संस्कृत और संस्कृति एक-दूसरे के पूरक

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : संस्कृत और संस्कृति एक-दूसरे के पूरक हैं। भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देन

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Aug 2017 10:50 PM (IST) Updated:Sun, 13 Aug 2017 10:50 PM (IST)
संस्कृत और संस्कृति एक-दूसरे के पूरक
संस्कृत और संस्कृति एक-दूसरे के पूरक

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : संस्कृत और संस्कृति एक-दूसरे के पूरक हैं। भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने से संस्कृत को बल मिलेगा और हमारा देश समृद्ध बनेगा। विधायक बंशीधर भगत ने महादेव गिरि महाराज की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही।

देवलचौड़ स्थित महादेव गिरि संस्कृत महाविद्यालय में चल रहे संस्कृत सप्ताह का रविवार को समापन हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि कालाढूंगी विधायक ने कहा कि महादेव गिरि ने हल्द्वानी में संस्कृत महाविद्यालय की शुरुआत कर प्राचीन भारतीय संस्कृति को प्रोत्साहित करने का काम किया। पिछले कुछ सालों में संस्कृति का तेजी से क्षरण हुआ है। युवा पीढ़ी मातृभाषा से दूर हो रही है। भाजपा जिलाध्यक्ष प्रदीप बिष्ट ने कहा कि संस्कृत को समृद्ध बनाने के लिए सरकार प्रयासरत है।

प्रबंधक नवीन वर्मा ने विद्यालय में खाली चल रहे आचार्य के पद भरने, विद्यालय में योग और ज्योतिष पाठ्यक्रम शुरू कराने की मांग रखी। खंड शिक्षाधिकारी एचके मिश्रा, महामंडलेश्वर परेशयति महाराज, सोमेश्वर यति महाराज, डॉ. उर्वीस चंद्र मिश्रा, हरीश चंद्र बेलवाल, डॉ. नवीन चंद्र बेलवाल, प्रधानाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी, संजय सुनाल, डॉ. चंद्र प्रकाश, डॉ. चंद्र बल्लभ बेलवाल, तारा चंद्र पांडे ने संबोधन किया। विद्यालय में उच्च अंक प्राप्त करने वाले छात्र भाष्कर भट्ट, पंकज शर्मा, दीपक जोशी, भाष्कर जोशी को अतिथियों ने पदक देकर सम्मानित किया गया।

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दो लाख रुपये देने की घोषणा

विधायक बंशीधर भगत ने विद्यालय के कंप्यूटर खरीद के लिए विधायक निधि से दो लाख रुपये देने की घोषणा की। उन्होंने स्कूल में आचार्य के रिक्त पद भरने और नए कोर्स शुरू करने के लिए विशेष प्रयास करने की बात कही। बोले देश के शीर्ष पदों पर हिन्दुत्व पृष्ठभूमि के लोगों के बैठने का इतना लाभ तो मिलना ही चाहिए।

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