जिनसे हैं उम्मीद वे हैं चुनावी हलचल से अंजान, पढ़िए पूरी खबर
शिक्षा का हब कहे जाने वाले देहरादून के युवा देश में होने वाले चुनावों से अंजान है। कई युवाओं को यह भी नहीं पता कि वर्तमान में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं या विस चुनाव।
देहरादून, दीपिका नेगी। आंकड़ों पर गौर करें तो भारत 2025 में सबसे ज्यादा युवाओं वाला देश होगा। मतलब साफ है कि भारत का राजनीतिक भविष्य भी ये युवा ही तय करेंगे। बावजूद इसके शिक्षा का हब कहे जाने वाले देहरादून के युवा देश में होने वाले चुनावों से अंजान है। इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि दून के कई युवाओं को यह भी नहीं पता कि वर्तमान में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं, या विधानसभा। उन्हें संसदीय सीटों तक की जानकारी नहीं है।
जहां देश का हर कोना चुनावी शोर में डूबा है। नए वोटर्स को रिझाने के लिए हर राजनीतिक पार्टी कई हथकंडे अपना रही है। लगातार बैठकें और सम्मेलन करवाए जा रहे हैं। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। जिन नए वोटर्स से राजनीतिक पार्टियों को उम्मीद है उनमें से आधों को तो चुनाव की जानकारी तक नहीं है। कई ऐसे हैं जिन्हें यह तक नहीं पता कि आने वाले चुनाव कौन चुना जाने वाला है। दैनिक जागरण ने गुरुवार को चुनावी मुद्दों को लेकर एमकेपी पीजी कॉलेज और डीएवी कॉलेज की छात्राओं पर एक सर्वे किया। जिसके तहत कुछ छात्राओं से उनके आदर्श उम्मीदवार के बारे में बातचीत की गई। इनमें सत्तर प्रतिशत को चुनाव के संबंध में जानकारी ही नही है। बाकि तीस प्रतिशत को अपने क्षेत्र और राज्य के सांसद सीट का नहीं पता।
यह है स्थिति
एमकेपी की बीए प्रथम वर्ष की कुरैशा, अजराना को नहीं पता कि देश में लोक सभा चुनाव होने वाले हैं। बीकॉम प्रथम वर्ष के प्रियंका, भावना सिंह भी आने वाले लोस चुनावी हलचल से बेपरवाह हैं। मनीषा कुमारी के पास राजनीतिक विज्ञान है, फिर भी वह इसके इतर इसमें रूचि नहीं रखतीं। वहीं आराधना का वोटर कार्ड ही नहीं बन पाया है।
कई मतदाताओं के नहीं बने वोटर कार्ड
बातचीत के दौरान पता चला कि इनमें भी कई छात्राओं के अभी तक वोटर कार्ड नहीं बन पाए हैं। ऐसे में मतदान अवश्य करें, एक-एक वोट कीमती है जैसे नारे सफल नजर नहीं आ रहे हैं।
युवा मतदाता पलट सकते हैं किस्मत
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों पर नजर डालें तो राज्य में 18 से 29 आयुवर्ग के मतदाताओं की कुल संख्या 21,20,218 है। जो कि कुल मतदाताओं 76,98,293 का 27.54 है।
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