हरिद्वार-दून में मंजूनाथ, 11 जिलों में गुंज्याल के निर्देशन में होगी छात्रवृत्ति घोटाले की जांच

हाईकोर्ट ने समाज कल्याण विभाग में करीब पांच सौ करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में सुनवाई करते हुए आदेश पारित की।

By Edited By: Publish:Sat, 06 Jul 2019 06:00 AM (IST) Updated:Sat, 06 Jul 2019 01:00 PM (IST)
हरिद्वार-दून में मंजूनाथ, 11 जिलों में गुंज्याल के निर्देशन में होगी छात्रवृत्ति घोटाले की जांच
हरिद्वार-दून में मंजूनाथ, 11 जिलों में गुंज्याल के निर्देशन में होगी छात्रवृत्ति घोटाले की जांच

नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने समाज कल्याण विभाग में करीब पांच सौ करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया है कि हरिद्वार-देहरादून जिले में घपले की जांच आइपीएस के मंजूनाथ जबकि राज्य के शेष 11 जिलों में एसआइटी के प्रभारी आइजी संजय गुंज्याल के नेतृत्व में होगी। अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद नियत की गई है। उधर, कोर्ट घोटाले के आरोपित विभाग के संयुक्त निदेशक गीता राम नौटियाल के मामले में सुनवाई करते हुए सरकार से दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में देहरादून के राज्य आंदोलनकारी रवींद्र जुगरान की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा 2003 से अब तक एससी-एसटी के छात्रों को छात्रवृत्ति का पैसा नहीं दिया, जिससे साफ जाहिर होता है कि विभाग में करोड़ों का घोटाला हुआ है। 2017 में इस घपले की जांच के लिए मुख्यमंत्री द्वारा एसआइटी का गठन किया गया था। साथ ही तीन माह में जांच पूरी करने को कहा था, लेकिन इसके बाद मामले में आगे कार्रवाई नहीं हो सकी। याचिकाकर्ता ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। इधर, शुक्रवार को गीताराम नौटियाल की गिरफ्तारी पर रोक को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार से दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।


सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष बताया गया कि राष्ट्रीय एसटी कमीशन ने नौटियाल के शिकायती पत्र पर सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव, डीजीपी, एसएसपी हरिद्वार को नोटिस जारी किया है। आयोग ने दो सप्ताह में जवाब मांगा है। कमीशन में जवाब दाखिल करने तक गिरफ्तारी नहीं हो सकती। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को कहना था कि छात्रवृत्ति का बजट 2006 के शासनादेश के अनुसार सीधे जिलों को ट्रांसफर किया गया था। एसआइटी द्वारा इस शासनादेश की गलत व्याख्या की जा रही है जबकि मुख्य सचिव की ओर से पेश प्रति शपथ पत्र में भी यह तथ्य शामिल किया गया है। कोर्ट ने सरकार से दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

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