय जानकारों की माने तो बैंक के बचत या चालू खाता की एक सीमा भारतीय रिजर्व बैंक ने निर्धारित कीहै। सीमा पार करने पर उस संदिग्ध बैंक खाते की पूरी जानकारी (एसटीआर) बैंक प्रबंधन द्वारा आयकर विभाग को उपलब्ध कराना होता है। ताकि आयकर विभाग वित्तीय फर्जीवाड़े की जांच और उसपर ब्रेक लगाकर सरकार या जनता के हक का कर सरकारी खजाने में जमा करा सके। जबकि एक फर्जी संस्था के खाते में करीब दो महीने के बीच करीब 12 करोड़ हुए लेनदेन की जानकारी तक बैंक प्रबंधन ने आयकर को नहीं दी। इससे दो बातें साफ तौर से उजागर होती है कि बैंक में नियम कानून का पूरा ताम-झाम सिर्फ आम आदमी के लिए बनाया गया है। भ्रष्टाचार के दीमक से माफियाओं के लिए नियमों की धज्जियां उड़ाकर सीमा लांघना काफी आसान है। दूसरा उगाही के इस खेल में संबंधित बैंक अधिकारियों की मिली-भगत साफ तौर पर उजागर है।

क्या कहना है बैंक अधिकारियों का

फर्जी संस्था मेची मार्केट व्यवसायी वेलफेयर एसोसिएशन के संबंध में एक्सिस बैंक के नक्सलबाड़ी शाखा प्रबंधक बिप्लव विश्वास से बात करने पर उन्होंने टालते हुए गोल-मटोल जवाब दिया। उन्होंने कहा कि इस मामले से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए बैंक शाखा से व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात करनी होगी। ऐसे मामलों के लिए बैंक की टीम से संपर्क करना होगा। वहीं एक्सिस बैंक के क्लस्टर प्रबंधक मोवी तमांग ने फर्जी संस्था मेची मार्केट व्यवसायी वेलफेयर एसोसिएशन व संबंधित बैंक खाते की पूरी जानकारी सुनने के बाद कहा कि अनिवार्य कागजातों की जांच करने के बाद ही खाता खुलवाया जाता है। इस मामले में यदि कहीं गलती हुई है तो वे पूरे मामले की छानबीन करने के बाद ही कुछ कह सकेंगी।

नेपाल फरार होने की ताक में भूमाफिया आप अंदाजा लगा लीजिए विजय माल्या, मेहूल चौकसी व नीरव मोदी की बैंक घोटाला हो, या फिर राज्य का सारधा व अन्य चिटफंट कांड या फिर बैंक से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ो का ऋण निकासी फर्जीवाड़ा कितनी आसानी से रचा गया। भारत-नेपाल सीमांत पानीटंकी में भी सरकारी भेस्ट जमीन पर मार्केट बसाकर करोड़ो की उगाही का खेल काफी बड़े पैमाने के वित्तीय फर्जीवाड़े की ओर इशारा कर रहा है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार आने वाली स्थिति का अंदाजा लगाकर फर्जी संस्था की बुनियाद पर उगाही करने वाले भू-माफिया नेपाल फरार होने की ताक में है।

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