ज्ञान का स्त्रोत है संस्कृत भाषा: अवधेशानंद गिरि

संवाद सहयोगी, हरिद्वार : जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने गुरुकुल क

By Edited By: Publish:Thu, 01 Sep 2016 09:43 PM (IST) Updated:Thu, 01 Sep 2016 09:43 PM (IST)
ज्ञान का स्त्रोत है संस्कृत  भाषा: अवधेशानंद गिरि

संवाद सहयोगी, हरिद्वार : जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में संस्कृत संभाषण सप्ताह के उद्घाटन अवसर पर कहा कि इस संसार में जो भी श्रेष्ठ है, वह संस्कृत है। भारतीय संस्कृति तथा समस्त ज्ञान का मूल संस्कृत भाषा है।

गुरुवार को गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में संस्कृत-संभाषण सप्ताह का उद्घाटन तथा महर्षि दयानंद सभागार का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने कहा कि संसार के समस्त ज्ञान का मूल स्त्रोत संस्कृत भाषा है। संस्कृत के ज्ञान से ईश्वरीय सत्ता को सहज ही प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह संसार ध्वनि और प्रकाश से बना है। ध्वनि का मूल स्त्रोत भी संस्कृत है। जीवन की माधुर्य शक्ति भी संस्कृत में है। आज का वैज्ञानिक शोध यह प्रमाणित करता है कि सुप्त अथवा मृत प्राय नाड़ियां संस्कृत की विभिन्न ध्वनियों से जागृत की जा सकती हैं। इस मौके पर पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि संस्कृत और संस्कृति की बात हमारी अपनी बात है। संस्कृत परिवेश में पलने का मौका परमात्मा की कृपा से प्राप्त होता है। भारतीय संस्कृत, साहित्य तथा शास्त्रों में वह सब कुछ है जिसे दुनिया तलाशने में लगी है। गुरुकुल कांगड़ी विवि के कुलपति डॉ. सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि भारत में संस्कृत से संस्कार और संस्कार से संस्कृति का प्रादुर्भाव होता है। इस मौके पर डॉ. महावीर अग्रवाल, कुलसचिव प्रो. विनोद शर्मा आदि ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन प्रो. सोमदेव शतांषु ने किया। छात्र मनीश झा ने सोमवेद पाठ तथा संस्कृत छात्राओं पूजा, ज्योति, गौरी, राधा तथा अर्चना ने संस्कृत गीत, स्वागत गीत प्रस्तुत किए।

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