भाजपा अपने प्रत्याशी रूपा संग डटी रही, सुमित्रा को कुछ पंचायत नेताओं का ही सहारा nainital news

पंचायत चुनाव में आरक्षण सूची जारी होते ही पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सुमित्रा प्रसाद के क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव लडऩे के साथ ब्लॉक प्रमुख पद पर दावेदारी ने चुनाव को रोचक बनाया।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 07 Nov 2019 11:35 AM (IST) Updated:Thu, 07 Nov 2019 11:35 AM (IST)
भाजपा अपने प्रत्याशी रूपा संग डटी रही, सुमित्रा को कुछ पंचायत नेताओं का ही सहारा nainital news
भाजपा अपने प्रत्याशी रूपा संग डटी रही, सुमित्रा को कुछ पंचायत नेताओं का ही सहारा nainital news

हल्द्वानी, जेएनएन : पंचायत चुनाव में आरक्षण सूची जारी होते ही पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सुमित्रा प्रसाद के क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव लडऩे के साथ ब्लॉक प्रमुख पद पर दावेदारी ने चुनाव को रोचक बना दिया था। जबकि भाजपा ने मतगणना के बाद एक नए चेहरे रूपा देवी पर दांव खेला। सुमित्रा ने जहां अपने पांच साल के गैर विवादित कार्यकाल व अनुभव के आधार पर वोट मांगे, वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने टिकट घोषणा करते ही रूपा के पक्ष में एकजुट होना शुरू कर दिया। आखिर में भाजपा की रणनीति कामयाब रही और रूपा रिकॉर्ड मतों से जीतने में कामयाब रही।

रूपा की जीत के कारण

1-गुटबाजी नहीं सिर्फ एकजुटता

नए चेहरे की घोषणा करने के बाद संगठन और पदाधिकारी क्षेत्र पंचायत सदस्यों की घेराबंदी में जुट गए। विधायक नवीन दुम्का अपने विधानसभा क्षेत्र की प्रत्याशी की जीत हर हाल में सुनिश्चित कराना चाहते थे।

2-दो में से एक पर दांव खेलना था

हल्द्वानी ब्लॉक में तीन एससी महिला बीडीसी सदस्य चुनकर आई थी। सुमित्रा कांग्रेस से जुड़ी थी। ऐसे में दो में से एक बीडीसी सदस्य का चयन करने में दिक्कत नहीं आई। नाम फाइनल होते ही रणनीति शुरू हुई। गुटबाजी का कोई सवाल नहीं था।

3-क्षेत्र के हिसाब से समीकरण

भाजपा ने गौलापार-चोरगलिया, बरेली रोड और लामाचौड़ क्षेत्र के बीडीसी मेंबरों को अलग-अलग साधना शुरू किया। लास्ट तक उन पर नजर रखी गई। जिससे पाला बदलने की गुंजाइश ही नहीं रही और आखिर में इसका फायदा प्रत्याशी को मिला।

सुमित्रा की हार के कारण

1-पार्टी नहीं कुछ नेताओं का साथ

कांग्रेस ने लास्ट तक सुमित्रा प्रसाद को प्रत्याशी घोषित नहीं किया। चुनाव में पंचायत राजनीति से जुड़े कुछ नेता उनके साथ जुटे रहे, लेकिन बड़े नेताओं ने खुलकर सुमित्रा के पक्ष में बीडीसी मेंबरों की घेराबंदी नहीं की। मजबूत दावेदार होने के बावजूद संगठन का सक्रिय न होना सभी को खला।

2-माहौल बना पर बरकरार नहीं रहा

सुमित्रा ने प्रमुख पद पर दावेदारी कर सबसे पहले अपने पक्ष में माहौल बनाया था। तब तक भाजपा उम्मीदवार का नाम तक फाइनल नहीं था। ऐसे में कांग्रेस को खुलकर उनके लिए काम करना चाहिए था। ऐसा नहीं होने का खामियाजा बड़ी हार की वजह बना।

3-क्रास वोटिंग का खेल नहीं चला

ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर सबसे बड़ा खतरा क्रॉस वोटिंग का रहता है। हल्द्वानी में हर चुनाव में ऐसा होता है, लेकिन इस बार यह मिथक भी टूटा। रूपा ने कम से कम 30 सदस्यों के समर्थन का दावा किया था। इससे दो वोट अधिक मिले।

समर्थन करने वाले सदस्‍यों को सुमित्रा ने कहा सलाम

सुमित्रा प्रसाद, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि सम्मानित जनता ने सम्मानित व योग्य उम्मीदवारों को पहले बीडीसी सदस्य चुना। उन्हें एक योग्य प्रमुख चुनना था। उन्होंने रूपा देवी को चुना। समर्थन करने वाले सात सदस्यों को सलाम।

रूपा ने कहा कि संगठन ने पूरी ताकत से चुनाव लड़ाया

रूपा देवी, नवनिर्वाचित ब्लॉक प्रमुख ने कहा कि चुनाव में साथ देने के लिए सभी क्षेत्र पंचायत सदस्यों को धन्यवाद। भाजपा संगठन ने पूरी ताकत से चुनाव लड़ाया। गांवों के विकास में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी।

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