19 साल बाद उत्तराखंड की जल नीति का मसौदा तैयार, होंगे ये काम

19 साल के लंबे इंतजार के बाद उत्तराखंड को अब जल नीति मिलने जा रही है। इसका मसौदा तैयार हो चुका है जिसे कैबिनेट की अगली बैठक में रखा जाएगा।

By Edited By: Publish:Wed, 04 Sep 2019 03:00 AM (IST) Updated:Wed, 04 Sep 2019 08:09 AM (IST)
19 साल बाद उत्तराखंड की जल नीति का मसौदा तैयार, होंगे ये काम
19 साल बाद उत्तराखंड की जल नीति का मसौदा तैयार, होंगे ये काम

देहरादून,  राज्य ब्यूरो। 19 साल के लंबे इंतजार के बाद उत्तराखंड को अब जल नीति मिलने जा रही है। इसका मसौदा तैयार हो चुका है, जिसे कैबिनेट की अगली बैठक में रखा जाएगा। सिंचाई विभाग की ओर से तैयार किए गए नीति के मसौदे में जल संरक्षण के लिए खाल-चाल (छोटे-बड़े तालाबनुमा गड्ढे) के पारंपरिक तौर-तरीकों को शामिल करने के साथ ही जलस्रोतों के पुनर्जीवीकरण पर खास फोकस किया गया है। कृषि के लिए सूक्ष्म सिंचाई (माइक्रो इरिगेशन) पर जोर दिया गया है। राज्य में छोटे हाइड्रो प्रोजेक्ट और घराट को तवज्जो देने, पानी के सदुपयोग के मद्देनजर इसे स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने समेत कई सुझाव दिए गए हैं। 

प्रदेश में सूखते जलस्रोतों ने हर किसी को बेचैन किया हुआ है। नीति आयोग की रिपोर्ट पर ही गौर करें तो यहां 300 के करीब जलस्रोत व छोटी नदियां सूख चुके हैं। भूजल का भी अनियंत्रित दोहन हो रहा है। ऐसे में राज्य में दिक्कतें नजर आने लगी हैं। इस सबको देखते हुए लंबे इंतजार के बाद अब जाकर सिंचाई विभाग के जरिये जल नीति का मसौदा तैयार किया गया है। 

बताया गया कि पेयजल, वन, ग्राम्य विकास समेत विभिन्न विभागों के सहयोग से ये मसौदा तैयार किया गया है। इसमें प्रदेश में प्रतिवर्ष होने वाली बारिश के पानी को सहेजने पर जोर दिया गया है। 11 सितंबर को होने वाली कैबिनेट में जल नीति का मसौदा मंजूरी के लिए रखा जाएगा। 

जल नीति के मसौदे के मुख्य बिंदु 

-जलस्रोत पुनजीर्वीकरण को ठोस पहल -ग्रेविटी आधारित योजनाओं को बढ़ावा। -मीटर आधारित चौबीसों घंटे पानी -भूजल का होगा नियंत्रित दोहन। 

-अवैध रूप से पंपिंग पर कार्रवाई। 

-नहरों का होगा आधुनिकीकरण। 

-जल भंडारण के होंगे प्रभावी उपाय। 

-कृषि के लिए ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा। 

-उद्योग दूषित जल को करें उपचारित। 

-राज्यभर में स्थापित होंगे वाटर एटीएम। 

-चिह्नित होंगे संवेदनशील क्षेत्र। 

-वाटर मैनेजमेंट रेग्युलेटरी कमीशन का गठन। 

-कम जल खपत की कृषि को प्रोत्साहन। 

-पेयजल की गुणवत्ता पर फोकस। 

-नहर तोड़कर नहीं ले सकेंगे पानी। 

-कृषक विकास संघ होंगे गठित। 

-वर्षा जल संरक्षण को होंगे प्रभावी उपाय। 

-पानी के उपयोग का रखेंगे लेखा-जोखा। 

-हाईड्रो प्रोजेक्ट वाली नदियों में न्यूनतम प्रवाह अनिवार्य। 

-स्प्रिंग पुनर्जीवीकरण को राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की और जीबी पंत विवि का लेंगे सहयोग। 

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समझना होगा पानी का महत्व 

प्रदेश की सिंचाई सचिव डॉ.भूपिंदर कौर औलख के मुताबिक, पानी के महत्व को सभी को समझना होगा। यह समय की मांग है। पानी से जुड़े विभिन्न विभागों के सहयोग से जल नीति का मसौदा तैयार किया गया है। इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। मंजूरी मिलने के बाद जल नीति की नियमावली तैयार की जाएगी।

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