World Snake Day: सांपों की कई प्रजातियां संकट में, विशेषज्ञ बोले- 93 फीसद नहीं होते जहरीले, इनका संरक्षण जरूरी
World Snake Day सांप का नाम सुनकर आमतौर पर हर कोई चौंक जाता है लेकिन सांपों की कई प्रजातियां संकट में हैं। विशेषज्ञों के अनुसार 93 फीसद सांप जहरीले नहीं होते हैं। साथ ही जहरीले सांप भी केवल अपने बचाव में हमला करते हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून। World Snake Day सांप का नाम सुनकर आमतौर पर हर कोई चौंक जाता है। सांप देखकर डर जाना कोई विचित्र बात भी नहीं, लेकिन सांपों की कई प्रजातियां संकट में हैं। विशेषज्ञों के अनुसार 93 फीसद सांप जहरीले नहीं होते हैं। साथ ही जहरीले सांप भी केवल अपने बचाव में हमला करते हैं। इसलिए आमजन को इनके संरक्षण के लिए भी आगे आना चाहिए।
उत्तराखंड भौगोलिक दृष्टि से वन्यजीवों के लिए एक समृद्ध प्रदेश है। यहां हिमालयी क्षेत्रों में सांपों की कई दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से एक प्रजाति हिमालयन पिट वाइपर की है, जो अधिकतम ऊंचाई पर पाया जाता है और बेहद खतरनाक होता है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने बताया कि वन विभाग की ओर से सांपों के संरक्षण को विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। हिमालयन कैट स्नेक भी बेहद दुर्लभ है और कम जहरीली प्रजाति का है। सबसे दुर्लभ सांपों में से एक लाल मूंगा खुखरी सांप जिसे रेड कोरल खुखरी स्नेक भी कहा जाता है, यह उत्तराखंड में बेहद दुर्लभ है।
इसके अलावा ब्लैक हेडेड स्नेक कुमाऊं में आसानी से दिख जाता है। हालांकि, यह बेहद आकर्षक बनावट के कारण खास है। पहाड़ों में हिमालयन त्रिंकेट, हिमालयन कैट स्नेक, ब्लैक हेडेड स्नेक, हिमालयन माउंटेन कील्बैक आदि को विशेष श्रेणी की रेप्टाइल प्रजाति माना गया है। देश में कुल पाई जाने वाली करीब 270 प्रजातियों में से अधिकतर उत्तराखंड में मिल जाती हैं। इनमें 15 ही ऐसी प्रजातियां हैं, जो बेहद जहरीली हैं।
सांपों के रखवाले की आमजन से अपील
वन कर्मी रवि जोशी को दून में सांपों के रखवाले के रूप में जाना जाता है। कैंसर से लड़ रहे रवि जोशी उपचार के दौरान भी सांप और अन्य वन्यजीवों के प्रति चिंताशील हैं। विश्व सर्प दिवस पर उन्होंने फेसबुक के माध्यम से आमजन से सांपों के संरक्षण की अपील की है। उन्होंने कहा है कि हमारे वन और वन्यजीव दोनों की सुरक्षा सबकी जिम्मेदारी है। जबकि, सांपों को अक्सर खतरनाक समझकर मार दिया जाता है। उन्होंने कहा कि घर के आसपास सांप दिखने पर वन विभाग को सूचित करें। उनके संरक्षण में सहयोग करें।
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