लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार पर बाबा रामदेव ने कांग्रेस को दे डाली ये सलाह, जानिए

कांग्रेस की करारी हार पर योगगुरु बाबा रामदेव ने कांग्रेस को गंगा स्नान और गीता पाठ करने की सलाह दी है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sun, 26 May 2019 07:53 PM (IST) Updated:Sun, 26 May 2019 08:07 PM (IST)
लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार पर बाबा रामदेव ने कांग्रेस को दे डाली ये सलाह, जानिए
लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार पर बाबा रामदेव ने कांग्रेस को दे डाली ये सलाह, जानिए

हरिद्वार, जेएनएन। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार पर योगगुरु बाबा रामदेव ने कांग्रेस को गंगा स्नान और गीता पाठ करने की सलाह दी है। कहा, कि तन और मन की शुद्धता के लिये यह जरूरी है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को विवेकी बताते कहा कि उन्होंने कांग्रेस को अनाथ होने से बचा लिया।

रविवार को पतंजलि योगपीठ में पत्रकारों से बातचीत में पूछे गए एक सवाल के उत्तर में बाबा ने यह टिप्पणी की। योगगुरु ने कहा कि अब विपक्ष को कम से कम पंद्रह से बीस साल तक अनुलोम- विलोम और कपालभाति करनी होगी। चुनाव में पराजय से उपजे तनाव को दूर करने में भी यह मददगार साबित होगी। उन्होंने कहा कि राहुल को अमेठी में अपनी हार सुनिश्चित होती दिख रही थी, इसलिए राहुल ने केरल में वायनाड से नामांकन कर विवेकपूर्ण निर्णय लिया। ऐसा करके उन्होंने कांग्रेस को अनाथ होने से भी बचा लिया। 

शपथ ग्रहण में भाग लेने से जुड़ा सवाल टाल गए

योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि चुनाव परिणाम आते ही उन्होंने सभी वरिष्ठों को शुभकामनाएं दी थी। शपथ ग्रहण समारोह से जुड़े सवाल को वे टाल गए, हां इतना जरूर कहा कि समारोह में पिछली बार आचार्य बालकृष्ण गये थे, इस बार भी वही जाएंगे। 

आचार्य बालकृष्ण को यूएनएसडीजी सम्‍मान पूरे देश के लिए गौरव की बात

आपको बता दें इससे पहले पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए यूएनओ की संस्था यूनाइटेड नेशन सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल यानी (यूएनएसडीजी) के जरिए विश्व के 10 सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्व अवॉर्ड दिए जाने को बाबा रामदेव ने बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि उन्हें यह पुरस्कार जांबिया और जिंबाब्वे के स्वास्थ्य मंत्रियों के कर कमलों से प्राप्त हुआ। योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि यह सम्मान पूरे देश के लिए गौरव का विषय है। विश्व में पहली बार ऐसा सम्मान किसी भारतीय को मिला है। उन्होंने कहा कि जिनेवा में यूएनएसडीजी द्वारा आयोजित स्वास्थ्य सम्मेलन के उद्घाटन में आचार्य ने विश्व की सबसे प्राचीन परंपरा योग और आयुर्वेद के प्रभाव को उसकी मूल भाषा संस्कृत में बताकर विश्व पटल पर इस भाषा को ख्याति पहुंचाई है।

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