ब्रह्मांड में पृथ्वी से रोचक नहीं है कोई दूसरा ग्रह : प्रो. पांडे

भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के अंतर्गत एरीज आउटरीच प्रोग्राम दिवस का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 Sep 2018 08:39 PM (IST) Updated:Tue, 18 Sep 2018 08:39 PM (IST)
ब्रह्मांड में पृथ्वी से रोचक नहीं है कोई दूसरा ग्रह : प्रो. पांडे
ब्रह्मांड में पृथ्वी से रोचक नहीं है कोई दूसरा ग्रह : प्रो. पांडे

जागरण संवाददाता, नैनीताल : विज्ञान के क्षेत्र में भारतीय सोच प्राचीनकाल से समृद्ध रही है। यह और बात है कि वैश्विक स्तर पर हम इसका लाभ नहीं ले सके। विज्ञान भारती के उपाध्यक्ष प्रो. कमल पांडे ने भारतीय अंतराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के तहत एरीज आउटरीच प्रोग्राम दिवस पर यह विचार बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए। इस मौके पर विभिन्न विद्यालयों से आए बच्चों ने ब्रह्मांड की बारीकियों समेत गूढ़ रहस्यों को जाना।

प्रो. पांडे ने कहा कि अनंत में फैले ब्रह्मांड में पृथ्वी से रोचक कोई दूसरा ग्रह नहीं है। इसके अकल्पनीय विकास से धरती पर पर्यावरण जबकि मानव विकास व जरूरत के साथ विज्ञान का जन्म हुआ। एरीज निदेशक डॉ. अनिल कुमार पांडे ने कहा कि विज्ञान व समाज एक सिक्के के दो पहलू हैं। लिहाजा जरूरत विज्ञान को समाज के बेहतर विकास के लिए कार्य करना होगा। इस दिशा में एरीज ने कई अनेक सुविधाएं जुटाई हैं। डॉ. एसबी पांडे ने कहा कि तारों का संसार सृष्टि में विशेष स्थान रखता है। वर्तमान में विश्व के 75 फीसद वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं। वायुमंडलीय वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र सिंह ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हम सबकी जिम्मेदारी है। इस अवसर पर विज्ञान केंद्र समन्वयक रविंद्र यादव, हरीश तिवारी, डॉ. अभीजीत बरसीलिया, डॉ. गोपाल जोशी, गीता मेहरा, दीपा आर्या समेत विभिन्न विद्यालयों को विद्यार्थी मौजूद थे। वैज्ञानिकों को भाए विज्ञान के मॉडल

एरीज आउटरीच दिवस पर बच्चों के प्रदर्शित खगोल विज्ञान में सौरमंडल व दूरबीनों के मॉडलों को दर्शकों ने खूब प्रशंसा की। पर्यावरण संरक्षण को लेकर प्रदर्शित मॉडल जीव-जंतु, जल व वृक्षों के संरक्षण का संदेश दे रहे थे। मॉडल जीआइसी व जीजीआइसी नैनीताल, जीआइसी ज्योलीकोट व जीआईसी पटवाडांगर के विद्यार्थियों ने बनाए थे। लालच ने कहर ढाया पर्यावरण पर

प्रो. कमल पांडे ने कहा कि पर्यावरण ने धरती में स्थापित सभी प्राणियों की जरूरतों को पूरा किया है, लेकिन मानव ने अपनी जरूरत से कहीं आगे जाकर लालच में आकर पर्यावरण पर कहर ढाया है। इसीका परिणाम है कि आज जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिग जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं।

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