उत्‍तराखंड के सीएम हरीश रावत के जवाब से सीबीआइ संतुष्ट नहीं

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत स्टिंग सीडी को लेकर सीबीआइ के सवालों को जवाब नहीं दे पा रहे हैं। लगभग पांच घंटे की पूछताछ के बाद सीबीआइ फिर से उन्हें तलब कर सकती है।

By sunil negiEdited By: Publish:Tue, 24 May 2016 11:37 AM (IST) Updated:Wed, 25 May 2016 06:00 AM (IST)
उत्‍तराखंड के सीएम हरीश रावत के जवाब से सीबीआइ संतुष्ट नहीं

देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत स्टिंग सीडी को लेकर सीबीआइ के सवालों को जवाब नहीं दे पा रहे हैं। लगभग पांच घंटे की पूछताछ के बाद सीबीआइ फिर से उन्हें तलब कर सकती है। पूछताछ के बाद रावत ने कहा कि उन्हें सात जून को फिर से सीबीआइ मुख्यालय में आने को कहा गया है। लेकिन सीबीआइ ने यह साफ नहीं किया कि हरीश रावत किन-किन सवालों का सही जवाब नहीं दे पाए हैं।

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सीबीआइ इस मामले की प्रारंभिक जांच कर रही है।
दूसरे समन पर हरीश रावत सुबह 11 बजे ही सीबीआइ मुख्यालय पहुंच गए थे। लगभग पांच घंटे की पूछताछ के बाद रावत को जाने तो दिया गया, लेकिन इस हिदायत के साथ कि उन्हें बाद में फिर आना पड़ेगा। खुद रावत ने बताया कि उन्हें सात जून को आने के लिए कहा गया है। लेकिन सीबीआइ अपनी ओर से कुछ नहीं कह रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उनसे दोबारा पूछताछ की तारीख का फैसला बाद में लिया जाएगा।
दोबारा पूछताछ की जरूरत के बारे में पूछे जाने पर वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हरीश रावत के कुछ जवाबों से वे संतुष्ट नहीं हैैं और उनके बारे में उनसे नए सिरे से पूछताछ की जाएगी। लेकिन किन-किन सवालों से जांच एजेंसी संतुष्ट नहीं है, यह बताने से उन्होंने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि केस की जांच अहम मोड़ पर है और ऐसे में इस बारे में कुछ नहीं बताया जा सकता है।

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गौरतलब है कि 26 मार्च को एक पत्रकार ने हरीश रावत के साथ बातचीत की सीडी बना ली थी। बातचीत में रावत बागी विधायकों को पैसे का प्रलोभन देते दिख रहे हैं।फारेंसिक जांच से साफ हो गया है कि स्टिंग की सीडी में कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। राज्यपाल शासन के दौरान इसकी जांच का अनुरोध आने के बाद सीबीआइ ने प्रारंभिक जांच का केस दर्ज कर लिया था। सीडी की बातचीत को सत्यापित करने के लिए सीबीआइ ने एक बागी विधायक से पूछताछ भी है। जिसने हरीश रावत द्वारा 2.5 करोड़ रुपये और अहम पद की पेशकश करने का बयान दिया है। वैसे हरीश रावत ने दोबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद जांच से बचने की कोशिश की। उन्होंने कैबिनेट से सीबीआइ जांच की अनुशंसा को वापस लेने का प्रस्ताव पारित करा लिया। लेकिन सीबीआइ ने कानूनी सलाह लेने के बाद दूसरी अनुसंशा को मानने से इनकार कर जांच जारी रखने का फैसला किया।

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