यहां कम रीडिंग दिखाने के बाद खराब कर दिए गए मीटर, जानिए

उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाने के लिए बिलों में कम रीडिंग दर्शाने और बाद में मीटर को खराब करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Tue, 03 Sep 2019 07:09 PM (IST) Updated:Wed, 04 Sep 2019 09:10 AM (IST)
यहां कम रीडिंग दिखाने के बाद खराब कर दिए गए मीटर, जानिए
यहां कम रीडिंग दिखाने के बाद खराब कर दिए गए मीटर, जानिए

रुड़की, जेएनएन। रुड़की मंडल में उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाने के लिए बिलों में कम रीडिंग दर्शाने और बाद में मीटर को खराब करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। कलियर क्षेत्र में तीन उपभोक्ताओं की बिजली की रीडिंग बेहद कम कर दी गई, इसके बाद मीटर को खराब करने की कोशिश की गई। अवर अभियंता की छानबीन में यह मामला पकड़ में आया है। अधिशासी अभियंता ने पूरे मामले में रिपोर्ट तलब की है। वहीं, अवर अभियंता ने मामले की तहरीर पुलिस को दी है। 

रुड़की मंडल में मीटर रीडर निगम को नुकसान पहुंचाने के चक्कर में उपभोक्ताओं की रीडिग ही बेहद कम दर्शा रहे हैं। मामला पकड़ में न आए, इसके चलते बाद में मीटर को खराब कर दिया जाता है। पिछले दिनों कलियर बिजलीघर पर तैनात अवर अभियंता रामकुमार ने कई उपभोक्ताओं के मीटर चेक किए गए तो कुछ जगह मीटर खराब मिले। इसी बीच उन्हें तीन उपभोक्ता ऐसे मिले, जिनके मीटर खराब दर्शाए गए, लेकिन वह चालू मिले। जब मीटर में दर्ज रीडिंग का मिलान किया गया तो एक मीटर में 820 यूनिट दर्ज थी, लेकिन जो बिल जारी किया गया उसमें महज 20 यूनिट ही जारी की गई। 

इसी तरह से एक उपभोक्ता को 3995 यूनिट का बिजली बिल जारी किया गया, जबकि उसके मीटर में 15,376 यूनिट दर्ज थी। इसके अलावा एक अन्य उपभोक्ता के मीटर में 5358 यूनिट बिजली दर्ज थी लेकिन यहां पर उसको बिजली का बिल मात्र 800 यूनिट का ही जारी किया गया था। इस मामले की जानकारी जब अधिशासी अभियंता विजयपाल ङ्क्षसह को मिली तो उन्होंने रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में अवर अभियंता की ओर से कलियर थाने में तहरीर भी दी गई है। 

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तीन माह पहले भी पकड़ा था डेढ़ लाख का घपला 

तीन माह पहले तत्कालीन सहायक अभियंता मोहम्मद उस्मान ने कलियर क्षेत्र में डेढ़ लाख का घपला पकड़ा था। दरअसल मीटर की रीडिंग से करीब डेढ़ लाख रुपये कम का बिल उपभोक्ता को दे दिया गया। जब रुड़की से एक मीटर रीडर को मौके पर भेजकर रीडिंग ली गई तो पूरा मामला पकड़ में आ गया। इसके बाद मीटर को ही गायब कर दिया गया। जब सहायक अभियंता राजस्व ने मुकदमा दर्ज कराने की बात कही तो मीटर मिल गया। 

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