महामंडलेश्वर अर्जुनपुरी ने कुंभ स्नान बहिष्कार की दी चेतावनी

जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर और हरिद्वार के तुलसीमानस मंदिर के परमाध्यक्ष स्वामी अर्जुन पुरी ने कुंभ मेला कार्यों पर नाराजगी जताते हुए कुंभ स्नान के बहिष्कार की चेतावनी दी है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 07:48 PM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 07:48 PM (IST)
महामंडलेश्वर अर्जुनपुरी ने कुंभ  स्नान बहिष्कार की दी चेतावनी
महामंडलेश्वर अर्जुनपुरी ने कुंभ स्नान बहिष्कार की दी चेतावनी

जागरण संवाददाता, हरिद्वार : जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर और हरिद्वार के तुलसीमानस मंदिर के परमाध्यक्ष स्वामी अर्जुन पुरी ने कुंभ मेला कार्यों पर नाराजगी जताते हुए कुंभ स्नान के बहिष्कार की चेतावनी दी है। सोमवार शाम तुलसीमानस मंदिर में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कुंभ मेले की व्यवस्थाओं को लेकर सरकार और मेला अधिष्ठान की नीतियों पर सवालिया निशान लगाए। आरोप लगाया कि सरकार और प्रशासन धर्मविरोधी कार्य कर रही है। सनातन संस्कृति को प्रभावित करने वाले आदेश लागू कर हिदू समाज की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

उन्होंने कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर प्रतिबंध लगाने का विरोध करते हुए कहा कि यह न्यायसंगत नहीं था। पूर्व में भी कई धार्मिक आयोजनों पर सरकार और प्रशासन ने रोक लगाई, जोकि गलत थी। मांग की कि कोरोना से संबंधित आदेश राजनीतिक कार्यक्रमों पर भी लागू होने चाहिए। कोरोना संक्रमण का भय दिखाकर धर्मनगरी व संतों की आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, संत एकजुट होकर इसका विरोध करेंगे। आरोप लगाया कि कुंभ से संबंधित तमाम निर्माण कार्य आधे-अधूरे हैं, सड़कें टूटी हुई है। मठ-मंदिरों के सौंदर्यीकरण के कार्य अधर में है। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि भी इस पर नाराजगी जता चुके हैं, लेकिन कुंभ मेला अधिष्ठान और सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है। उन्होंने तंज कसा कि इतिहास में कुंभ की इस तरह की तैयारी दुर्भाग्यपूर्ण है, व्यवस्थाएं नहीं बन पा रही है। बाहर से आने वाले यात्री, श्रद्धालुओं को कोरोना के नाम पर रोका जा रहा है। उन्होंने अखाड़ा परिषद के संत महापुरुषों से भी अपील की कि वह सभी एकजुट होकर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि से हस्तक्षेप कर कुंभ मेले की व्यवस्थाओं में सुधार कराने की पहल के लिए कहें। इस मौके पर उनके साथ मौजूद चेतन ज्योति आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानंद व महंत संविदानंद ने भी आधे-अधूरे निर्माण कार्यों पर नाराजगी जताई।

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