सीमित तबादलों से शिक्षकों के अरमानों पर ब्रेक, पढ़िए पूरी खबर

तबादला एक्ट लागू हुए दो वर्ष हो चुके हैं लेकिन एक्ट का लाभ अब तक आम शिक्षकों को नहीं मिला है।

By Edited By: Publish:Mon, 13 May 2019 08:14 PM (IST) Updated:Tue, 14 May 2019 12:19 PM (IST)
सीमित तबादलों से शिक्षकों के अरमानों पर ब्रेक, पढ़िए पूरी खबर
सीमित तबादलों से शिक्षकों के अरमानों पर ब्रेक, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, राज्य ब्यूरो। तबादला एक्ट लागू हुए दो वर्ष हो चुके हैं, लेकिन एक्ट का लाभ अब तक आम शिक्षकों को नहीं मिला है। वजह उक्त नया एक्ट अस्तित्व में आने के बाद से निष्प्रभावी है। वहीं दो साल से तबादला सत्र तकरीबन शून्य है। अब तीसरे शैक्षिक सत्र में इसे लागू तो किया गया, लेकिन मौजूदा नए प्रावधान के मुताबिक 10 फीसद ही तबादले मुमकिन होंगे। ऐसे में 11 पर्वतीय जिलों के दुर्गम क्षेत्रों में दस-दस, बीस-बीस वर्षों से जमे शिक्षकों के लिए सुगम में तैनाती मरीचिका साबित हो रही है। 

शिक्षकों को इस बात से भी चिंता है कि तबादलों के लिए शासन ने आदेश तो जारी कर दिया, लेकिन तबादलों की संशोधित समयसारिणी अब तक जारी नहीं हुई है। शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजा है, लेकिन समयसारिणी में संशोधन और तबादलों के लिए समितियों के गठन के प्रस्ताव को शासन की मंजूरी मिलने का इंतजार है।

पर्याप्त संख्या में तबादले से नहीं होने से बैचेन राजकीय शिक्षक संघ इस मुद्दे को लेकर सक्रिय हो गया है। वहीं शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने सीमित तबादलों के चलते शिक्षकों को होने वाली परेशानी के निदान का भरोसा दिलाया है। उन्होंने कहा कि आचार संहिता खत्म होने के बाद तत्काल इस संबंध में शासन और निदेशालय के आला अधिकारियों की बैठक बुलाकर समस्या का समाधान किया जाएगा। 

लंबी कवायद और इंतजार के बाद तबादला एक्ट लागू तो हुआ, लेकिन अमल में आने को एक्ट ही तरस गया है। वर्षों से दुर्गम में जमे शिक्षकों को एक्ट ने आस तो बंधाई, लेकिन दूसरी ओर तबादलों को दस फीसद तक ही किए जाने का बंधन उनकी उम्मीदों के लिए फांस बन गया है। इससे खफा राजकीय शिक्षक संघ ने शिक्षा निदेशालय, शासन से लेकर शिक्षा मंत्रालय तक हाथ-पांव मारने शुरू कर दिए हैं। संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी और महामंत्री सोहन सिंह माजिला ने सोमवार को इस संबंध में शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम से मुलाकात का समय मांगा है।

संघ को यह 10 फीसद तबादलों को लेकर भी संशय है। इसकी वजह तबादलों के आदेश एक माह की देरी से जारी हुए, लेकिन तबादला समयसारिणी में संशोधन नहीं किया गया। निदेशालय की ओर से समयसारिणी में संशोधन के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन उस पर अभी तक फैसला नहीं हो सका है। उधर, समयसारिणी में संशोधन के मामले में शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने निदेशालय के अधिकारियों को वार्ता को बुलाया है। इस बारे में जल्द फैसला हो सकता है। वहीं शिक्षकों में रोष और संघ की ओर से इस मुद्दे को लेकर सक्रिय होने के बाद शिक्षा मंत्रालय भी गंभीर हुआ है। मंत्रालय आचार संहिता खत्म होने का इंतजार कर रहा है। 

अरविंद पांडेय (शिक्षा मंत्री उत्तराखंड) का कहना है कि सीमित तबादले होने से दुर्गम से सुगम में आने को प्रतीक्षारत शिक्षकों की चिंता से वह अवगत हैं। दुर्गम में कार्यरत शिक्षकों को अधिक लाभ मिले, इस संबंध में आचार संहिता खत्म होने के तुरंत बाद उच्चस्तरीय बैठक बुलाकर निर्णय लिया जाएगा।

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