Coronavirus Lockdown Effect: लॉकडाउन में पश्चिम बंगाल चाय इंडस्ट्री संकट के दौर से गुजर रही

Coronavirus Lockdown Effect लॉकडाउन में पश्चिम बंगाल चाय इंडस्ट्री संकट के दौर से गुजर रही

By Preeti jhaEdited By: Publish:Thu, 07 May 2020 09:40 AM (IST) Updated:Thu, 07 May 2020 11:13 AM (IST)
Coronavirus Lockdown Effect: लॉकडाउन में पश्चिम बंगाल चाय इंडस्ट्री संकट के दौर से गुजर रही
Coronavirus Lockdown Effect: लॉकडाउन में पश्चिम बंगाल चाय इंडस्ट्री संकट के दौर से गुजर रही

सिलीगुड़ी, एएनआई। लॉकडाउन का जैसा असर देश के दूसरे कृषि उत्पादों पर पड़ रहा है, पश्चिम बंगाल के चाय बागानों पर भी वैसा ही असर है। पश्चिम बंगाल में लॉकडाउन में चाय इंडस्ट्री संकट के दौर से गुजर रही है,सिलीगुड़ी में इस दौरान चाय की खेती में अधिकतम 25% वर्कफोर्स को ही काम पर बुलाया जा सकता है। ऐसे में बागान मालिक पत्ती तोड़ने के लिए मशीन का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे मजदूरों की कमी के चलते चाय की पत्तियां खराब न हों। 

लॉकडाउन का जैसा असर देश के दूसरे कृषि उत्पादों पर पड़ रहा है, पश्चिम बंगाल के चाय बागानों पर भी वैसा ही असर है। पश्चिम बंगाल के चाय बागानों के मालिक पत्तों की तुड़ाई तो मजदूर अपने भविष्य को लेकर चिंतित है। चाय के पूरे कारोबार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। चाय बागान मालिकों के सबसे बड़े संगठन सीसीपीए ने अपने अनुमान में बताया है कि लॉकडाउन के चलते देश के चाय उद्योग को कम से कम 1,400 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है।

इस समय लगभग मजदूरों की रोजी-रोटी खतरे में है। चाय निर्यात पर जो असर पड़ रहा है कि उसका असर भी लंबे समय तक रहेगा। केंद्र सरकार ने कहा है कि लॉकडाउन के दौरान चाय बागानों में 50 फीसदी कर्मचारियों के साथ काम किया जा सकता है, लेकिन मजदूरों की कमी और स्थानीय प्रशासन की वजह से यह नहीं हो पा रहा है।

असम देश का सबसे बड़ा चाय उत्पादक राज्य है। देश में कुल चाय उत्पादन में 50 फीसदी असम का और एक चौथाई हिस्सा पश्चिम बंगाल का है। इसके अलावा केरल और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में भी चाय के बागान हैं। इन बागानों से लगभग 30 लाख लोग प्रत्यक्ष और पत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। इनमें एक बड़ी संख्या मजदूरों की है।बागान मालिक और मजदूर इस समय भयंकर संकट से गुजर रहे हैं। सरकारी मदद की जरूरत है, तभी ये कारोबार बच पायेगा।

दुनिया की सबसे बेहतरीन चाय पर संकट के बादल दार्जिलिंग के पहाड़ों पर होनी वाली दार्जिलिंग की चाय पर इस समय सबसे ज्यादा संकट में है। इसे सबसे बेहतरीन चाय कहा जाता है। पूरी दुनिया में इसकी मांग होती है। इस कारण इसका एक बड़ा हिस्सा निर्यात होता है। वर्ष 2011 में यूरोपिय संघ ने इसकी खासियत को देखते हुए इसे जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग (विशिष्ट वस्तु को कानूनी अधिकार) का दर्जा दिया था। दार्जिलिंग की सबसे बेहतरीन चाय पहली बार चुनी गई पत्तियों से बनती हैं। पत्तों की तुड़ाई को फ्लश कहा जाता है। यानी पहले फ्लश के दौरान जो पत्तियां निकलती हैं, उसी से बनती है दार्जिलिंग की प्रसिद्ध चाय, लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से पत्तों की तुड़ाई नहीं हो पाई। 

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