गजब: ढाई माह में दिया जवाब, पढ़ने में नहीं आ रहा पत्र

दैनिक जागरण ने दो नवंबर 2018 को अधीक्षण अभियंता कार्यालय से हरिद्वार मंडल क्षेत्र की विद्युत संबंधित जानकारी मांगी थी। करीब ढाई माह बाद ऊर्जा निगम का हास्यास्पद जवाब आया।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sat, 19 Jan 2019 01:15 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jan 2019 01:15 PM (IST)
गजब: ढाई माह में दिया जवाब, पढ़ने में नहीं आ रहा पत्र
गजब: ढाई माह में दिया जवाब, पढ़ने में नहीं आ रहा पत्र

हरिद्वार, अनूप कुमार। ऊर्जा निगम की कार्यप्रणाली समझ से परे है। कभी अपनी लापरवाही तो कभी लेट-लतीफी के चलते निगम अक्सर विवादों में घिरा रहता है। ताजा मामला सूचना का अधिकार (आरटीआइ) अधिनियम से जुड़ा है।

दरअसल, दैनिक जागरण ने दो नवंबर 2018 को अधीक्षण अभियंता कार्यालय से हरिद्वार मंडल क्षेत्र की विद्युत संबंधित जानकारी मांगी थी। करीब ढाई माह बाद 16 जनवरी 2019 को ऊर्जा निगम का हास्यास्पद जवाब आया है। ऊर्जा निगम के अधिशासी अभियंता प्रदीप कुमार ने यह कहते हुए सूचना देने से इन्कार कर दिया कि 'पत्र पढ़ने में नहीं आ रहा है, इसलिए दोबारा पत्र भेजें।' निगम की ओर से भेजे गए पत्र में कहीं भी यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि उन्हें क्या पढ़ने में नहीं आ रहा। न ही उन्होंने संबंधित पत्र की छायाप्रति ही भेजी। यहां सवाल यह भी उठता है कि आरटीआइ के तहत सूचना देने की अधिकतम अवधि 30 दिन है तो निगम को जवाब देने में ढाई माह क्यों लग गए। क्या निगम ढाई माह तक पत्र पढ़ने की कोशिश कर रहा था?

दो नवंबर से नौ जनवरी तक आखिर कहां था पत्र

विभागों में पारदर्शिता बनाए रखने में आरटीआइ अहम भूमिका निभाता है। लेकिन, अक्सर विभाग या तो सूचना देने में आनाकानी करते हैं या फिर सूचना न देने का कोई बहाना बना देते हैं। ऊर्जा निगम हरिद्वार भी कुछ यही रास्ता अपना रहा है। कार्यालय खंड अधिकारी उत्तराखंड पावर कार्पोरेशन की ओर से अधिशासी अभियंता प्रदीप कुमार के भेजे गए जवाबी पत्र में लिखा है कि आरटीआइ के तहत भेजा गया पत्र उन्हें नौ जनवरी 2019 को प्राप्त हुआ। जबकि, दैनिक जागरण ने दो नवंबर 2018 को ही पत्र प्राप्त करा दिया था। जिसकी पावती (रिसीविंग) भी हमारे पास है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि दो नवंबर से नौ जनवरी तक पत्र आखिर कहां था?

यह मांगी थी जानकारी 

अधीक्षण अभियंता कार्यालय ऊर्जा निगम से हरिद्वार उपमंडल क्षेत्र में ट्रांसफार्मर और बिजली के तार बदले जाने, आवंटित बजट, क्षेत्र में हो रही बिजली चोरी, बिजली चोरी के कारण, औद्योगिक क्षेत्र में बिजली चोरी की स्थिति और इसे न रोके जाने की वजह आदि को लेकर समस्त प्रक्रिया पूरी करते हुए सूचना मांगी थी।

डीएम लगा चुके हैं फटकार

ऊर्जा निगम हरिद्वार को अपनी लचर कार्यप्रणाली के चलते जिलाधिकारी हरिद्वार दीपक रावत कई बार फटकार लगा चुके हैं। एक बार संबंधित कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी को सुबह-सुबह बुलाकर उन्होंने विद्युत तारों और ट्रांसफार्मर बदले जाने को लेकर जानकारी मांगी। संतोषजनक जवाब न देने पर अधिकारी को फटकार भी लगाई गई थी।

बहानेबाजी में फंस चुका निगम

ऊर्जा निगम को शासन ने रोशनाबाद सहित कई इलाकों के जर्जर तारों, ट्रांसफार्मर बदलने के लिए पिछले वर्ष समय पर बजट आवंटित कर दिया था। बावजूद इसके निगम ने काम में अनावश्यक देरी की। इस पर सवाल उठे तो बहाना यह बनाया गया कि प्रशासनिक मुख्यालय रोशनाबाद है। प्रशासनिक अधिकारी काम शुरू करने के लिए आवश्यक बिजली कटौती नहीं करने दे रहे। इस बारे में जब डीएम को पता चला तो उनका कहना था कि निगम ने इस मामले में कभी अनुमति ही नहीं मांगी।

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