रबीन्द्रनाथ टैगोर को पहली नजर में भा गया था उत्तराखंड का हिल स्टेशन रामगढ़

विश्वविख्यात कवि और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर की आज पुण्यतिथि है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 07 Aug 2020 08:41 AM (IST) Updated:Fri, 07 Aug 2020 08:41 AM (IST)
रबीन्द्रनाथ टैगोर को पहली नजर में भा गया था उत्तराखंड का हिल स्टेशन रामगढ़
रबीन्द्रनाथ टैगोर को पहली नजर में भा गया था उत्तराखंड का हिल स्टेशन रामगढ़

हल्द्वानी, गणेश पांडे : विश्वविख्यात कवि और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर की आज पुण्यतिथि है। जिज्ञासु यायावरों की साधना स्थली रामगढ़ में कवि रबींद्रनाथ टैगोर विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना करना चाहते थे। रामगढ़ की सुरम्य वादियों से प्रभावित होकर राष्ट्रगान रचयिता ने अंग्रेज मित्र डेरियाज से भूमि खरीद ली थी। 1901 में टैगोर ने कुछ दिन यहां बिताए और गीतांजलि रचना के कुछ अंश लिखे।

कोलकाता में सात मई 1861 को जन्मे टैगोर 1901 में पहली बार रामगढ़ पहुंचे। यहां की मनोरम छटा से अभिभूत हुए तो 40 एकड़़जमीन खरीद ली। जगह को नाम दिया हिमंती गार्डन। बाद में जिसे टैगोर टॉप नाम से जाना गया। 1903 में पत्नी मृणालिनी के देहावसान के बाद टैगोर 12 वर्षीय बेटी रेनुका के साथ रामगढ़ आए। रेनुका टीबी से ग्रस्त थी। हालांकि बाद में बेटी के निधन से वह दुखी हुए। इस दौरान उन्होंने शिशु नामक कविता रची। गीतांजलि की रचना के लिए 1913 में टैगोर को साहित्य का नोबल दिया गया। गीतांजलि के कुछ अंश को उन्होंने रामगढ़ में रचा। उत्तराखंड से लगाव रखने वाले टैगोर ने सात अगस्त 1941 को संसार से विदा ले ली।

कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल में वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अतुल जोशी गुरुदेव और टैगोर टाॅप पर अध्ययन कर रहे हैं। वह बताते हैं कि टैगोर रामगढ़ में विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना करना चाहते थे। किसी कारण से बाद में शांति निकेतन कोलकाता में विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। रामगढ़ में विवि की स्थापना हुई होती तो कुमाऊं शिक्षा के हब के रूप में दुनिया के सामने होता। शांति निकेतन ट्रस्ट फॉर हिमालय रामगढ़ के टैगोर टॉप को संग्रहालय व शैक्षणिक संस्थान के रूप में विकसित करने के लिए प्रयासरत है। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी टैगोर टाॅप को विकसित करने की मंशा जता चुके हैं।

जब गुरुदेव से प्रेरित हुईं गौरा पंत

टैगोर प्रकृतिप्रेमी थे। 1927 में वह अल्मोड़ा आए और दास पंडित ठुलघरिया का आतिथ्य स्वीकारा। वह तीन से चार बार अल्मोड़ा आए। गुरुदेव की प्रेरणा से प्रसिद्ध लेखिका गौरा पंत शिवानी को अध्ययन के लिए शांति निकेतन जाने का अवसर प्राप्त हुआ। अल्मोड़ा में टैगोर जिस भवन में रुके, उसे कालांतर में टैगोर भवन नाम से जाना गया।

महादेवी वर्मा हुई थीं प्रभावित

कवयित्री महादेवी वर्मा भी टैगोर से प्रोरित थीं। उन्होंने रामगढ़ में घर बनाया था। बताते हैं कि महादेवी वर्मा 1933 में शांति निकेतन गई थीं। रामगढ़ को लेकर टैगोर व महादेवी में विस्तार से चर्चा हुई। 1936 में रामगढ़ के निकट उमागढ़ में महादेवी वर्मा ने मीरा कुटीर बनाया। बाद में महादेवी वर्मा सृजनपीठ नाम से जगह को संरक्षित कर दिया गया।

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