चम्पावत नगर पालिका में आचार संहिता को ठेंगा दिखाकर एक करोड़ से अधिक का गोलमाल

निकाय चुनाव के वक्त किसी भी नए कार्य पर प्रतिबंध को नकारते हुए चम्पावत नगर पालिका में एक करोड़ से अधिक का वित्तीय गोलमाल कर दिया गया।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sun, 12 Jan 2020 07:23 PM (IST) Updated:Sun, 12 Jan 2020 07:23 PM (IST)
चम्पावत नगर पालिका में आचार संहिता को ठेंगा दिखाकर एक करोड़ से अधिक का गोलमाल
चम्पावत नगर पालिका में आचार संहिता को ठेंगा दिखाकर एक करोड़ से अधिक का गोलमाल

चम्पावत, जेएनएन : निकाय चुनाव के वक्त किसी भी नए कार्य पर प्रतिबंध को नकारते हुए चम्पावत नगर पालिका में एक करोड़ से अधिक का वित्तीय गोलमाल कर दिया गया। यह खेल भी उन हुक्मरानों ने खेल दिया जिन पर इसकी आचार संहिता के पालन कराने का निगरानी का जिम्मा था। आचार संहिता को ठेंगा दिखाते हुए चार निर्माण कार्य करा दिए गए तो एक वाहन की खरीद लिया गया। मामला यहीं नहीं रुका बल्कि पालिका की जरूरत का सामान भी खरीदा गया वो भी महंगे दाम वाली फर्म से। मामले में गड़बड़ी की बू आने पर शासन ने जब कमेटी बना जांच कराई तो परतें खुलकर सामने आ गईं। रिपोर्ट में उस वक्त पालिका प्रशासक पीसीएस सीमा विश्वकर्मा, ईओ समेत चार लोगों को दोषी माना है। कार्रवाई के लिए रिपोर्ट जिलाधिकारी ने शासन को भेजी है। पूरा मामला दैनिक जागरण ने उठाया था। 

तब नगर निगम के अधिकारी नकार रहे थे आरोपों को

दैनिक जागरण ने निकाय चुनाव आचार संहिता लगे होने के दौरान पालिका में वित्तीय अनियमितताओं और मनमानी को लेकर कई खबरें प्रकाशित की थीं, मगर निकाय अधिकारी लगातार इसको नकारते रहे। इसको लेकर आरटीआई लगाई गई तब जाकर शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने जांच समिति का गठन किया। समिति में एडीएम, वरिष्ठ कोषाधिकारी और आरईएस के ईई शामिल थे। समिति ने नौ माह में जांच पूरी कर डीएम को सौंप दी। डीएम ने भी जांच रिपोर्ट पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुसंशा कर शासन को भेज दिया है।

सस्ते दाम वाली फर्म दरकिनार, महंगी दाम वाली को प्राथमिकता

15 अक्टूबर 2018 से निकाय चुनाव की आचार संहिता लग गई थी। ऐसे में पालिका का प्रशासक एसडीएम सीमा विश्वकर्मा को बना दिया गया। आचार संहिता लगे होने के बीच नगर पालिका चम्पावत में फिनायल, कीटनाशक, चूना, झाड़ू-पंजा समेत जरूरत का सामान खरीदा गया। इसके लिए टेंडर डाले गए। टेंडर संत इंटरप्राइजेज हल्द्वानी, देव इंटरप्राइजेज और उत्तरांचल ट्रेडर्स के नाम से तीन फर्मों ने डाले। जांच रिपोर्ट के मुताबिक टेंडर संत इंटरप्राइजेज के नाम से निकला था। जिसने खरीद के अंतर्गत आने वाली वस्तुओं के दाम बाकी दो फर्मों की अपेक्षा कम दिए थे। लेकिन अधिकारियों को जब उसमें कोई लाभ होता नहीं दिखा तो नियमों का चीरहरण कर बिना टेंडर वाली दूसरी फर्म देव इंटरप्राइजेज व उत्तरांचल ट्रेडर्स से सामान खरीद दिया गया। उदाहरण के लिए संत इंटरप्राइजेज ने एक किलो चूना की कीमत 14 रुपये किलो दी थी, देव इंटरप्राइजेज ने 16 रुपये किलो और उत्तरांचल ट्रेडर्स ने 15 रुपये प्रति किलो के रेट दिए थे। ऐसे में 14 रुपये प्रति किलो के भाव से खरीद न करके 15-16 रुपये प्रति किलो के रेट से कुंटलों में खरीद की गई। इस तरह यही खेल अन्य आवश्यक वस्तुओं की खरीद में खेला गया।

