चुनावी दुश्मनी भूल गले मिले बाइचुंग भुटिया व अशोक भट्टाचार्य

इसीलिए कहा जाता है कि राजनीति में न कोई स्थाई रूप से दुश्मन होता है, न दोस्त। इसका नजारा सिलीगुड़ी में गुरुवार को देखने को मिला।

By Rajesh PatelEdited By: Publish:Thu, 07 Feb 2019 09:04 PM (IST) Updated:Thu, 07 Feb 2019 09:04 PM (IST)
चुनावी दुश्मनी भूल गले मिले बाइचुंग भुटिया व अशोक भट्टाचार्य
चुनावी दुश्मनी भूल गले मिले बाइचुंग भुटिया व अशोक भट्टाचार्य
सिलीगुड़ी [जागरण संवाददाता]। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव-2016 में सिलीगुड़ी विधानसभा क्षेत्र से एक-दूजे के खिलाफ ताल ठोंकनेवाले भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भुटिया व सिलीगुड़ी के विधायक अशोक भट्टाचार्य गुरुवार को एक-दूजे के साथ बड़े ही दोस्ताना मिजाज में नजर आए। 
  इस बारे में बाइचुंग ने कहा कि 'अशोक दा मेरे बड़े भाई हैं। उन्होंने बुलाया तो मैं आया। राजनीति अपनी जगह है। हमारे रिश्ते मधुर हैं'। तो फिर, अशोक दा के खिलाफ चुनाव क्यों लड़े? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा भी हुआ है कि किसी फुटबॉल मैच में सुनील छेत्री (भारतीय फुटबॉल टीम कप्तान) व मैं एक-दूजे के विरुद्ध खेले हैं। तो क्या रिश्ते खत्म हो गए? रिश्ते अपनी जगह हैं, राजनीति अपनी जगह।
    यह, सिलीगुड़ी नगर निगम द्वारा इस दिन कंचनजंघा स्टेडियम में आयोजित बस्ती क्रीड़ा उत्सव का मौका था। इसमें सिलीगुड़ी के मेयर ने अतिथि के रूप में भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भुटिया को आमंत्रित किया था और वे आए भी। केवल आए ही नहीं, बल्कि एक-दूजे से गले भी मिले व बड़ी गर्मजोशी से साथ-साथ रहे।
   याद रहे कि विधानसभा चुनाव-2016 में सिलीगुड़ी विधानसभा क्षेत्र से बाइचुंग भुटिया तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार थे व राज्य के पूर्व मंत्री अशोक भट्टाचार्य माकपा के उम्मीदवार थे। भुटिया हार गए व अशोक जीत गए। उसके कुछ दिनों बाद ही बाइचुंग भुटिया ने तृणमूल कांग्रेस भी छोड़ दिया। अब वह अपनी नई पार्टी बना कर अपने गृह राज्य सिक्किम की राजनीति में सरगर्म हैं।
   इस दिन बाइचुंग ने संवाददाताओं से खुल कर बात की। तृणमूल कांग्रेस में शामिल होना क्या गलती थी? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि 'ऐसा मैं नहीं मानता। हां, कहीं, कहीं मुझसे कुछ गलती हुई। मगर, बहुत कुछ सीखने को भी मिला'। आने वाले दिनों में यदि अपने चुनाव प्रचार के लिए अशोक भट्टाचार्य बुलाएंगे तो क्या आएंगे? इस सवाल को वे हंसी में टाल गए।
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