सीएम ने जाना आपदा पीड़ि‍तों का हाल, मृतक आश्रितों को मिलेंगे चार-चार लाख रुपये

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आराकोट न्याय पंचायत के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का हवाई निरीक्षण किया। आराकोट स्थित राहत शिविर पहुंचकर उन्होंने पीड़ि‍तों का हाल पूछा।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 20 Aug 2019 06:15 PM (IST) Updated:Tue, 20 Aug 2019 08:25 PM (IST)
सीएम ने जाना आपदा पीड़ि‍तों का हाल, मृतक आश्रितों को मिलेंगे चार-चार लाख रुपये
सीएम ने जाना आपदा पीड़ि‍तों का हाल, मृतक आश्रितों को मिलेंगे चार-चार लाख रुपये

उत्तरकाशी, जेएनएन। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को आराकोट न्याय पंचायत के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का हवाई निरीक्षण किया। आराकोट स्थित राहत शिविर पहुंचकर उन्होंने पीड़ि‍तों से मुलाकात कर उनका हाल पूछा। सीएम ने आपदा में मरने वालों के आश्रितों को चार-चार लाख रुपये आर्थिक सहायता और घायलों का मुफ्त इलाज कराने की घोषणा की। आश्वस्त किया कि ग्रामीणों को पशु क्षति, फसल नुकसान का आकलन कर आपदा प्रबंधन के मानकों के तहत मुआवजा दिया जाएगा। बेघर लोगों को ग्राम समाज की भूमि दी जाएगी। 

दोपहर करीब साढ़े ग्यारह बजे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मीशाह, और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नैनीताल सांसद अजय भट्ट के साथ आपदा से प्रभावित आराकोट, माकुडी, टिकोची, किराणु, चीवां, बलावट, दुचाणु, डगोली, बरनाली, गोकुल, मौंडा गांव का हवाई सर्वेक्षण कर नुकसान का जायजा लिया। जिसके बाद वे आराकोट पहुंचे।

यहां उन्होंने आपदा प्रभावितों की दिक्कतें जानीं। सीएम ने आराकोट इंटर कालेज में बनाए गए राहत कैंप का भी निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग बेघर हुए हैं उन्हें ग्राम समाज की भूमि पर बसाया जाएगा। मौके पर ही डीएम को इस संबंध में निर्देश दिए।

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डीएम से यह भी कहा कि प्रभावितों की सेब की फसल, बागीचे, कृषि भूमि, आवासीय भवन और पशुहानि के नुकसान की रिपोर्ट तैयार करें। ताकि प्रभावितों को जल्द मुआवजा दिया जा सके। मुख्यमंत्री ने प्रभावितों को भरोसा दिलाया कि सरकार उनके साथ खड़ी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा के कारण जानमाल का काफी नुकसान हुआ है। सड़क, बिजली, पानी, सिंचाई आदि जैसी सुविधाओं पटरी पर लाई जाएगी। सड़कें खुलवाना सरकार की प्राथमिकता है।

तीन गांवों में लापता की खोजबीन अभी शुरू नहीं

आराकोट न्याय पंचायत के तीन गांवों में मलबे में दबे लोगों की खोजबीन तीन दिन बाद भी शुरू नहीं हो पाई। इस बीच, अन्य गावों में मंगलवार को दो और शव बरामद हुए हैं। इन्हें मिलाकर मृतक संख्या 15 पहुंच गई है। जबकि अभी 20 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं। हालांकि, जिला प्रशासन लापता की संख्या सात बता रहा है। रेस्क्यू में जुटी टीमों ने आवाजाही के लिए कई स्थानों पर वैकल्पिक रास्ते भी बनाए। डीएम डा. आशीष चौहान आराकोट में ही कैंप किए हुए हैं। 

मलबे में दफन और लापता लोगों की खोजबीन का काम सोमवार सुबह शुरू हुआ था। लेकिन प्रभावित तीन गांवों नगवारा, चिवां और टिकोची में अभी तक लापता लोगों की खोजबीन शुरू नहीं हो पाई हैं। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल का कहना है कि यहां पर रेस्क्यू टीमें पहुंच गई है, लेकिन पहले प्रभावितों को राहत पहुंचाई जा रही है। इसके बाद लापता लोगों की खोजबीन शुरू की जाएगी। गांव वालों ने यहां कुछ लोगों के लापता होने की जानकारी दी है। 

इस बीच, मंगलवार को सनेल में नेपाल मूल एक मजदूर का और आराकोट में एक युवक का शव मलबे में दबा मिला। आराकोट में एक युवती का शव मध्यरात्रि बरामद कर लिया गया था। अभी तक इन गांवों में 15 शव मिल चुके हैं। सनेल में नेपाल मूल के 20 सदस्य गायब बताए जा रहे हैं।

इधर, वायु सेना और राज्य सरकार ने हेलीकॉप्टरों के जरिये प्रभावित गांवों में राहत सामग्री ड्रॉप की। माकुड़ी गांव से एक गर्भवती महिला को हेली रेस्क्यू करके देहरादून अस्पताल पहुंचाया गया। प्रभावितों परिवारों को राइंका आराकोट, वन विश्राम गृह आराकोट में राहत कैंप बनाया गया है। इनमें करीब 275 प्रभावित ग्रामीण ठहरे हुए हैं। 

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