सुरक्षित हिमालय परियोजना पर टिकी 43 गांवों की उम्मीद

सुरक्षित हिमालय परियोजना उत्तरकाशी जिले के गोविंद वन्य जीव विहार में पड़ने वाले 43 गांवों के ग्रामीणों की आजीविका में व्यापक सुधार की उम्मीदें जगा रही है।

By sunil negiEdited By: Publish:Sat, 24 Sep 2016 08:12 AM (IST) Updated:Sun, 25 Sep 2016 07:00 AM (IST)
सुरक्षित हिमालय परियोजना पर टिकी 43 गांवों की उम्मीद

उत्तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: हिम तेंदुओं की सुरक्षा के लिए शुरू होने वाली सुरक्षित हिमालय परियोजना उत्तरकाशी जिले के गोविंद वन्य जीव विहार में पड़ने वाले 43 गांवों के ग्रामीणों की आजीविका में व्यापक सुधार की उम्मीदें जगा रही है। परियोजना के तहत इन गांवों में आजीविका सुधार के तमाम कार्य होने हैं। इससे जहां क्षेत्र में पर्यटन, जड़ी-बूटी व फलोत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, वहीं ग्रामीणों की आर्थिकी भी मजबूत होगी।

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और यूनाइटेड नेशनल डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) देश के चार राज्यों में मार्च 2017 से सुरक्षित हिमालय परियोजना शुरू करने जा रहा है। इसमें उत्तराखंड प्रदेश के उत्तरकाशी जिले का गंगोत्री नेशनल पार्क व गोविंद वन्य जीव विहार भी शामिल है। गंगोत्री नेशनल पार्क क्षेत्र में तो कोई गांव नहीं हैं, लेकिन गोविंद वन्य जीव विहार के अंतर्गत मोरी ब्लाक के 43 गांव आते हैं। इनकी आबादी 20 हजार के आसपास है।

गोविंद वन्य जीव विहार बनाने की घोषणा तो 1955 में हो गई थी। लेकिन, विधिवत रूप से पार्क 1990 में अस्तित्व में आया। तभी से इन 43 गांवों को तमाम दुश्वारियों झेलनी पड़ रही हैं। पार्क के कड़े नियमों के कारण यहां विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं। स्थिति यह है कि 43 में से 35 गांवों में तो आज तक सड़क भी नहीं पहुंची। साथ ही ये विद्युतीकरण से भी वंचित हैं। ऐसे में ग्रामीणों की आजीविका पूरी तरह लड़खड़ा गई है। लेकिन, अब हिम तेंदुओं को बचाने के लिए शुरू होने वाली सुरक्षित हिमालय परियोजना से इन गांवों को बड़ी उम्मीदें हैं।

जिला पंचायत सदस्य रेवती राणा बताती हैं कि जब से गोविंद वन्य जीव विहार अस्तित्व में आया, तब से ग्रामीणों के हक-हकूक छीन लिए गए हैं। इसके एवज में उन्हें कुछ भी नहीं मिला। लेकिन, सुरक्षित हिमालय परियोजना से ग्रामीणों के लिए उम्मीद जगाने वाली है।

परियोजना के तहत चयनित गांवों में होंगे ये कार्य
-हर गांव में पशुओं के चारा के लिए चारा विकास योजना
-पर्यटन व ईको टूरिज्म के विकास पर कार्य
-जड़ी-बूटी उत्पादन के लिए ग्रामीणों को प्रशिक्षण व उत्पाद बेचने की व्यवस्था
-उपलब्ध कराई जाएगी बेहतर किस्म की सेब प्रजातियों की पौध
-स्वास्थ्य व शिक्षा की व्यवस्था में होगा सुधार
-ग्रामीणों के पारंपरिक मकानों को मिलेगा बढ़ावा
-आलू, दाल, चौलाई व फलों के विपणन की व्यवस्था

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गोविंद वन्य जीव विहार में पड़ने वाले गांव
कोटगांव, नैटवाड़, लिवाड़ी, फिताड़ी, जखोल, राला, कासला, ओसला, गंगाड़, ढाटमीर, रेक्चा, सिरगा, दोणी, मस्री, भितरी, खनियासणी, सेवा, बरी सहित 43 गांव।

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ग्रामीणों को नियमानुसार जो भी हक-हकूक दिए जाएंगे
उत्तराखंड के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक डीवीएस खाती ने बताया कि सुरक्षित हिमालय परियोजना में स्थानीय लोगों की आजीविका सुधारने के लिए महत्वपूर्ण बिंदु हैं। ग्रामीणों को नियमानुसार जो भी हक-हकूक होंगे, दिए जाएंगे। ताकि उनकी आजीविका में सुधार आए और वन्य जीव व वन भी सुरक्षित रहें।

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