जांच कमेटी ने इनको माना है दोषी

जांच कमेटी ने इस पूरी प्रक्रिया में लेखा लिपिक सतीश कुमार, गलत स्वीकृत दरों के आधार पर क्रय आदेश जारी करने के लिए ईओ अभिनव कुमार तथा बिल तैयारकर्ता लेखाकार जगदीश लाल साह को दोषी माना गया है। यही नहीं सामान क्रय के लिए गठित समिति के सदस्य कोषाधिकारी, सहायक अभियंता लोनिवि को घोर लापरवाह बताया है। वहीं 45 वॉट की एलईडी लाइट खरीद और उसकी फिटिंग में पालिका की ओर से संबंधित फर्म को किए गए अतिरिक्त भुगतान को राजकीय धन की क्षति बताते हुए प्रशासक पीसीएस सीमा विश्वकर्मा, ईओ अभिनव कुमार व सहायक लेखाकार को दोषी बताया है। सामान खरीद करीब 70 लाख रुपये से की गई थी।

चुनाव आयोग से बिना अनुमति करा दिए चार निर्माण कार्य, वाहन भी खरीदा

समिति ने जांच में पाया कि 15 अक्टूबर 2018 को निकाय चुनाव की आचार संहिता जारी होने के बाद ईओ अभिनव कुमार ने निकाय के पांच ठेकेदारों से 22 अक्टूबर 2018 को निविदा प्रपत्र शुल्क जमा कराकर निविदा बिक्री कर डाली। साथ ही 23 अक्टूबर 2018 को नगर पालिका में भवन का अनुरक्षण कार्य, दीनदयाल पार्क में सार्वजनिक शौचालय का निर्माण विकास भवन कार्यालय के समीप बाजार को जाने वाले सीसी मार्ग की मरम्मत व वार्ड नंबर चार में मदन सिंह के मकान से बोहरा जी के मकान तक सीसी, सड़क, दीवार व नाली निर्माण कार्य की निविदाएं खोलकर स्वीकृत कर दीं। उन्हें एक सप्ताह के अंतर्गत अनुबंध कर अवर अभियंता के निर्देशन में कार्य प्रारंभ करने का आदेश भी जारी किया गया।

जवाबाें से सतुष्‍ट नहीं जांच समिति

इसके अलावा पालिका में वाहन खरीद की जरूरत को पूरा करते हुए महेंद्रा हाइड्रोलिक पिकअप के क्रय करने की निविदा भी 23 अक्टूबर 2018 को खोली गई। इन सभी कार्यों को करने की राज्य निर्वाचन आयोग से अनुमति नहीं ली गई। इन दोनों ही मामलों में जांच समिति ने सभी के लिखित बयान भी दर्ज किए। मगर संतोषपूर्ण जवाब नहीं मिला। जिस कारण समिति ने इसे पूरी तरह से आचार संहिता का उल्लघंन मानते हुए प्रशासक सीमा विश्वकर्मा व ईओ अभिनव कुमार को पूर्ण दोषी बताया है। चारों निर्माण कार्य की लागत करीब 35 लाख और वाहन खरीद की कीमत करीब सात लाख रुपये बताई गई है।

जांच में दोषी मिलीं एसडीएम सीमा विश्वकर्मा अल्मोड़ा में हैैं  तैनात

निकाय चुनाव की आचार संहिता के दौरान पालिका में गड़बड़ी संबंधी मामले में दोषी बताई गईं पीसीएस सीमा विश्वकर्मा उस वक्त एसडीएम सदर होने के साथ ही चम्पावत पालिका की प्रशासक थीं। जो इस वक्त अल्मोड़ा में तैनात हैैं। सीमा विश्वकर्मा का नाम आने से प्रशासनिक महकमे में हलचल मची हुई है।

दैनिक जागरण ने किया था सर्वप्रथम खुलासा

दैनिक जागरण ने आरटीआइ मांग कर इस मामले को मई 2019 से प्रमुखता से प्रकाशित करता आ रहा है। जागरण ने इसकी निरंतर फॉलोअप किया। जिसका संज्ञान शासन को लेना पड़ा और मामले में दोषियों के नाम आखिरकार उजागर हुए। एसएन पांडे, जिलाधिकारी, चम्पावत ने बताया कि निकाय चुनाव की आचार संहिता के दौरान कई कार्यों के कराए जाने व वित्तीय अनियमितता सामने आई है। जांच समिति की रिपोर्ट कार्रवाई की अनुसंशा के साथ शासन को भेज दी गई है। दोषियों पर कार्रवाई शासन तय करेगा।

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