सत्ता नहीं व्यवस्था परिवर्तन के लिए बनी पार्टी: दिवाकर भट्ट

उक्रांद के केंद्रीय अध्यक्ष दिवाकर भट्ट ने कहा कि हमने राज्य आंदोलन सत्ता हासिल करने के लिए नहीं, बल्कि व्यवस्था परिवर्तन के लिए किया था। हमें जनता के बीच भी विश्वास कायम करना है।

By BhanuEdited By: Publish:Wed, 01 Nov 2017 12:28 PM (IST) Updated:Wed, 01 Nov 2017 08:50 PM (IST)
सत्ता नहीं व्यवस्था परिवर्तन के लिए बनी पार्टी: दिवाकर भट्ट
सत्ता नहीं व्यवस्था परिवर्तन के लिए बनी पार्टी: दिवाकर भट्ट

हल्द्वानी, [जेएनएन]: हमने राज्य आंदोलन सत्ता हासिल करने के लिए नहीं, बल्कि व्यवस्था परिवर्तन के लिए किया था। 17 साल में कांग्रेस व भाजपा ने मिलकर राज्य को बदहाल स्थिति में ला खड़ा किया है। इसलिए अब उक्रांद साम, दाम, दंड एवं भेद जिस तरह से भी पहले राज्य को बचाएगा और फिर चलाकर दिखाएगा। उक्रांद के केंद्रीय अध्यक्ष दिवाकर भट्ट ने दो दिवसीय केंद्रीय कमेटी की बैठक में विमर्श व सहमति के बाद प्रेसवार्ता में यह बातें कहीं।

सर्किट हाउस काठगोदाम में केंद्रीय कमेटी की बैठक के निष्कर्ष पर भट्ट बोले उक्रांद पलायन के मुद्दे पर गंभीर है। बावजूद इसके वर्तमान भाजपा सरकार के वायदों व हकीकत में धरती आसमान का अंतर है। पहाड़ में पंचेश्वर जैसे बड़े बांध बनाकर सैकड़ों गांवों को पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा है। 

यही नहीं प्रदेश के 3000 से अधिक स्कूल बंद कराए जा रहे हैं। इस पर सीएम खुद भी बयान दे चुके हैं। सरकार को इस पर श्वेत पत्र लाना चाहिए। दिवाकर ने कहा कि कांग्रेस एवं भाजपा ने युवाओं के मन में जहर घोला है। 

उन्होंने कहा कि उक्रांद अब युवाशक्ति को साथ लेने के लिए फिर से राज्य आंदोलन जैसी पीड़ा लेकर उनके बीच जाएगा। जिससे युवा अपने सपनों के राज्य के महत्व को समझकर फैसला ले सकें। पूर्व अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी ने कहा कि उक्रांद कई बार टूटता बिगड़ता रहा है। अब यह बीती बात हो गई है। हमें जनता के बीच भी विश्वास कायम करना है। नए सिरे से आगे बढऩे के लिए पार्टी तैयार है। पदाधिकारियों को अब जन-जन तक पहुंचना ही होगा। बैठक में पूर्व अध्यक्ष नारायण सिंह जंतवाल, पुष्पेश त्रिपाठी, त्रिवेंद्र पवार, बीडी रतूड़ी, जिलाध्यक्ष दिनेश भट्ट आदि मौजूद रहे। 

इन प्रस्तावों पर हुई चर्चा और मांग 

बैठक में चंद्रनगर गैरसैंण को पूर्णकालिक स्थायी राजधानी बनाने, पंचेश्वर बांध का निर्माण बंद करने, राज्य की परिसंपत्तियों को तत्काल उप्र से मुक्त कराया कराने, पर्वतीय जनपदों में विकास प्राधिकरणों के गठन का समाप्त करने, राज्य सरकार के विभागों, निगमों, उपक्रमों व प्राधिकरणों में तैनात संविदा कर्मियों को नियमित करने, आउटसोर्स व्यवस्था खत्म करने, भूमि बंदोबस्त व चकबंदी का काम जल्द शुरू करने, राज्य में बंद होने जा रहे 3000 स्कूलों पर सरकार श्वेत पत्र जारी करने, किसानों का कर्ज तुरंत माफ करने आदि के मुद्दों पर चर्चा हुई। 

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