बेटे को नाबालिक साबित करने को कोर्ट में फर्जी टीसी लगाने वाली महिला को नहीं मिली जमानत

ऊधमसिंहनगर जिला जज नरेंद्र दत्त की कोर्ट ने कोर्ट में फर्जी टीसी लगाकर बेटे को नाबालिक साबित करने का प्रयास करने वाली महिला के जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है। महिला ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर जमानत की मांग की थी

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 15 Jan 2021 05:43 PM (IST) Updated:Fri, 15 Jan 2021 05:43 PM (IST)
बेटे को नाबालिक साबित करने को कोर्ट में फर्जी टीसी लगाने वाली महिला को नहीं मिली जमानत
बेटे को नाबालिक साबित करने को कोर्ट में फर्जी टीसी लगाने वाली महिला को नहीं मिली जमानत

काशीपुर, जागरण संवाददाता : ऊधमसिंहनगर जिला जज नरेंद्र दत्त की कोर्ट ने कोर्ट में फर्जी टीसी लगाकर बेटे को नाबालिक साबित करने का प्रयास करने वाली महिला के जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है। महिला ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर जमानत की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने प्रार्थना पत्र को अस्वीकार कर दिया।

14 सितंबर 2020 को थाना आइटीआइ में हिम्मतपुर हेमपुर इस्माइल निवासी सुभद्रा देवी पत्नी करण सिंह के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471 के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था। वादी लड़ैतीया देवी का कहना था कि महिला ने पहले से जेल में बंद अपने बेटे गुरबचन को नाबालिक साबित करने के लिए फर्जी टीसी एडीजे सेकंड काशीपुर की कोर्ट में पेश की। महिला बेटे को नाबालिक साबित करके उसकी सजा कम करवाना चाहती थी। मामला पकड़ में आने के बाद एडीजे सेकंड काशीपुर की कोर्ट ने आइटीआइ थाना पुलिस को मुकदमा दर्ज कर सभी जालसाजों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया था।

कोर्ट के आदेश पर महिला, उसके बेटे गुरबचन व अन्य के खिलाफ थाना आइटीआइ में मुकदमा दर्ज किया गया। विवेचना के दौरान बीते दिनों पुलिस ने महिला को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इसके बाद महिला ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर जमानत दिए जाने की मांग की। वादी पक्ष की ओर से काशीपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव आकाश ने बहस की। उन्होंने कोर्ट में कहा कि महिला का अपराध जमानत देने योग्य नहीं है। दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद कोर्ट ने गुरुवार को महिला की जमानत खारिज कर दी। अधिवक्ता संजीव आकाश ने बताया कि महिला को जिला अध्यक्ष रुद्रपुर की कोर्ट से जमानत नहीं दी गई है। महिला के प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया गया है।

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