जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और उससे निपटने के लिए नैनीताल में मंथन

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से खेती, बागवानी, जलस्रोत के संकट से निपटने के लिए कुमाऊं विवि, न्यू केशल विवि ब्रिटेन व चिराग संस्था की ओर से कार्यशाला का आयोजन किया गया।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sat, 17 Nov 2018 01:25 PM (IST) Updated:Sat, 17 Nov 2018 01:25 PM (IST)
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और उससे निपटने के लिए नैनीताल में मंथन
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और उससे निपटने के लिए नैनीताल में मंथन

नैनीताल, जेएनएन। रामगढ़ ब्लॉक में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से खेती, बागवानी, जलस्रोत के संकट से निपटने के लिए नैनीताल में कार्यशाला का आयोजन किया गया। कुमाऊं विवि, न्यू केशल विवि ब्रिटेन व चिराग संस्था की ओर से कार्यशाला में विशेषज्ञाेंने विचा-विमर्श किया।

हरमिटेज भवन में आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों ने कहा कि बढ़ते तापमान की वजह से जलवायु परिवर्तन की समस्या उपजी है। वैज्ञानिकों, सरकारी अधिकारियों  द्वारा रामगढ़ के ग्रामीण जनप्रतिनिधियों के साथ सीधा संवाद किया।  बताया गया कि रामगढ़ ब्लॉक के 36 गांवों में जलवायु परिवर्तन का व्यापक प्रभाव हुआ है।तापमान बढ़ने व बारिश कम होने से 28 से 30 फीसद परंपरागत जलस्रोत सुख चुके हैं। इससे खेती, बागबानी, सिंचाई, समेत पर्यटन प्रभावित हो रहा है। भूजल स्तर घट रहा है। इसका जनस्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ रहा। महिलाओं की स्थिति पर प्रभाव पड़ रहा है। इन परिस्थितियों में नदियों को पुनर्जीवित करना होगा।

कार्यशाला समन्वयक प्रो. पीसी तिवारी ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन जरूरी है। जल  संस्थान के ईई संतोष उपाध्याय ने भी विचार रखे। इस अवसर पर डॉ भगवती जोशी, समेत अन्य थे।

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