National Anti-Terrorism Day 2022: आतंकवादियों से लड़ते हुए अब तक अल्मोड़ा के 33 जवान हो चुके शहीद
National Anti-Terrorism Day 2022 आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए कुमाऊं भर के सैनिकों ने अपना योगदान दिया है। जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार अल्मोड़ा जिले में 1914 से लेकर अब तक कुल 159 प्रमाणित शहीदों के नाम दर्ज हैं।
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा: कुमाऊं देवभूमि के साथ ही सैन्य पृष्ठ भूमि के नाम से भी जानी जाती है। युद्ध में दुश्मनों को लोहा मनवाना हो या फिर आतंकवाद से लड़ाई सभी में यहां के जवानों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आजादी के समय से ही सेना उत्तराखंड की वीरभूमि ने साहसी सैनिकों को मातृभूमि के लिए प्राण न्योछावर को तैयार किए हैं। कुमाऊं रेजीमेंट का सेना में एक गौरवाशाली इतिहास रहा है। आज भी यहां के अधिकांश युवा सेना में जाने के लिए तत्पर रहते हैं।
अल्मोड़ा जिले में अब तक 33 जाबांज आतंकवादियों से लड़ाई में वीरगति को प्राप्त होकर हमेशा के लिए अमर हो चुके हैं। जबकि 12 जाबांज आज भी सेना में सेवारत और सीमाओं पर आंतकवादियों को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं।
सीमाओं पर हो या देश के भीतर कोई आंतकवादी घटना। सेना, अद्धसैनिक बलों, पुलिस के जवानों ने अपने शौर्य, पराक्रम का अद्वितीय परिचय देते हुए देश की सुरक्षा की। संसद में हमला, मुम्बई अटैक, दिल्ली बम ब्लास्ट, पुलवामा घटना जैसी कई घटनाएं है। जवानों के अद्म्य साहस ने आतंकवादियों के मंसूबे कभी पूरे नहीं होने दिए। आज भी यह शहीद अन्य जवानों को प्रेरणा दे रहे हैं।
देश की सुरक्षा के साथ आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए कुमाऊं भर के सैनिकों ने अपना योगदान दिया है। जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार अल्मोड़ा जिले में 1914 से लेकर अब तक कुल 159 प्रमाणित शहीदों के नाम दर्ज हैं।
विभिन्न युद्धों में यह शहीद वीरगति को प्राप्त हुए। इसके साथ ही आतंकवाद को खत्म करने के लिए भी अल्मोड़ा जिले के सैनिकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जिले के 33 जाबांज अब तक आतंकवाद से लड़ते हुए शहीद हुए हैं। जिन्हें जिले के साथ पूरे देश में हमेशा याद किया जाता है। जबकि 12 सेवारत सैन्य अधिकारी और जवान भी आतंकवाद से लोहा मनवा चुके हैं। इन 12 जाबांजों को शौर्य चक्र, सेना मैडल, सीओएएस, मैंसन इन डिल्पेन आदि सम्मान मिल चुके हैं।