गांव की कहानी: यहां 19 घरों में टीवी देख मतदाता होने लगा जागरूक, जानिए

गंगी गांव के 19 घरों में टीवी चलता है और देश दुनिया के बारे में जानकारी बढ़ने से लोग आम चुनाव में अपने भाग्य विधाताओं को तौलने और परखने के लिए भी उत्सुक नजर आते हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sun, 07 Apr 2019 04:12 PM (IST) Updated:Sun, 07 Apr 2019 08:05 PM (IST)
गांव की कहानी: यहां 19 घरों में टीवी देख मतदाता होने लगा जागरूक, जानिए
गांव की कहानी: यहां 19 घरों में टीवी देख मतदाता होने लगा जागरूक, जानिए

गंगी(टिहरी), अनुराग उनियाल। समुद्रतल से सात हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है टिहरी जिले का सबसे सुदूरवर्ती और दुर्गम गांव गंगी। सात दशक तक पूरी तरह अलग-थलग पड़े रहे प्रसिद्ध खतलिंग ग्लेशियर की तलहटी में बसे इस गांव में साल-सवा साल पहले सौर ऊर्जा की बिजली और महज तीन माह पहले सड़क पहुंची है। आज इस गांव के 19 घरों में टीवी चलता है और देश-दुनिया के बारे में जानकारी बढ़ने से लोग आम चुनाव में अपने भाग्य विधाताओं को तौलने-परखने के लिए भी उत्सुक नजर आते हैं। उनके पास सवाल भी हैं और चाहते हैं कि भाग्य विधाताओं से इन सवालों के जवाब भी मिलें। 

156 परिवार और 720 की आबादी वाले गंगी गांव पहुंचने के लिए छह माह पूर्व तक रीह कस्बे से 13 किमी की खड़ी चढ़ाई पैदल तय करनी पड़ती थी। रीह कस्बा जिला मुख्यालय नई टिहरी से 95 किमी की दूरी पर है। लेकिन, दिसंबर 2018 में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत गांव तक सड़क पहुंचने से ग्रामीणों का यह संकट दूर हो गया। हालांकि, अभी इस सड़क के पक्का होने का इंतजार है। आजादी के बाद गंगी की पहली बार सुध प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 में तब ली, जब इस गांव को सौर ऊर्जा के तहत बिजली की सुविधा दी गई। हाल ही में सड़क पहुंचने के बाद तो ग्रामीणों की दिनचर्या के तौर-तरीके ही बदल गए। 

सपना सच होने जैसा है बिजली और सड़क का मिलना 

गंगी निवासी स्वांरी देवी कहती हैं, बिजली और सड़क का सपना हमने कभी नहीं देखा। लगता था कि ऐसे ही बिना बिजली और सड़क के जीवन कट जाएगा। लेकिन, थोड़ा-बहुत राजनीतिक जागरुकता के कारण ये दोनों सपने सच हो गए। ग्रामीण लज राम कहते हैं कि 13 किमी दूर रीह से जरूरत का सामान गाड़ी में गांव तक पहुंचना किसी सपने के सच होने जैसा है। पहले तो घोड़ा-खच्चर ही ग्रामीणों का एकमात्र सहारा थे। वह कहते हैं कि अब ग्रामीण जाग गए हैं और अन्य सुविधाओं के लिए भी आवाज उठा रहे हैं। 

पेयजल के लिए प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भरता 

पीने के पानी के लिए गांव के लोग पूरी तरह प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर हैं। चारों ओर जंगलों से घिरे होने के कारण स्रोत वर्षभर पानी से लबालब रहते हैं। लेकिन, बरसात के दिनों में पानी गंदला होने से लोगों को दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं। ग्रामीण बचल सिंह के अनुसार अब इस सवाल को भी गांव वाले अपने प्रतिनिधियों के सामने उठाएंगे। 

सिर्फ तीन बेटियां दसवीं पास 

ग्राम पंचायत गंगी के प्रधान नैन सिंह बताते हैं कि गंगी में महज 12 लड़के ग्रेजुएट हैं और मात्र तीन लड़कियां दसवीं पास। कारण, आठवीं के बाद आगे की पढ़ाई के लिए विद्यालय 17 किमी दूर घुत्तू में है। जहां नौनिहालों के लिए व्यवस्थाएं जुटाना हर-किसी  अभिभावक के बूते में नहीं। इसके अलावा गांव में सरकारी नौकरी भी किसी के पास नहीं है। कहते हैं, यही सवाल हम जनप्रतिनिधियों से पूछना चाहते हैं कि आखिर इन हालात के लिए जिम्मेदार कौन है। 

गंगी गांव की तस्वीर 

परिवार, 156 

आबादी, 720 

महिला, 340 

पुरुष, 380 

मतदाता, 510 

ग्रेजुएट, 12 लड़के 

सरकारी नौकरी, शून्य 

विद्यालय, एक जूनियर हाईस्कूल 

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