उत्तराखंड से विदा हुआ मानसून, शरद पूर्णिमा के बाद पूरे कुमाऊं में बढ़ जाएगी ठंड

दक्षिण-पश्चिम मानसून ने शुक्रवार को उत्तराखंड से पूरी तरह विदाई ले ली। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अक्टूबर दूसरा पखवाड़ा शुरू होते ही रात के तापमान में गिरावट भी शुरू हो जाएगी।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sat, 12 Oct 2019 12:09 PM (IST) Updated:Sun, 13 Oct 2019 10:33 AM (IST)
उत्तराखंड से विदा हुआ मानसून, शरद पूर्णिमा के बाद पूरे कुमाऊं में बढ़ जाएगी ठंड
उत्तराखंड से विदा हुआ मानसून, शरद पूर्णिमा के बाद पूरे कुमाऊं में बढ़ जाएगी ठंड

हल्द्वानी, जेएनएन : दक्षिण-पश्चिम मानसून ने शुक्रवार को उत्तराखंड से पूरी तरह विदाई ले ली। मौसम विभाग ने इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अक्टूबर दूसरा पखवाड़ा शुरू होते ही रात के तापमान में गिरावट भी शुरू हो जाएगी। आखिरी सप्ताह में रात का पारा तीन से पांच डिग्री तक लुढ़क सकता है।

तराई-भाबर समेत पूरे कुमाऊं में शरद पूर्णिमा के बाद ठंड बढऩे की संभावना है। पंतनगर विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह ने इसकी वजह बताते हुए कहा कि ठंड के लिए जरूरी समझे जाने वाले फैक्टर वेस्टर्न डिस्टरबेंस का असर उत्तर भारत पर शुरू हो गया है। सिंह के मुताबिक पिछले दो दिनों से रात का तापमान 20 डिग्री से कम है। रात का औसत तापमान 16.6 डिग्री सेल्सियस है। शुक्रवार का न्यूनतम तापमान 16.9 डिग्री व अधिकतम 31 डिग्री सेल्सियस रहा। विशेषज्ञों के अनुसार तापमान कम होने के साथ ही डेंगू का असर भी कम होने लगेगा। फिलहाल अगले कुछ दिन प्रदेश में बारिश की संभावना नहीं है।

क्या है दक्षिण-पश्चिम

दक्षिण-पश्चिमी मानसून जून और सितंबर के बीच आता है। थार का रेगिस्तान और आस-पास के इलाके उत्तरी और मध्य भारतीय महाद्वीप के भू-भाग गर्म होने पर कम दबाव वाला क्षेत्र बन जाता है। कम दबाव वाला क्षेत्र उत्तरी और मध्य भारतीय क्षेत्र में बन जाता है। इस प्रकार से जो खाली जगह बनती है उसे भरने के लिए हिंद महासागर से भाप वाली हवा तेजी से उपमहाद्वीप की तरफ चल पड़ती है। इस प्रकार की हवाएं दक्षिणी हिंद महासागर से चलती है और उत्तर की ओर बढ़ती है। विषुवत रेखा पार करने के बाद ये हवाएं धरती के घूमने के चलते खाली हो जाती है। वे भारतीय भू-भाग पर दक्षिण पश्चिम की ओर बढ़ती है और इसीलिए इन्हें दक्षिण पश्चिम मानसून कहा जाता है।

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