देश के अंतिम गांव माणा में विलुप्ति प्रजाति की औषधियों को संरक्षित करेगा वन विभाग

बद्रीनाथ धाम के पास स्थित अंतिम गांव कहे जाने वाले माणा में वन अनुसंधान केंद्र विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुकी प्रजातियों का संरक्षित करने की योजना बना रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 28 Mar 2019 06:04 PM (IST) Updated:Thu, 28 Mar 2019 06:04 PM (IST)
देश के अंतिम गांव माणा में विलुप्ति प्रजाति की औषधियों को संरक्षित करेगा वन विभाग
देश के अंतिम गांव माणा में विलुप्ति प्रजाति की औषधियों को संरक्षित करेगा वन विभाग

हल्द्वानी, जेएनएन : बद्रीनाथ धाम के पास स्थित अंतिम गांव कहे जाने वाले माणा में वन अनुसंधान केंद्र विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुकी प्रजातियों काे संरक्षित करने की योजना बना रहा है। वन अनुसंधान केंद्र ने इसके लिए माणा, मुनस्यारी व देववन (चकराता) तीन जगहों पर केंद्र बनाए हैं। उच्च हिमालयी क्षेत्र के ये इलाके 3200-4000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं।

वनसंपदाओं के लिहाजा से समृद्ध उत्तराखंड में हर तरह की वनस्पतियां पाई जाती हैं, जिनका विशेष औषधीय इस्तेमाल भी है। हालांकि बेहतर रखरखाव के अभाव में कई प्रजातियां ऐसी हैं, जिन पर संकट बढ़ रहा है। अन्य कारण जलवायु परिवर्तन व अत्यधिक दोहन भी है, जिसके चलते वन अनुसंधान केंद्र ने इन प्रजातियों के संरक्षण पर काम शुरू कर दिया है। नए केंद्रों पर माणा सबसे ज्यादा ऊंचाई पर है। प्लॉटिंग के  साथ यहां फेंसिंग का काम भी पूरा हो चुका है।

ब्रह्मकमल, बूटी व खास फूल

माणा में राज्य फूल ब्रह्मकमल के अलावा उच्च क्षेत्र में मिलने वाली खास जड़ी-बूटियों को संरक्षित किया जाएगा। इसके अलावा विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी में मौजूद पुष्प भी यहां लगाए जाएंगे।

हर्ब, सर्प व ट्री तीनों कैटेगिरी

वन अनुंसधान केंद्र अधिकारियों के मुताबिक, वनस्पतियों में तीन प्रजाति हर्ब, सर्प व ट्री होती है। माणा, मुनस्यारी व देववन में सभी कैटेगिरी की वनस्पति संरक्षित होंगी। इनमें पुष्प, बूटी व बड़े पेड़ भी शामिल होंगे।

प्लॉट काटकर बनेगी नर्सरी

अनुसंधान केंद्र की योजना छोटे-छोटे प्लॉट काटकर उन पर काम करने की है। नर्सरी में पौध तैयार करने के बाद उन्हें दूसरी जगह ट्रांसफर किया जाएगा। हालांकि संबंधित वनस्पति के अनुकूल वातावरण होने पर ही योजना सफल होगी।

गंभीरता से काम कर रहा वन अनुंसधान केन्‍द्र

आरसी कांडपाल, डीएफओ, सिलवासाल क्षेत्र हल्द्वानी ने बताया कि वन अनुसंधान केंद्र गंभीरता के साथ योजना पर काम कर रहा है। उच्च हिमालयी क्षेत्र की वनस्पतियों को खत्म होने से बचाना जरूरी है। तीनों केंद्र पर फेंसिंग का काम पूरा हो चुका है। बेहतर परिणाम मिलने की पूरी उम्मीद है।

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