इन्होंने कोरोनाकाल में जरूरतमंदों के घर तक पहुंचाए भोजन के पैकेट, एप तैयार कर दी थी राहत
अस्पतालों में चिकित्सक कोरोना से जंग लड़ रहे थे तो बाहर प्रशासनिक अधिकारियों ने कोविड गाइडलाइन का पालन जांच आइसोलेशन सहित अन्य व्यवस्था में अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। कोरोना की दस्तक के दौरान कुछ ऐसा ही जज्बा दिखाया नगर निगम रुड़की की नगर आयुक्त नूपुर वर्मा ने।
दीपक मिश्र, रुड़की। अस्पतालों में चिकित्सक कोरोना से जंग लड़ रहे थे तो बाहर प्रशासनिक अधिकारियों ने कोविड गाइडलाइन का पालन, जांच, आइसोलेशन सहित अन्य व्यवस्था में अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। कोरोना की दस्तक के दौरान कुछ ऐसा ही जज्बा दिखाया नगर निगम रुड़की की नगर आयुक्त नूपुर वर्मा ने। इस दौरान वह स्वयं भी कोरोना से संक्रमित हो गई थी। लेकिन, इसके बाद भी उन्होंने कोरोना से जंग की रफ्तार को धीमा नहीं पड़ने दिया। कोरोना की दूसरी लहर में भी नगर आयुक्त फिर से उसी जोश के साथ कोरोना को हराने में जुट गई हैं।
नगर आयुक्त नूपुर वर्मा ने पिछले साल कोरोना को हराने के लिए जो कार्य किया, उसके लिए पूरा शहर उनको सम्मान देता है। उन्होंने अपने कार्य क्षेत्र से आगे बढ़कर लॉकडाउन के समय सामाजिक संगठनों और सामाजिक व्यक्तियों से मिलकर प्रतिदिन डेढ़ से दो हजार भोजन के पैकेटे तैयार करवाए। जिसे शहर में उन परिवारों तक पहुंचाया, जिन्हें भोजन की जरुरत थी। उन्होंने नगर निगम की ओर से एक हेल्प लाइन नंबर भी जारी किया था। जिस पर कॉल करने के आधे से एक घंटे के भीतर व्यक्ति तक भोजन पहुंच जाता था।
शहर को सैनिटाइज करने के लिए एक मशीन तैयार कराई। जिसकी कीमत करीब 17 लाख रुपये थी। लेकिन नगर आयुक्त ने इस मशीन को संस्थानों के विशेषज्ञों की मदद से महज दो लाख में तैयार कराया। जिससे प्रतिदिन शहर में सैनिटाइजेशन का कार्य होता रहा। इसके उन्होंने कोविड सैंपल के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के विशेषज्ञों की मदद से ऐसे बूथ बनवाए जिससे सैंपल लेने के दौरान कोई संक्रमण का खतरा न रहे। इससे पीपीई किट की भी जरुरत नहीं रह गई थी। पूरे जिले में यह सैंपल कलेक्शन बॉक्स लगे हैं। जो अभी भी सैंपल कलेक्शन के काम आ रहे हैं।
दूसरी लहर में भी कोरोना से जंग की तैयारी
नगर निगम रुड़की के कोरोना काल में किए गए कार्यों के चलते ही नगर निगम को नेशनल स्कॉच अवार्ड मिला था। नगर आयुक्त नूपुर वर्मा कोरोना के खिलाफ इस जंग में स्वयं 26 सितंबर 2020 को कोरोना संक्रमित हो गई थी, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने काम जारी रखा। परिवार एवं बच्चों से खुद को करीब 20 दिन तक अलग रखा।
वह कोरोना संक्रमण के दौरान लगातार फोन पर नगर निगम की टीम के संपर्क में रहती थी। नगर आयुक्त नुपूर वर्मा ने बताया कि जिलाधिकारी एवं उच्चाधिकारियों से समय-समय पर दिशा-निर्देश मिलते रहे। जिसके चलते वह निगम की टीम के साथ मिलकर कोरोना के खिलाफ जंग लड़ती रही। कोरोना की दूसरी लहर में उन्होंने सैनिटाइजेशन का काम शुरू करा दिया है। इसके लिए 45 टीम बनाई हैं।
एप तैयार कराकर दी थी राहत
रुड़की में लॉकडाउन के समय शहरवासियों को घर के जरूरी सामान की दिक्कत न हो, इसके लिए नगर आयुक्त नूपुर वर्मा ने अन्नपूर्णा और संजीवनी मोबाइल एप बनवाया था। अन्नपूर्णा एप में ऐसी परचून की दुकानों के नाम थे जो ऑर्डर पर शहरवासियों को घर पर ही जरुरी सामान पहुंचा रहे थे। जबकि संजीवनी एप में मेडिकल स्टोर के नाम लिखे गए थे। यह मेडिकल स्टोर घर तक दवाई पहुंचाते थे। इसके लिए कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं था।
यह भी पढ़ें- यहां सामूहिक श्रमदान से मिला जल संकट का निदान, आठ गांवों ने खड़ा किया जन आंदोलन
Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें