हजारों कर्मचारी ट्विटर पर उठाएंगे पुरानी पेंशन बहाली की मांग

उत्तराखंड में चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण धरना प्रदर्शन भी प्रतिबंधित हैं। ऐसे में तमाम कर्मचारी संगठन भी अपनी समस्याओं और मांगों को लेकर डिजिटल माध्यम से आवाज बुलंद कर रहे हैं। कर्मचारी पुरानी पेंशन की मांग ट्विटर के जरिए उठाएंगे।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Thu, 27 Jan 2022 09:46 AM (IST) Updated:Thu, 27 Jan 2022 09:46 AM (IST)
हजारों कर्मचारी ट्विटर पर उठाएंगे पुरानी पेंशन बहाली की मांग
तमाम कर्मचारी संगठन भी अपनी समस्याओं और मांगों को लेकर डिजिटल माध्यम से आवाज बुलंद कर रहे हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून: उत्तराखंड में चुनावी सरगर्मियां चल रही हैं। आचार संहिता लागू होने के कारण धरना-प्रदर्शन भी प्रतिबंधित हैं। ऐसे में तमाम कर्मचारी संगठन भी अपनी समस्याओं और मांगों को लेकर डिजिटल माध्यम से आवाज बुलंद कर रहे हैं। प्रदेश में हजारों कार्मिकों ने पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे को ट्विटर के माध्यम से उठाने का एलान किया है।

नई पेंशन योजना से आच्छादित देशभर के लाखों कार्मिक राज्य व केंद्र सरकार के खिलाफ महाअभियान चलाएंगे। आगामी एक फरवरी को ट्विटर पर पोस्टर के माध्यम से पुरानी पेंशन बहाली की मांग उठाई जाएगी। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीपी सिंह रावत ने कहा कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव को देखते हुए पुरानी पेंशन बहाली मांग मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण है। सभी कार्मिकों को इंटरनेट मीडिया पर सक्रियता बढ़ाने को कहा है।

फेसबुक, ट्विटर हर पटल पर विशेष रूप से भागीदारी कर आंदोलन को धार दी जाएगी। कहा कि मोर्चा को मजबूत करने के लिए सभी प्रदेश प्रभारी, अध्यक्ष, महासचिव से आग्रह किया है कि अपने-अपने प्रदेशों में पुरानी पेंशन बहाली के लिए लगातार कार्यक्रम करने पर जोर दिया जाए। बताया कि एक फरवरी को पुरानी पेंशन जागरूकता महा अभियान आयोजित किया जा रहा है। इसमें पोस्टर के माध्यम से पुरानी पेंशन बहाल करो की आवाज को ट्विटर पर उठाया जाएगा।

हालांकि, देश में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान सभी राज्यों में पुरानी पेंशन की मांग उठाई जाएगी। इसलिए फेसबुक, ट्विटर समेत अन्य इंटरनेट मीडिया के माध्यम से लगातार मांग उठाई जाएगी। कार्मिकों का कहना है कि देश के 40 लाख से अधिक कर्मचारी लगातार पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं। ऐसे में यदि कोई राजनीतिक दल या नेता उनके मुद्दे को अपने एजेंडे में शामिल करता है तो उसी आधार पर मतदान किया जाएगा।

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