पर्वतीय क्षेत्रों के युवाओं को खेती से जोड़ने के लिए मंडी बोर्ड हर माह देगा युवाओं को डेढ हजार मानदेय

पलायन भले ही सरकार न रोक पा रही हो मगर अब यह काम मंडी बोर्ड करेगा। इसके लिए पर्वतीय क्षेत्र के युवकों को खेती से जोडऩे के लिए हर माह डेढ़ हजार रुपये का मानदेय दिया जाएगा।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 05 Mar 2020 05:44 PM (IST) Updated:Thu, 05 Mar 2020 05:44 PM (IST)
पर्वतीय क्षेत्रों के युवाओं को खेती से जोड़ने के लिए मंडी बोर्ड हर माह देगा युवाओं को डेढ हजार मानदेय
पर्वतीय क्षेत्रों के युवाओं को खेती से जोड़ने के लिए मंडी बोर्ड हर माह देगा युवाओं को डेढ हजार मानदेय

अरविंद कुमार सिंह, रुद्रपुर : पलायन भले ही सरकार न रोक पा रही हो, मगर अब यह काम मंडी बोर्ड करेगा। इसके लिए पर्वतीय क्षेत्र के युवकों को खेती से जोडऩे के लिए हर माह डेढ़ हजार रुपये का मानदेय दिया जाएगा। इससे युवक गांव में ही खेती कर आत्मनिर्भर बन सके। उनके उत्पाद के लिए बाजार की सुविधा होगी। इससे किसानों की आय भी दोगुनी होगी। पहले चरण में 18 गांवों का चयन किया जाएगा।

इन जिलों के युवकों काे मिलेगा योजना का लाभ

पर्वतीय क्षेत्रों में खेती की जमीन है, मगर संसाधन सीमित हैं। फसल बारिश पर निर्भर हैं। रोजगार न होने से युवक घर छोड़कर की आसपास के नजदीक जिलों या दिल्ली जैसे बड़े शहरों की ओर कमाने के लिए रुख कर रहे हैं। इससे न केवल गांव के गांव खाली हो रहे हैं, बल्कि आबादी भी कम होती जा रही है। इस पीड़ा को कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड ने समझा है। इसके लिए मंडी ग्राम्य कृषि विकास योजना तैयार की है। योजना का लाभ नैनीताल, देहरादूून, यूएस नगर व हरिद्वार को छोड़कर अन्य जिलों को मिलेगा। तीन साल तक योजना का लाभ मिलेगा, इसके बाद अन्य किसानों का चयन किया जाएगा।

प्रत्येक मंडी से दो-दो गांव चयनित होंगे

प्रत्येक मंडी से दो-दो गांव चयनित होंगे। इसके बाद गांवों के लिए तीन साल के लिए सर्वांगीण विकास की योजना तैयार होगी। राज्य में 23 मंडियां क्रियाशील हैं। पर्वतीय जिलों के किसानों की संख्या, जोत व उनकी आर्थिक स्थिति की सूचना मंडी समिति के सचिवों से जुटाई जा रही है। हर गांव से 10 से 15 युवक युवतियों का चयन होगा। भूमि का सत्यापन कराने के बाद उन्हें आधुनिक कृषि तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाएगा। कृषि वैज्ञानिकों की मदद से खाद, बीज, पौध आदि उपलब्ध कराए जाएंगे। निर्धारित दरों का केवल 10 फीसद धनराशि का भुगतान कर खाद, पौध, बीज, बल्ब आदि उपलब्ध कराया जाएगा।

अभिभावकों से लिया जाएगा एनओसी

जिन युवक-युवती किसानों के नाम भूमि दर्ज नहीं है या बटाई पर खेती कार्यों में संलग्न है, से उनके माता पिता या अभिभावक या भूस्वामी से इस संबंध में एनओसी लिया जाएगा। योजना की मॉनिटरिंग के लिए जिला व राज्य स्तरीय समिति गठित की जाएगी। किसानों को उनके उत्पाद की उचित कीमत दिलाने के लिए मार्केटिं ग की भी सुविधा मुहैया कराई जाएगी।

ऐसे होगा चयन चयनित गांवों की  15 से अधिक आबादी हो किसी अन्य योजना में अंगीकृत न हो। अधिकतम 35 नाली तक कृषि भूमि हो योग्यता इंटर पास हो दूसरे राज्य का किसान पांच साल से राज्य का स्थायी निवासी के साथ पर्वतीय क्षेत्र में कार्य कर रहा हो जिनकी भूमि समुद्रतल से करीब 12 सौ मीटर या इससे अधिक ऊंचाई पर स्थित है।

पलायन आयोग की रिपोर्ट

पलायन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2001 से 2011 तक 70 हजार लोग पैतृक गांव से पलायन कर गए हैं। 646 ग्राम पंचायतों से 16207 लोगों ने स्थायी रुप से गांव छोड़ गए हैं। इनमें सल्ट, भिकियासैंण, चौखुटिया, सियाल्दे विकास खंडों के गांव के लोग ज्यादा है। निधि यादव, प्रबंध निदेशक, मंडी बोर्ड ने बताया कि पलायन रोकने के लिए योजना का लाभ पर्वतीय क्षेत्र के सभी लोगों को मिले। इसके प्रयास किए जाएंगे। खेती की भूमि व किसानों की संख्या आदि की सूचना एकत्र कराई जाएगी। योजना में प्रत्येक किसान डेढ़ हजार रुपये मानदेय एक निर्धारित समय तक दिया जाएगा।

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