ह्यूमन इंडेक्स : साल 2018 की हेल्थ इंडेक्स रैंकिंग में नैनीताल जिला है टॉप पर

कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी में सेहत को लेकर लोग फिक्रमंद हो रहे हैं। मानव विकास सूचकांक (हेल्थ इंडेक्स) की 2018 की रिपोर्ट इसकी तस्दीक कर रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 04 Apr 2019 02:52 PM (IST) Updated:Thu, 04 Apr 2019 02:52 PM (IST)
ह्यूमन इंडेक्स : साल 2018 की हेल्थ इंडेक्स रैंकिंग में नैनीताल जिला है टॉप पर
ह्यूमन इंडेक्स : साल 2018 की हेल्थ इंडेक्स रैंकिंग में नैनीताल जिला है टॉप पर

हल्द्वानी, जेएनएन : कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी में सेहत को लेकर लोग फिक्रमंद हो रहे हैं। मानव विकास सूचकांक (हेल्थ इंडेक्स) की 2018 की रिपोर्ट इसकी तस्दीक कर रही है। रिपोर्ट में नैनीताल सबसे सेहतमंद जिला बनकर उभरा है। जिले में स्वास्थ्य विभाग की बेहतर कार्यप्रणाली के चलते नैनीताल के लोगों को योजनाओं का सबसे अधिक लाभ मिला है। सूची में चमोली सबसे पिछड़ा है, जबकि अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं वाले देहरादून का नंबर सातवां है।

रिपोर्ट बताती है कि नैनीताल जिले में स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ लेने के प्रति लोगों का रुझान तेजी से बदला है। दरअसल, हेल्थ इंडेक्स रैंकिंग को छह बिंदुओं की जांच बाद जारी किया गया है। इसमें सरकारी अस्पतालों में होने वाले प्रसव प्रतिशत, बच्चों का टीकाकरण, आंगनबाड़ी केंद्र जाने वाले बच्चे, सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं के लाभार्थी, सरकारी अस्पतालों में गंभीर बीमारी के इलाज और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति को मानक बनाया गया है। इन सभी बिंदुओं पर कुमाऊं का प्रदर्शन गढ़वाल की अपेक्षा बेहतर देखने को मिला। नैनीताल के बाद अल्मोड़ा, चम्पावत, बागेश्वर टॉप पर हैं।

स्वास्थ्य बीमा की स्थिति चिंताजनक

उत्तराखंड की 49 फीसद आबादी सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना के दायरे में है। महज दो फीसद लोगों ने निजी कंपनी से स्वास्थ्य बीमा कराया है। ढाई फीसद लोगों के पास अपनी कंपनी का स्वास्थ्य बीमा है। 15 फीसद से अधिक लोग ईसीएच व सीजीएचएस के दायरे में हैं। जाहिर है इस दिशा में और बेहतर परिणाम की जरूरत महसूस होती है।

सेहत पर खर्च होता है कमाई का 9.4 फीसद हिस्सा

प्रदेश में औसतन एक व्यक्ति आमदनी का 9.4 फीसद हिस्सा हर साल सेहत पर खर्च करता है। प्रदेश में प्रति व्यक्ति औसतन सेहत पर खर्च 3740 रुपये हो चुका है। हालांकि पहाड़ों पर अच्छी स्वास्थ्य सुविधा का न होना अब भी बड़ी समस्या बनी हुई है।

एक लाख आबादी पर महज 13 डॉक्टर

राज्य में एक लाख की आबादी पर केवल 13 डॉक्टर, 38 पैरामेडिकल स्टाफ व 1032 बेड उपलब्ध हैं। प्रदेश में फिजिशियन के 93, सर्जन 92 व बालरोग विशेषज्ञ के 82 फीसद पद खाली चल रहे हैं। यह आंकड़े पहाड़ का दर्द और बढ़ा देते हैं।

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