एक दिन के लिए न्यूजीलैंड की उच्चायुक्त बनीं पौड़ी की कुमकुम, उठाई ये समस्या

एक दिन के लिए न्यूजीलैंड की उच्चायुक्त बनीं कुमकुम पंत पौड़ी लौटीं तो आत्मविश्वास से लबरेज थीं। कुमकुम ने बताया कि बतौर उच्चायुक्त मेरा फोकस लैंगिंक समानता पर रहा।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Mon, 14 Oct 2019 06:44 PM (IST) Updated:Mon, 14 Oct 2019 09:06 PM (IST)
एक दिन के लिए न्यूजीलैंड की उच्चायुक्त बनीं पौड़ी की कुमकुम, उठाई ये समस्या
एक दिन के लिए न्यूजीलैंड की उच्चायुक्त बनीं पौड़ी की कुमकुम, उठाई ये समस्या

पौड़ी, जेएनएन। अंतररराष्ट्रीय बालिका दिवस पर एक दिन के लिए न्यूजीलैंड की उच्चायुक्त बनीं कुमकुम पंत पौड़ी लौटीं तो आत्मविश्वास से लबरेज थीं। जंतु विज्ञान का प्रोफेसर बनने का सपना देख रही कुमकुम ने बताया कि 'बतौर उच्चायुक्त मेरा फोकस लैंगिंक समानता पर रहा। महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं हैं। मैं गौरवान्वित हूं कि यह अवसर मिला।'

जिला मुख्यालय पौड़ी से 20 किलोमीटर दूर भट्टी गांव की रहने वाली कुमकुम 12वीं की छात्रा है। उनके पिता विपिन पंत शिक्षक हैं और मां पूनम पंत गृहणी। उत्तराखंड में बाल अधिकारों को लेकर काम रही गैर सरकारी संस्था भुवनेश्वरी महिला आश्रम से जुड़ी कुमकुम उन 34 बालिकाओं में शामिल थीं, जिन्हें 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर एक दिन के लिए विभिन्न जिम्मेदारियां सौंपी गईं थीं। बतौर उच्चायुक्त कुमकुम ने दूतावास के अधिकारियों के साथ बैठक में दुनिया में लैंगिंक समानता को लेकर विचार विमर्श भी किया। 

उन्होंने कहा कि दुनियाभर में लैंगिंक समानता को लेकर कानून हैं, लेकिन हालात फिर भी सुकूनदायक नहीं हैं। उत्तराखंड के बारे में उन्होंने कहा कि विषम भूगोल में बसे प्रदेश में संचार की स्थिति आज भी अच्छी नहीं है। ऐसे में सरकार को चाहिए बालिकाओं को लेकर चल रही योजनाओं की जानकारी देने के लिए सिर्फ रेडियो और टीवी तक ही सीमित न रहे, बल्कि नुक्कड़ नाटक, कठपुतली नृत्य जैसे पारंपरिक तरीके भी अपनाए। कुमकुम कहती हैं 'एक दिन के लिए राजदूत की जिम्मेदारी मिलने से मुझमें आत्मविश्वास बढ़ा है।' बोलीं, यह गौरव की बात है कि भारत में न्यूजीलैंड की उच्चायुक्त जोना कैम्पकर्स भी एक महिला ही हैं।

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उच्चायुक्त के तौर पर यूं बिताया दिन

कुमकुम ने बताया कि 11 अक्टूबर को नौ बजे वह नई दिल्ली स्थित न्यूजीलैंड के उच्चायोग पहुंची और सवा नौ बजे कार्यभार ग्रहण किया। सुबह दस बजे से  साढ़े ग्यारह बजे के बीच उच्चायोग के अधिकारियों और कर्मचारियों से परिचय प्राप्त करने के बाद बैठक की। इसके बाद दोपहर बारह से ढाई बजे तक दूतावास की ओर से चलाए जा रहे स्कूल का भ्रमण किया। तीन बजे जोना को विधिवत कार्यभार सौंपा।

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