आइएफएस संजीव ने फिर पेश की मिसाल, 2.70 लाख शहीदों के परिवारों काे दान की

आईएफएस संजीव चतुर्वेदी ने 2.70 लाख की रकम पुलवामा आतंकी हमले में शहीद सीआरपीएफ जवानों के परिजनों की मदद के लिए दान कर दी है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 06 Mar 2019 06:52 PM (IST) Updated:Wed, 06 Mar 2019 06:52 PM (IST)
आइएफएस संजीव ने फिर पेश की मिसाल, 2.70 लाख शहीदों के परिवारों काे दान की
आइएफएस संजीव ने फिर पेश की मिसाल, 2.70 लाख शहीदों के परिवारों काे दान की

नैनीताल, जेएनएन : भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के एक विवाद में आर्बिट्रेटर के रूप में नियुक्त होने के बाद इस प्रकरण में मिले फीस करीब 2.70 लाख की रकम पुलवामा आतंकी हमले में शहीद सीआरपीएफ जवानों के परिजनों की मदद के लिए दान कर दी है। यह रकम केंद्रीय गृह मंत्रालय के बनाए खाते में जमा कर दी गई है।

चतुर्वेदी को पिछले साल 12 जनवरी को चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड तथा एन्फाक्स कंपनी लि. के बीच हुए विवाद में आर्बिट्रेटर नियुक्त किया गया था। यह नियुक्ति इसलिए महत्वपूर्ण थी। क्योंकि संजीव का केंद्र सरकार से पिछले सालों से लगातार विवाद चल रहा था। चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड केंद्र शाषित चंडीगढ़ प्रशासन के अधीन हैं। इस प्रकरण मेें विवाद लगभग छह करोड़ के निर्माण कार्यों के ठेके में हुई देरी को लेकर था।

आर्बिट्रेशन अधिनियम के अनुसार एक साल की अवधि में आर्बिट्रेटर को अपना अंतिम निर्णय पारित करना होता है। संजीव ने इस साल 23 फरवरी को अंतिम निर्णय पारित किया।, लेकिन इसके पहले ही उन्होंने इस मामले में अपनी फीस को लेकर एक अहम आदेश जारी किया। आर्बिट्रेशन अधिनियम-2015 में विवादित धनराशि के अनुसार आर्बिट्रेटर की फीस तय करने का प्रावधान है। साथ ही आबिट्रेशन की प्रक्रिया में हुए प्रशासनिक व्यय का भुगतान भी संबंधित पक्षों द्वारा किया जाता है। यह धनराशि दोनों पक्षों द्वारा बराबर वहन की जाती है। अधिनियम की चतुर्थ अनुसूची के अनुसार इस पूरे प्रकरण में संजीव को तय धनराशि करीब 2.70 लाख बनती थी लेकिन उन्होंने अपनी फीस को शून्य घोषित करते हुए उक्त धनराशि को दोनों पक्षों द्वारा आधा आधा गृह मंत्रालय के द्वारा पुलवमा आतंकी हमले में शहीद सीआरपीएफ जवानों के परिजनों की सहायता के लिए बनाए गए फंड में जमा करने के आदेश दिए।

इससे पहले भी 2015 में संजीव रमन मैग्शैशे अवार्ड प्राप्त होने पर करीब 14.23 लाख की धनराधि एम्स दिल्ली में गरीब मरीजों के उपचार के लिए दान कर दी थी। एम्स के इनकार के बाद यह धनराशि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय  राहत कोष में दी गई। इस पूरे प्रकरण का विस्तार से उल्लेख पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक फरवरी को दिए आदेश में उल्लेख किया है। उनका कहना है कि देश पहले भी है।

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