गौलापार में निर्माणाधीन जू परिसर में खैर के साथ सागौन के पेड़ों पर भी चली आरी NAINITAL NEWS

गौलापार स्थित निर्माणाधीन इंटरनेशनल जू परिसर से खैर के साथ सागौन के पेड़ भी पार कर लिए गए। तस्करों ने बड़ी संख्या में हरे पेड़ों पर आरी चलाई है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 19 Jun 2019 03:02 PM (IST) Updated:Wed, 19 Jun 2019 03:02 PM (IST)
गौलापार में निर्माणाधीन जू परिसर में खैर के साथ सागौन के पेड़ों पर भी चली आरी NAINITAL NEWS
गौलापार में निर्माणाधीन जू परिसर में खैर के साथ सागौन के पेड़ों पर भी चली आरी NAINITAL NEWS

हल्द्वानी, जेएनएन : गौलापार स्थित निर्माणाधीन इंटरनेशनल जू परिसर से खैर के साथ सागौन के पेड़ भी पार कर लिए गए। तस्करों ने बड़ी संख्या में हरे पेड़ों पर आरी चलाई है, जिस पर वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे है। घटना का खुलासा होने के बाद अफसरों तक में हड़कंप मचा हुआ है।

गौलापार में करीब 412 हेक्टेयर जंगल में जू का निर्माण होना है। बजट की कमी के चलते निर्माण की प्रक्रिया काफी धीरे चल रही है। पांच दिन पूर्व यहां से खैर के करीब चार दर्जन पेड़ गायब हो गए थे, जिसके बाद वन विभाग की टीम ने किच्छा स्थित एक लकड़ी टाल पर छापामार करीब 70 हरे गिल्टे बरामद किए, हालांकि टालस्वामी गिरफ्त में आने से पहले गायब हो गया। शुरुआत में मामला दबाने का काफी प्रयास किया गया। लेकिन अब पता चला कि जू के जंगल से सिर्फ खैर नहीं, सागौन के पेड़ भी काटे गए हैं। जू के अफसर इनकी गिनती में जुटे हैं। 

शातिराना तरीके से चलाई आरी

जू परिसर में खड़े पेड़ों को बड़े शातिर तरीके से काटा गया है। आरी चलाने के दौरान कई जगह इस बात का ध्यान रखा गया कि पेड़ पूरा न काटा जाए। जिस ऊंचाई तक पत्ते घने हैं, उससे ऊपरी हिस्से को ही काटा गया है। दूर से देखने पर लग ही नहीं रहा कि पेड़ कटा है।

तीन से छह फीट तक हिस्सा गायब

पेड़ों की लंबाई के हिसाब से इन्हें काटा गया है। कुछ जगह पर तीन से पांच व अन्य जगह छह फीट लंबाई तक लकड़ी गायब की गई है। हालांकि निरीक्षण को पहुंची टीम का कहना है कि सागौन के कम व अन्य प्रजाति के पेड़ ज्यादा काटे गए हैं।

स्टाफ-ऑफिस किसी को भनक नहीं

जू के निर्माण से पहले गौलापार में कार्यालय व स्टाफ के लिए जगह बनाई गई। वनकर्मियों की नियुक्ति कर सुरक्षा का दावा भी किया गया। वर्तमान में यहां सुरक्षा दीवार खड़ी की जा रही है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि स्टाफ की मौजूदगी के बावजूद तस्करों की आवाजाही पता कैसे नहीं चली। 

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