India-China Border: चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर वायुसेना के एएन-32 विमान की सफल लैंडिंग

सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण उत्तरकाशी जिले की चिन्यालीसौड़ पट्टी पर बुधवार को वायुसेना के एनएन-32 मालवाहक विमान की सफल लैंडिंग हुई।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Wed, 10 Jun 2020 03:07 PM (IST) Updated:Wed, 10 Jun 2020 03:59 PM (IST)
India-China Border: चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर वायुसेना के एएन-32 विमान की सफल लैंडिंग
India-China Border: चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर वायुसेना के एएन-32 विमान की सफल लैंडिंग

उत्तरकाशी, जेएनएन। चीन सीमा पर बढ़ी तनातनी के बाद से देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में भारतीय सेनाओं की सरगर्मी तेज हो गई है। इस बीच सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण उत्तरकाशी जिले की चिन्यालीसौड़ पट्टी पर बुधवार को वायुसेना के एनएन-32 मालवाहक विमान की सफल लैंडिंग हुई। विमान का चिन्यालीसौड़ में टेक ऑफ और लैंडिंग का सिलसिला जारी है। ये विमान आगरा एयर बेस से चिन्यालीसौड़ हवाईपट्टी पहुंचा। बता दें कि 

चिन्यालीसौड़ से चीन सीमा की दूरी 125 किमी है। चीन सीमा पर तनातनी की खबर के बाद से ही वायु सेना अभ्यास में जुटी हुई है।  

दरअसल, लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद उपजे तनाव के बीच चीन से सटी उत्तराखंड की 345 किलोमीटर सीमा हमेशा से संवदेनशील रही है। इसमें से 122 किलोमीटर उत्तरकाशी जिले में है। सामरिक दृष्टि से संवेदनशील यह क्षेत्र जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से करीब 129 किलोमीटर दूर है। विषम भूगोल वाली नेलांग घाटी में सेना और आइटीबीपी के जवान सतर्क हैं। उत्तरकाशी के पास चिन्यालीसौड़ में हवाई पट्टी का कार्य भी अंतिम चरण में है।

चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी का निर्माण कर रही एजेंसी उत्तर प्रदेश निर्माण निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर घनश्याम सिंह ने बताया कि हवाई पट्टी का कार्य तकरीबन पूरा हो चुका है। सेना और वायुसेना यहां परीक्षण करते रहे हैं। यहां से चीन सीमा की हवाई दूरी (एरियल डिस्टेंस) 126 किलोमीटर है। वर्ष 1990 में नेलांग तक सड़क तैयार कर ली गई थी, इसके बाद नेलांग से जादूंग करीब 16 किलोमीटर लंबी सड़क वर्ष 2005 में पूरी हो 

मई में हर्षिल में भी घुसपैठ की चर्चा 

लद्दाख में घुसपैठ के बाद मई में नेलांग क्षेत्र में भी चीनी सैनिकों की घुसपैठ की चर्चा थी। हालांकि सरकार, शासन और प्रशासन ने इससे इनकार किया था। तब यह बात सामने आई थी कि हर्षिल से 85 किलोमीटर दूर मुलिंगला, थांगला-1 और थांगला-2 क्षेत्र में चीनी सैनिक देखे गए। हालांकि, भारतीय जवानों ने उनके मंसूबों को नाकाम कर दिया। गौरतलब है कि  21 मई को मध्य कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग, ईएस घुमन हर्षिल पहुंचे थे और उन्होंने सीमावर्ती चौकियों का निरीक्षण किया।

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ले.जनरल (सेवानिवृत्त) मोहन सिंह भंडारी का कहना है कि भारत-चीन के बीच अब तक पूरी तरह से सीमांकन नहीं हुआ है, क्योंकि कई इलाकों को लेकर दोनों के बीच सीमा विवाद है। हालांकि, यथास्थिति बनाए रखने के लिए एलएसी का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह मसला लंबे वक्त से चला आ रहा है और इसे सुलझाने की कोशिशें भी जारी हैं। यह कहना गलत है कि दोनों देशों के बीच युद्ध जैसी स्थिति आएगी। यह एक कूटनीतिक मसला है।

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