बोतल बंद से बेहतर है पहाड़ का पानी, जल संस्थान की प्रयोगशाला की जांच रिपोर्ट हुआ साबित nainital news

पर्वतीय इलाकों का पानी बंद बोतलों के पानी से बेहतर है। जल संस्थान की प्रयोगशाला की रिपोर्ट के अनुसार जांच के 19 पैमानों पर गुणवत्ता सामान्य या औसत दर्जे की पाई गई है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sat, 08 Feb 2020 05:09 PM (IST) Updated:Sat, 08 Feb 2020 05:09 PM (IST)
बोतल बंद से बेहतर है पहाड़ का पानी, जल संस्थान की प्रयोगशाला की जांच रिपोर्ट हुआ साबित nainital news
बोतल बंद से बेहतर है पहाड़ का पानी, जल संस्थान की प्रयोगशाला की जांच रिपोर्ट हुआ साबित nainital news

किशोर जोशी, नैनीताल। सरोवर नगरी समेत जिले के पर्वतीय इलाकों का पानी बंद बोतलों के पानी से बेहतर है। जल संस्थान की प्रयोगशाला की रिपोर्ट के अनुसार जांच के 19 पैमानों पर गुणवत्ता सामान्य या औसत दर्जे की पाई गई है। वहीं नैनीताल में झील के पानी की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठ रहे हों मगर सप्लाई हो रहे भूजल की गुणवत्ता बेहतर होना राहत की बात है। दरअसल, नैनीताल में झील के किनारे से बोरिंग कर निकाले गए पानी की आपूर्ति घरों में की जाती है। झील के पानी पर तमाम शोध-अध्ययन रिपोर्ट में बीमारियां फैलने की आशंका ने शहरवासियों को चिंता में डाल दिया था।

इन शोध निष्कर्षों की वजह से जनमानस में धारणा बनी कि नैनीताल के पानी की गुणवत्ता खराब है। जो सेहत के लिए नुकसानदेह होने के साथ ही बीमारियों की जड़ है। अब जल संस्थान की प्रयोगशाला में हुई जांच रिपोर्ट नैनीताल के साथ ही जिले के पूरे पर्वतीय क्षेत्र के पेयजल उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी है। जल संस्थान की प्रयोगशाला में जांच के निष्कर्षों से साफ है कि पहाड़ के पानी की गुणवत्ता बोतल बंद पानी से बेहतर है। जांच के 19 पैरामीटर में गुणवत्ता सामान्य पाई गई है। सबसे संतोषजनक तथ्य यह है कि कैंसर बीमारी की वजह आर्सेंनिक तत्व की मात्रा यहां के पानी में शून्य है। मैग्नीज, एल्म्यूमिनियम की मात्रा भी शून्य है। बेतालघाट, ओखलकांडा, धारी, रामगढ़, भीमताल व आसपास के गांवों में सप्लाई होने वाले पानी की रिपोर्ट भी सकारात्मक है। ओखलकांडा का पानी पर्वतीय जिले में सबसे शुद्ध पाया गया है।

यह है जल संस्थान की रिपोर्ट

- मटमैलापन-एक से पांच तक होना चाहिए, जो है।

- पॉवर ऑफ हाइड्रोजन-6.5 से 8.5 के मध्य है, जो सामान्य है।

- क्लोराइड प्रति लीटर 250 से एक हजार होना चाहिए, जो सामान्य है।

- हार्डनेस -200 से 600 के बीच होनी चाहिए, जो तीन सौ के आसपास है।

- कैल्शियम-75 से 200 तक होनी चाहिए, जो 50 से कम है।

- मैग्नीशियम-30 से सौ तक होना चाहिए, जो 30 से कम है।

- कैल्शियम कार्बोनेट 200 से 600 मिलीग्राम प्रति लीटर होना चाहिए, जो डेढ़ सौ है।

- टोटल डिसोल्व सॉलिड-500 से 2000 प्रति मिलीग्राम-जो डेढ़ सौ तक है।

- नाइट्रेट-45 से ऊपर नहीं होना चाहिए, जो 20 से कम है।

- कॉपर की 0.05 से 1.5 मिलीग्राम की मात्रा भी ठीक है मगर यहां जीरो है।

- सल्फेट- दो सौ से चार सौ तक ठीक है मगर यह सौ से कम है।

- आर्सेनिक-0.01 से एक तक पैमाना है, मगर यहां जीरो है।

- आयरन-एक मिलीग्राम के अंदर होना चाहिए, जो 0.2 है।

- फ्लोराइड-एक से 1.5 के मध्य- जबकि एक के दायरे में है।

- रेसीड्यूल फ्री क्लोरीन-अंडर एक सेमी होना चाहिए जो एक सेमी है

- बैक्टीरियोलॉजिकल-मोस्ट प्रोवेव नंबर सौ प्रति 3 मिलीलीटर भी ठीक है, मगर यहां जीरो है।

सप्ताह में तीन बार जांचते हैं गुणवत्ता

जल संस्थान के अधिशासी अभियंता संतोष उपाध्याय ने कहा कि नैनीताल समेत पूरे पर्वतीय क्षेत्र में पेयजल योजनाओं से सप्लाई हो रहे पानी की गुणवत्ता बोतल बंद पानी से कई गुना बेहतर है। नैनीताल में झील किनारे से बोरिंग कर निकले शुद्ध पानी को टेस्टिंग के बाद ही सप्लाई किया जाता है।

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