कार्बेट में सांभर-चीतल के पॉलीथिन खाने से है बाघ और तेंदुओ की जान को खतरा nainital news

कॉर्बेट में पॉलीथिन पहुंचने के बाद कुमाऊं की वेस्टर्न सर्किल के पांचों डिवीजनों में अलर्ट जारी किया गया है। गंदगी फैलाने वालों पर नजर रखी जा रही है।

By Edited By: Publish:Sat, 08 Feb 2020 07:44 AM (IST) Updated:Sun, 09 Feb 2020 05:53 PM (IST)
कार्बेट में सांभर-चीतल के पॉलीथिन खाने से है बाघ और तेंदुओ की जान को खतरा nainital news
कार्बेट में सांभर-चीतल के पॉलीथिन खाने से है बाघ और तेंदुओ की जान को खतरा nainital news

हल्द्वानी, जेएनएन : कॉर्बेट में पॉलीथिन पहुंचने के बाद कुमाऊं की वेस्टर्न सर्किल के पांचों डिवीजनों में अलर्ट जारी किया गया है। जंगल में गंदगी फेंकने वालों को पकड़कर फॉरेस्ट एक्ट में कार्रवाई करने के निर्देश वन संरक्षक ने दिए हैं। वहीं, अफसरों व वन्यजीव चिकित्सकों की मानें तो अब तक बाघ-गुलदार के पेट में पॉलीथिन होने का कोई प्रमाण नहीं मिला है, लेकिन बाघ का मुख्य आहार माने जाने वाले सांभर और चीतल के पेट से पूर्व में पॉलीथिन मिल चुकी है। लिहाजा, बेजुबान की सेहत से खिलवाड़ न हो, इसके लिए विभाग को सतर्क होने की जरूरत है।

काॅर्बेट में पॉलीथिन दांत दबाए दिखे थे बाघ

वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर त्रिकांश शर्मा ने 30 जनवरी को कॉर्बेट के ढिकाला जोन के रामगंगा नदी में बाघों की फोटो खींची थी, जिसमें बाघिन व शावक प्लास्टिक की टोकरीनुमा चीज दांतों में दबाकर खेलते दिख रहे थे। इसके बाद से ही कॉर्बेट प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है, क्योंकि वन्यजीवों की सेहत के लिए पॉलीथिन को बेहद खतरनाक माना जाता है। अब मामले की जांच कराई जा रही है। जंगल में चोरी-छिपे कूड़ा फेंकने वालों पर नजर रखने के साथ संवेदनशील एरिया मे कैमरा लगाने के निर्देश भी जारी हुए हैं।

पांच माह तक दूध, फिर सिर्फ मांस

वन्यजीव चिकित्सक डॉ. हिमांशु पांगती के मुताबिक, बाघ व गुलदार के शावक पैदा होने के बाद करीब पांच माह तक केवल मां का दूध पीते हैं। यह समय उनके पाचन तंत्र के विकसित होने का होता है। पांच माह पूरे होने के बाद बाघ-गुलदार सिर्फ मांस खाकर जिंदा रहते हैं। हालांकि पॉलीथिन आदि में लिपटे मांस को खुराक बनाने से हानिकारक पदार्थ के शरीर में जाने से इन्कार नहीं किया सकता।

गजराज खा चुका है पॉलीथिन

पिछले साल अक्टूबर में टांडा जंगल के अंदर हाथियों के मल में बड़ी मात्रा में पॉलीथिन मिलने से हड़कंप मचा था। खाद्य सामग्री के जरिये यह चीज उसके पेट तक जा पहुंची थी। वहीं हिमांशु पांगती, वन्यजीव चिकित्सक ने बताया कि आकार में बड़ा होने के कारण बाघ अधिकांशत: सांभर का शिकार करते हैं। बाघ व गुलदार के शवों का पोस्टमार्टम करने के दौरान अब तक पॉलीथिन के अंश नहीं मिले।

वेस्टर्न सर्किल में 125 से ज्यादा बाघ

कुमाऊं  की वेस्टर्न सर्किल में हल्द्वानी, तराई पूर्वी, तराई केंद्रीय, तराई पश्चिमी व रामनगर डिवीजन आती है। दो डिवीजन कॉर्बेट से सटी हुई है। बाघ संरक्षण में बेहतर काम करने की वजह से एनटीसीए ने इस सर्किल को बाघ मित्र गौरव के अवार्ड से नवाजा है। यहां करीब 125 से अधिक बाघ हैं, लिहाजा कॉर्बेट प्रकरण के बाद अलर्ट जारी किया गया है।

गंदगी फैलाने वालों पर रखी जा रही है सख्‍त नजर

वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त डॉ. पराग मधुकर धकाते बताते हैं कि जंगल में गंदगी फेंकने वालों पर खास नजर रखने के निर्देश पांचों डिवीजन के डीएफओ को दिए गए हैं। बाघ-गुलदार के पेट में पॉलीथिन पहुंचने का प्रमाण अभी तक नहीं मिला है, लेकिन हमें अलर्ट रहने की जरूरत है। वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर लोगों के बीच जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा।

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