आपदा आई ही नहीं पिथौरागढ़ में बगैर जरूरत के स्वीकृत कर दिए तीन पैदल पुल, ग्रामीण नाराज

जिस क्षेत्र में आपदा आई ही नहीं वहां एक सूखे नाले में तीन पैदल पुल स्वीकृत कर दिए गए हैं। इस नाले से आवागमन होता ही नहीं हैं। भड़के पंचायत प्रतिनिधियों ने इसे सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला बताते हुए जांच की मांग की है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 30 Dec 2020 08:17 PM (IST) Updated:Wed, 30 Dec 2020 08:17 PM (IST)
आपदा आई ही नहीं पिथौरागढ़ में बगैर जरूरत के स्वीकृत कर दिए तीन पैदल पुल, ग्रामीण नाराज
ग्रामीण और क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधि इस नाले में तीन पैदल पुलों की स्वीकृति से आश्चर्य में हैं।

जागरण संवाददाता, मदकोट (पिथौरागढ़) : दैवीय आपदा मद में होने वाली गड़बडिय़ां समय-समय पर सामने आती रहती हैं। सीमांत क्षेत्र मदकोट में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जिस क्षेत्र में आपदा आई ही नहीं वहां एक सूखे नाले में तीन पैदल पुल स्वीकृत कर दिए गए हैं। इस नाले से आवागमन होता ही नहीं हैं। भड़के पंचायत प्रतिनिधियों ने इसे सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला बताते हुए जांच की मांग की है।

मदकोट कस्बे के नजदीकी राफ्ती और गैला गांव की सीमा में बहने वाले एक नाले में तीन पैदल पुल स्वीकृत किए गए हैं। करीब 25 लाख की धनराशि इन पुलों के लिए स्वीकृत की गई है। वर्ष के नौ माह में सूखे रहने वाले इन नाले से किसी तरह का आवागमन नहीं है। ग्रामीण और क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधि इस नाले में तीन पैदल पुलों की स्वीकृति से आश्चर्य में हैं।

ग्राम प्रधान संंगठन के अध्यक्ष एवं राफ्ती गांव के प्रधान धमेंद्र कुमैया, गैला की ग्राम प्रधान रजनी सोरागी ने कहा है कि जिस क्षेत्र में कोई आपदा ही नहीं आई और जिस नाले से आवागमन लगभग शून्य है ऐसे नाले में तीन-तीन पैदल पुलों की स्वीकृति सरकारी धन की बर्बादी है। इस धनराशि को आपदा से प्रभावित क्षेत्र में लगाया जाना चाहिए। पंचायत प्रतिनिधियों ने इस मामले की जांच की मांग करते हुए कहा कि एक सप्ताह में जांच नहीं कराई गई तो वे ग्रामीणों को साथ लेकर विकास खंड कार्यालय में धरने पर बैठ जाएंगे। अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत अभिषेक खोलिया ने बताया कि पुलों की स्वीकृति के मामले की अभी जानकारी नहीं है। ग्रामीणों को पुल स्वीकृति पर आपत्ति है तो इस मामले को देखा जाएगा।

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