कड़कनाथ का मांस और अंडा बढ़ाता है रोग प्रतिरोधक क्षमता, जानिए और भी खासियत

अब हरिद्वार जिले में कड़कनाथ पालन कर लोग रोजगार भी हासिल करने लगे हैं। कड़कनाथ मुर्गे का मांस और अंडा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी कारगर है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Wed, 24 Jun 2020 06:11 PM (IST) Updated:Wed, 24 Jun 2020 09:07 PM (IST)
कड़कनाथ का मांस और अंडा बढ़ाता है रोग प्रतिरोधक क्षमता, जानिए और भी खासियत
कड़कनाथ का मांस और अंडा बढ़ाता है रोग प्रतिरोधक क्षमता, जानिए और भी खासियत

हरिद्वार, बसंत कुमार। मध्य प्रदेश के झाबुआ और अलीराजपुर जिलों में मुख्य रूप से पाए जाने वाले कड़कनाथ मुर्गे का मांस और अंडा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी कारगर है। कड़कनाथ में सामान्य मुर्गों की तुलना में न केवल अधिक प्रोटीन होता है, बल्कि कई अन्य पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं। अब हरिद्वार जिले में कड़कनाथ पालन कर लोग रोजगार भी हासिल करने लगे हैं।

इन दिनों कोरोना संक्रमण को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर विशेष जोर दे रहे हैं। ऐसे में कड़कनाथ मुर्गे के मांस और अंडे काफी लाभदायक हैं। दरअसल, सामान्य कुक्कुटों की तुलना में कड़कनाथ के मांस में 10 गुना ज्यादा आयरन पाया जाता है। वहीं 25.47 प्रतिशत तक प्रोटीन भी होता है, जबकि सामान्य प्रजाति में 18 से 20 प्रतिशत तक प्रोटीन होता है। कृषि विज्ञान केंद्र धनौरी के वैज्ञानिक डॉ. नीलकांत की मानें तो कड़कनाथ के मांस और अंडे से हीमोग्लोबिन की मात्रा खून में बढ़ जाती है।

इसके अलावा विटामिन बी-1, बी-2, बी-6, बी-12, सी और ई, नाइयासिन, कैल्शियम और फास्फोरस भी प्रचुर मात्र में होता है। इसे खाने से दमा, खांसी, श्वास संबंधी रोग, एलर्जी और हृदय रोग आदि दूर होते हैं। वहीं सामान्य मुर्गों में 13 से 25 प्रतिशत तक वसा होती है और कड़कनाथ में बेहद कम 0.73 से 1.03 प्रतिशत वसा होता है, जिसके चलते मोटापा भी नहीं बढ़ता। कृषि विज्ञान केंद्र धनौरी के प्रभारी डॉ. पुरुषोत्तम कुमार ने बताया कि हाल ही में 22 लोगों को कड़कनाथ पालन का निश्शुल्क प्रशिक्षण दिया जा चुका है, जिन्हें केंद्र की ओर से 20-20 चूजे दिए जा चुके हैं।

दोगुने दाम पर बिकते हैं अंडे और मांस

कृषि विज्ञान केंद्र धनौरी के वैज्ञानिक डॉ नीलकांत ने बताया कि सामान्य मुर्गी का अंडा औसतन पांच रुपये में बिकता है, जबकि कड़कनाथ का अंडा सामान्य रूप से 10 रुपये में आसानी से बिक जाता है। इसकी मार्केट अच्छी बन जाए तो अंडे के दाम 40 से 50 रुपये तक बढ़ सकता है। कड़कनाथ डेढ़ साल तक अंडे देते हैं। वहीं, सामान्य प्रजाति एक साल तक अंडे देती है। कड़कनाथ का मांस कम से कम 350 रुपये प्रतिकिलो बिक रहा है, जबकि सामान्य मुर्गे का मांस 150 रुपये प्रतिकिलो है। ऐसे में कड़कनाथ पालन से दोगुनी आमदनी की जा सकती है।

कड़कनाथ से पाएं स्वरोजगार

एक साल पहले मंडावली के कार्तिक ने 50 चूजे पाले थे। अब उनके पास 70 चूजे हैं। इनसे वह खेतीबाड़ी के साथ ही पांच से छह हजार रुपये प्रतिमाह अतिरिक्त आय प्राप्त कर रहे हैं। वहीं नारसन खुर्द गांव की रहने वाली शालू ने नवंबर में 300 चूजों का पालन शुरू किया था। इनमें से 200 चूजे अभी तक मांस के लिए तैयार कर बेचे चुके हैं, जिनसे 70 हजार रुपये की आय प्राप्त हो चुकी है। वहीं, 100 चूजे अंडा देने की प्रक्रिया में आ चुके हैं। वह बताती हैं कि काम को बढ़ाने के लिए अंडों से चूजे तैयार करने की योजना बना रही हैं। तेल्लीवाला के किसान रईस अहमद घर के पीछे के हिस्से की जमीन में 50 कड़कनाथ पाल रहे हैं। जनवरी से शुरू किए गए इस काम से वह खेतीबाड़ी के अतिरिक्त 20 हजार रुपये कमा चुके हैं।

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नारसन क्षेत्र में पहली बार तैयार किए गए कड़कनाथ मुर्गी फार्म का कृषि विज्ञान केंद्र धनौरी के अधिकारियों ने निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों को मुर्गी पालन के संबंध में जानकारी दी। नारसन विकासखंड के नारसन खुर्द गांव निवासी सुधीर कुमार ने कड़कनाथ मुर्गी फार्म का निर्माण किया है। कृषि विज्ञान केंद्र धनौरी की ओर से इसमें तकनीकी सहयोग दिया गया है। मंगलवार को केंद्र के अधिकारियों ने इस फार्म का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान सह निदेशक पशुपालन डॉ. नीलकांत ने कहा कि कड़कनाथ प्रजाति मूल रूप से मध्य प्रदेश के जिला झाबुआ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में पाई जाती है। यह जंगली मुर्गा है। आदिवासियों की भाषा में इस मुर्गें का नाम कालामासी है। उन्होंने बताया कि इस फार्म हाउस पर अंडे का उत्पादन शुरू किया है। 

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