राष्ट्र निर्माण को समाज हो एकजुट, न बैठें सरकार के भरोसे: अनिल ओक

संघ दर्शन स्वयंसेवक समागम कार्यक्रम में आरएसएस के अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक ने कहा कि यदि राष्ट्र में परिवर्तन करना है तो हिंदू समाज को संगठित होना पड़ेगा।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sun, 03 Feb 2019 06:12 PM (IST) Updated:Sun, 03 Feb 2019 08:46 PM (IST)
राष्ट्र निर्माण को समाज हो एकजुट, न बैठें सरकार के भरोसे: अनिल ओक
राष्ट्र निर्माण को समाज हो एकजुट, न बैठें सरकार के भरोसे: अनिल ओक

रुड़की, जेएनएन। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक ने कहा कि सरकार का हित जहां होता है वह वहीं जाती है। सरकार की ओर से कभी भी राष्ट्र का निर्माण नहीं किया जाता है, बल्कि समाज से ही राष्ट्र का निर्माण होता है। इसलिए सरकार के भरोसे न बैठें। राष्ट्र में परिवर्तन करने के लिए हिंदू समाज खुद ही एकजुट हो। यह बात उन्होंने आरएसएस की ओर से आयोजित संघ दर्शन स्वयंसेवक समागम में बतौर मुख्य अतिथि कही।

आरएसएस की ओर से रविवार को शहर के नेहरू स्टेडियम में संघ दर्शन स्वयंसेवक समागम का आयोजन किया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित आरएसएस के अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक ने कहा कि वर्तमान में जहां देश बाहर से आसुरी शक्तियों जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन, श्रीलंका आदि से घिरा हुआ है, वहीं देश के अंदर भ्रष्टाचार, घूसखोरी आदि बुराइयां व्याप्त हैं। ऐसे में समाज को गलत परंपरा, रूढि़वादिता आदि से दूर करके ही संस्कृति को विकसित किया जा सकता है। किसी भी देश की संस्कृति के आधार पर राष्ट्र को पहचाना जाता है और कई सारे मूल्यों को इकठ्ठा करके ही संस्कृति बनती है।

कहा कि संघ कर्मकांड में विश्वास नहीं रखता है। क्योंकि धार्मिक कर्मकांड धर्म नहीं हो सकता है, बल्कि समाज के लिए किया गया कार्य ही धर्म होता है। वहीं जो देश से प्रेम करता है, भारत माता की जय बोलता है, संस्कृति को अपनाता है और पूर्वजों को मानता है, उसे ही हिंदू कहा जा सकता है। देश में आरएसएस ही एक ऐसा संगठन है जो धार्मिक, राजनीतिक या किसी अन्य क्षेत्र विशेष की बात नहीं करता है, बल्कि संपूर्ण राष्ट्र की बात करता है।

कहा कि मनुष्य दो तरह से जीवन जीता है। एक सफल जीवन और दूसरा सार्थक जीवन। सफल जीवन जीने वाले हैसियत बनाते हैं, जबकि सार्थक जीवन जीने वाले हस्ती बनते हैं और आरएसएस हस्ती बनाता है जो राष्ट्र का निर्माण करते हैं। अनिल ओक ने कहा कि राजनीति देश का महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन 24 घंटे राजनीति को देने की जरूरत नहीं है। संघ दिशा और नीति देने का काम करता है। बातों और तथ्यों के आधार पर मार्गदर्शन कर यह बताता है कि राजनीति में कैसे लोगों को पहुंचना चाहिए।

कहा कि आज पूरा विश्व मार्गदर्शन के लिए भारत की ओर देख रहा है। ऐसे में भारत को स्वाभिमान और स्व: गौरव पर डटे रहते हुए विश्व का मार्गदर्शन करना चाहिए। उन्होंने स्वयंसेवकों से प्रतिदिन राष्ट्र के लिए एक घंटे का समय निकालने और बच्चों को संघ की शाखाओं में भेजने का आह्वान किया। इस समागम में रुड़की के अलावा झबरेड़ा, लंढौरा, नारसन, मंगलौर, भगवानपुर, पनियाला, बेलड़ा, डाडा आदि खंडों की 112 शाखाओं से करीब पांच हजार स्वयंसेवक उपस्थित रहे। इस मौके पर मदरहुड विश्वविद्यालय के कुलपति डा. नरेंद्र शर्मा, नगर संघ चालक जल ङ्क्षसह, जिला संघ चालक प्रवीण, विभाग संघ चालक रामेश्वर, प्रांत प्रचार प्रमुख किसलय कुमार, पदम, सुशील, युद्धवीर, ऋतुरात, भारत भूषण, अरङ्क्षवद, मनोज, शरद, अनुज, प्रताप, त्रिभुवन, रमेश, संजय, नितिन, बंशी, नीरज, संजय कक्कड़ समेत काफी संख्या में में स्वयंसेवक उपस्थित रहे। 

गणवेश में पहुंचे सभी स्वयंसेवक 

समागम में सभी स्वयंसेवक गणवेश में नजर आए। इसमें हर आयु के गणवेशधारक शामिल हुए। समागम के दौरान सभी स्वयंसेवक जमीन पर बैठे और कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अनुशासन का परिचय दिया। वहीं कार्यक्रम की शुरुआत में स्वयंसेवकों ने योग भी किया। कार्यक्रम देखने के लिए स्वयंसेवकों के अलावा कुछ शहरवासी भी उपस्थित रहे। उधर, आरएसएस की ओर से समागम में 11 हजार स्वयंसेवकों के शामिल होने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था लेकिन संघ इस आंकड़े को छूने में काफी पीछे रह गया।

समागम में एक साथ नजर आई तीन से चार पीढ़ियां

नेहरू स्टेडियम में आयोजित संघ दर्शन स्वयंसेवक समागम में एक साथ तीन और चार पीढ़ियां देखने को मिलेगी। हकीमपुर तुर्रा निवासी करीब 102 वर्षीय सुलखा सिंह अपने 70 वर्षीय बेटे चंद्रपाल सिंह, 42 वर्षीय पोते किसलय कुमार और 14 वर्षीय पर पोते क्रांति के साथ समागम में पहुंचे। सुलखा सिंह ने बताया कि वे देश की आजादी के पहले से आरएसएस से जुड़े हुए हैं। आरएसएस एक ऐसा संगठन है जिसका उद्देश्य राष्ट्र निर्माण है। देश के प्रति प्रेम और राष्ट्र हित की भावना ही इनकी पीढ़ी दर पीढ़ी को संघ से जोड़ती रही। 14 वर्षीय क्रांति ने बताया कि वह संघ की ओर से संचालित शाखा में प्रतिदिन जाता है। यहां पर देश के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित किया जाता है। जो उसे बहुत अच्छा लगता है। इनके अलावा श्याम नगर निवासी ब्रजपाल धीमान की भी तीन पीढ़ि‍यों ने इसमें एक साथ हिस्सा लिया। ब्रजपाल धीमान ने बताया कि उनके बेटे मनोज धीमान एवं अमित धीमान और पोता आरव धीमान संघ से जुड़ा हुआ है। 

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