हाईकोर्ट ने कहा, खनन में भारी मशीनों का प्रयोग हो या न इस पर न‍िर्णय ज‍िलाध‍िकारी लेंगे

हाईकोर्ट ने बागेश्वर के सरयू नदी में खनन के लिए भारी मशीनों के प्रयोग को जरूरी करार दिया है। कोर्ट ने साफ किया है इस सम्बंध में शिकायतों को गठित समिति के समक्ष प्रस्तुत करना होगा।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 04 Jun 2020 01:48 PM (IST) Updated:Thu, 04 Jun 2020 01:48 PM (IST)
हाईकोर्ट ने कहा, खनन में भारी मशीनों का प्रयोग हो या न इस पर न‍िर्णय ज‍िलाध‍िकारी लेंगे
हाईकोर्ट ने कहा, खनन में भारी मशीनों का प्रयोग हो या न इस पर न‍िर्णय ज‍िलाध‍िकारी लेंगे

नैनीताल, जेएनएन : हाईकोर्ट ने बागेश्वर के सरयू नदी में खनन के लिए भारी मशीनों के प्रयोग को जरूरी करार दिया है। कोर्ट ने साफ किया है इस सम्बंध में शिकायतों को गठित समिति के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। आवेदन पर समिति नियमानुसार लेगी निर्णय लेगी। समिति के निर्णय को स्वीकार-अस्वीकार करने का आखिरी निर्णय जिलाधिकारी के पास सुरक्षित रहेगा। आदेश में कोर्ट ने साफ किया कि हाईकोर्ट द्वारा खनन के लिए भारी मशीनों के उपयोग की किसी भी प्रकार की कोई अनुमति नहीं दी जा रही। यह अनुमति विशेष परिस्थितियों में नियमानुसार देने की जिम्मेदारी इसके लिए गठित समिति व जिला प्रशासन की है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ में चल रही है। 

एक जून को हाइकोर्ट ने सरयू नदी बागेश्वर में खनन कार्य में उपयोग की जाने वाली भारी मशीनों पर रोक लगाने सम्बन्धी जनहित याचिका पर सुनवाई की थी। मामले में मशीन ऑपरेटर की ओर से कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश कर मशीनों से खुदाई की अनुमति देने की मांग की गई थी। ऑपरेटर का कहना है कि मैनुअली खनन में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए मशीन से खुदाई की अनुमति दी जाए। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिकाकर्ता से तीन दिन के भीतर आपत्ति पेश करने को कहा है।

बागेश्वर निवासी प्रमोद कुमार मेहता ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि बागेश्वर नगर क्षेत्र में उपजिलाधिकारी बागेश्वर की ओर से नौ मार्च को एक निविदा प्रकाशित की गई है। जिसमें स्थानीय व्यक्तियों/संस्थाओं को सरयू नदी में रेता उपखनिज के निस्तारण उठान हेतु खुली नीलामी प्रक्रिया के लिए आमंत्रित किया गया था। जिसे याचिकाकर्ता द्वारा इस आधार पर चुनौती दी गई है कि खुली नीलामी के आड़ में प्रशासन माफिया को लाभ पहुंचाने व बड़ी मशीनों के प्रयोग जैसे जेसीबी, पोकलैंड के उपयोग की अनुमति देकर पवित्र नदी के स्वरूप को खत्म करने का प्रयास कर रहा है।

आज तक सरयू नदी में बिना मशीनों के ही चुगान होता आया है। यही कारण है बजरी रेता कभी भी बागेश्वर नगर के आसपास से गुजरने वाली सरयू नदी में इतनी अधिक मात्रा में इकठ्ठा नही हुआ जिस से आपदा अथवा भू कटाव की कोई आशंका बने। याचिकाकर्ता का यह भी कथन है कि निविदा हेतु 19 मार्च तक आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि निर्धारित की गई थी तथा खुली नीलामी 20 मार्च को की जानी थी। प्रशासन द्वारा 20 मार्च को खुली नीलामी कर दी गई ।

नीलामी को निरस्त करने के लिए स्थानीय लोगों द्वारा इस संबंध में जिलाधिकारी बागेश्वर को 13 मार्च को संयुक्त प्रत्यावेदन भी दिया जा चुका था लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होने पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि कठायतबाड़ा, सेंज, द्वाली, चौरासी, भिटालगांव, मनीखेत और आरे क्षेत्र से सरयू नदी पर मैनुअल चुगान से बजरी रेता का निष्पादन हो। ऐसा करने से स्थानीय लोगों को न सिर्फ रोजगार मिलेगा बल्कि नदी भी अपने प्राकृतिक रूप में सुरक्षित रहेगी।

प्रशासन द्वारा बड़े खनिज माफियाओं को इसमें आमंत्रित करके पवित्र नदी को बहुत क्षति पहुचेगी जहाँ मशीनों द्वारा खनन से अनेकों पुलों व पानी के पम्प को खतरा उत्पन्न हो जाएगा। याचिकाकर्ता का यह आरोप भी है कि सरयु नदी में रेता बजरी की मात्र के बिना आकलन के ही नियम विरुद्ध नीलामी की जा रही है जो कि उत्तराखंड रिवर ट्रेनिंग नीति 2020 के प्रावधानों के विपरीत है।

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